जाट नेता यशपाल मलिक की चेतावनीः अमित शाह ने धोखा दिया, पीएम मोदी को नहीं घुसने देंगे हरियाणा में
बीजेपी दरअसल ‘बीट्रेयल जुमला पार्टी’ है, और बीजेपी सरकारों ने हमें सिवाय धोखे के कुछ नहीं दिया। यह कहना है हरियाणा के जाट नेता यशपाल मलिक का। मलिक ने कहा कि अमित शाह ने उन्हें धोखा दिया है।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की हरियाणा के जिंद में 15 फरवरी को होने वाली रैली पर विरोध के बादल मंडराने लगे हैं। ऑल इंडिया जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने बीजेपी अध्यक्ष की इस रैली का विरोध करने का संकल्प लिया है। उन्होंने बीजेपी को ‘बिट्रेयल जुमला पार्टी’ बताते हुए कहा है कि अमित शाह ने उनके साथ धोखा किया है। खबरों के अनुसार इस रैली से पहले 1 लाख मोटरसाइकिल सवार कार्यकर्ताओं द्वारा अमित शाह के स्वागत का कार्यक्रम है।
नवजीन से बात करते हुए यशपाल मलिक ने हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर को चुनौती देते हुए कहा कि मोबाइल इंटरनेट पर प्रतिबंध और धारा 144 लागू करके दिखाएं, जैसा कि हर जाट आंदोलनों के दौरान होता है।
यशपाल मलिक ने कहा कि उनके नेतृत्व में लाखों जाट सभा स्थल की तरफ मार्च करेंगे और मैदान की तरफ जाने वाली सड़कों को बाधित करेंगे। उन्होंने कहा, हम लोग उसी जगह पर भाई चारा न्याय रैली करेंगे, जहां अमित शाह रैली को संबोधित करेंगे। लाखों की संख्या में जाट समुदाय के लोग अपनी ट्रॉली और ट्रैक्टरों के साथ रैली मैदान की तरफ मार्च करेंगे।
मलिक ने जाट आरक्षण के लिए जान गंवाने वालों के लिए इंसाफ की मांग करते हुए कहा, “अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं तो हम 2019 में पीएम मोदी को हरियाणा में चुनावी सभा नहीं करने देंगे।” उन्होंने आरोप लगाया, ना सिर्फ अमित शाह बल्कि हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने भी जाटों को धोखा दिया है।
2016 के जाट हिंसा के फौरन बाद घोषित हुए त्रिकोणीय समझौते का जिक्र करते हुए मलिक ने शाह के रवैये की आलोचना करते हुए कहा, “17 अगस्त 2017 को एक उम्मीद के साथ हम उनसे मिले थे, लेकिन हमें बीजेपी सरकारों से सिवाय अपमान के कुछ नहीं मिला।” उन्होंने कहा, “हरियाणा में जहां यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है, वहीं केंद्र में यह विधेयक लोकसभा में लंबित है। हमें सिवाय आश्वासनों के कुछ नहीं मिला।”
इस बीच 6 फरवरी को हरियाणा सरकार ने फरवरी 2016 में हुए आरक्षण आंदोलन के दौरान जाटों के खिलाफ दर्ज किए गए 70 मामलों को वापस लेने का ऐलान किया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह विभाग) एसएस प्रसाद ने बताया कि सरकार ने अब तक 223 मामलों को वापस लेने का फैसला किया है, जिनमें 2027 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जानकारी के मुताबिक, 70 एफआईआर में 822 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इसी तरह का आदेश दिसंबर में 15 मामलों को वापस लेने के लिए जारी किया गया था, जिनमें 47 लोग आरोपी थे। एसएस प्रसाद के अनुसार 138 मामलों में भी इसी तरह का निर्देश जारी किया गया था, जिनमें 1158 लोगों को आरोपी बनाया गया था।
खट्टर सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए यशपाल मलिक ने कहा कि कुछ मामलों को वापस लेने से कुछ नहीं बदलेगा। उन्होंने पूछा, अगर कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ और गुजरात में पटेलों के खिलाफ दर्ज केस वापस लिए जा सकते हैं, तो जाटों पर दर्ज केस क्यों नहीं?
हालांकि जाट नेता पर झूठ फैलाने का आरोप लगाते हुए हरियाणा सरकार में उच्च पदस्थ एक सूत्र ने दावा किया कि हत्या जैसे क्रूर अपराधों से संबंधित किसी मामले को वापस नहीं लिया जाना था। यह समझौते का हिस्सा नहीं था।
जानकारी के अनुसार, जाटों के खिलाफ ज्यादातर मामले गैर कानूनी रूप से एकत्र होने, दंगा करने और अवरोध उत्पन्न करने जैसे आरोपों में दर्ज किए गए हैं। फरवरी 2016 में जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान करीब 30 लोगों की मौत हुई थी और 300 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।
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