इज़रायल-हमास के बीच खूनी संघर्ष रोकने में सुरक्षा परिषद फिर नाकाम, अमेरिका-रूस ने एक-दूसरे के प्रस्ताव रोके
इज़रायल-हमास युद्ध पर अमेरिका और रूस द्वारा पेश प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में खारिज हो गए।अमेरिका के प्रस्ताव पर चीन और रूस ने वीटो कर दिया, जबकि मॉस्को के प्रस्ताव को कोई खास समर्थन नहीं मिला था।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने इज़रायल-हमास संघर्ष पर उन दो प्रस्तावों को खारिज कर दिया है जिनमें से एक को अमेरिका ने पेश किया था और उस पर रूस और चीन ने वीटो कर दिया और दूसरे को रूस और चीन ने पेश किया था, उस पर कोई खास समर्थन नहीं मिला और वह प्रस्ताव खुद ही गिर गया।
अमेरिका ने अपने प्रस्ताव में रूस पर बेहद सख्त शब्दों में कहा था कि मॉस्को पर विश्वास और भरोसा नहीं किया जा सकता, जबकि रूस ने अपने प्रस्ताव में चीन के साथ मिलकर कहा था कि अमेरिका इजरायल को जमीनी आक्रमण शुरू करने के लिए 'हरी झंडी' देना चाहता था।
प्रस्ताव पेश किए जाने के दौरान अमेरिका और रूस ने एक दूसरे पर बेतरतीब आरोप लगाए। शीत युद्ध को लेकर बहस और यूक्रेन पर हालिया हमले की याद दिलाने वाले बयानों के बीच मॉस्को और वाशिंगटन ने एक-दूसरे पर भरोसा तोड़ने, राजनीतिक रुख अपनाने और बिना किसी सलाह-मशविरे के सुरक्षा परिषद के सदस्यों पर अपनी बात थोपने का आरोप लगाया।
अमेरिका,जिसे ऐतिहासिक तौर पर इजरायल का समर्थक माना जाता है, ने पिछले हफ्ते अपने स्वयं के वीटो का प्रयोग करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया था जिससे गाजा पट्टी में सहायता देने के लिए "मानवीय रोक" का समर्थन किया गया था और जिसमें अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत "सभी देशोंं" के आत्मरक्षा के अधिकार की वकालत की गई थी। रूस का आरोप था कि अमेरिका के प्रस्ताव में पूर्ण युद्धविराम का आह्वान नहीं किया गया था।
दूसरी तरफ इस बारे में रूस ने अपना स्वयं का प्रस्ताव पेश किया था जिसमें "तत्काल, स्थाई और पूरी तरह से सम्मानित मानवीय युद्धविराम" की मांग की गई थी और "नागरिकों के खिलाफ जारी सभी तरह की हिंसा निंदा की गई थी"।
दस देशों ने अमेरिकी प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन रूस और चीन ने अपनी वीटो शक्ति का इस्तेमाल कर इसे रोक दिया। इस प्रस्ताव के खिलाफ यूएई ने भी वोट किया। गौरतलब है कि यूएई के इज़रायल के साथ संबंध 2020 में सामान्य होने के बाद एक बार फिर से तनावपूर्ण स्थिति में हैं। फिलहाल यूएई अरब धड़े के साथ है। इस प्रस्ताव पर दो अन्य देशों, ब्राजील और मोज़ाम्बिक ने मतदान नहीं किया।
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