अकेले SBI ने अडानी को दिया 21,000 करोड़ रुपये का लोन, RBI के कदम के बाद बैंक ने दिया बयान
अमेरिका स्थित फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों के वित्तीय कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के मार्केट कैपिलटाइजेशन का जबरदस्त नुकसान हुआ है और इनके शेयरों के भाव नीचे चले गए हैं।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के खुलासों के बाद अडानी समूह के शेयरों में जारी उथल-पुथल के बीच आज पता चला है कि भारत के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने अडानी ग्रुप को 21,000 करोड़ रुपये का लोन दे रखा है। स्टेट बैंक ने 2.6 अरब डॉलर का लोन अडानी ग्रुप के फर्मों को दिया है। हालांकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की ओर से कहा गया है कि नियमों के तहत बैंक को जितना कर्ज देने की अनुमति है, ये रकम उसकी आधी है। साथ ही बैंक ने कहा कि जो भी उधार दिया है, उसमें तत्काल कोई चुनौती नहीं दिख रही है।
गुरुवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार एसबीआई द्वारा अडानी को दिए गए कर्ज में इसकी विदेशी इकाइयों के 200 मिलियन डॉलर भी शामिल हैं। हालांकि एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने कहा कि उथल-पुथल से प्रभावित अडानी समूह की कंपनियां अपना कर्ज चुका रही हैं और बैंक ने अब तक जो भी उधार दिया है, उस पर तत्काल कोई चुनौती नहीं दिख रही है। खारा ने पिछले सप्ताह रॉयटर्स से कहा था कि अडानी ग्रुप के साथ जोखिमों को लेकर कोई चिंता की बात नहीं है। उन्होंने ये भी कहा कि अडानी ग्रुप ने हाल में बैंक से कोई फंड नहीं लिया है।
दरअसल हिंडनबर्ग रिपोर्ट के खुलासों के बाद अडानी समूह के शेयरों में जारी उथल-पुथल के बीच गुरुवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सभी सरकारी बैंकों से इस बात की जानकारी मांगी कि उन्होंने कितना लोन अडानी ग्रुप की कंपनियों को दे रखा है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई ने जो जानकारी मांगी है उसमें कर्ज देने के लिए अडानी ग्रुप की जिन संपत्तियों को कोलेटरल के रूप में माना गया है उसकी लिस्ट भी शामिल है। इसके अलावा अडानी ग्रुप में बैंकों के अप्रत्यक्ष जोखिम की लिस्ट भी मांगी गई है।
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बता दें कि अमेरिका स्थित फर्म हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप की कंपनियों के वित्तीय कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों के मार्केट कैपिलटाइजेशन का जबरदस्त नुकसान हुआ है और इनके शेयरों के भाव नीचे चले गए हैं। इस दबाव में अडानी ग्रुप को कल FPO रद्द करना पड़ा, जिसके बाद भी कंपनी के शेयरों में रिकॉर्ड गिरावट आई और कंपनी का मार्केट लॉस 100 बिलियन डॉलर तक चला गया।
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गुरुवार को भी अडानी एंटरप्राइजेज के स्टॉक में लगभग 20 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई, जो मार्च 2022 के बाद का सबसे निचला स्तर है। अडानी ग्रुप की अन्य कंपनियां भी दबाव में हैं। अडानी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक जोन में 5%, जबकि अडानी टोटल गैस, अडानी ग्रीन एनर्जी और अडानी ट्रांसमिशन में 10% की गिरावट आई है। इस बीच एक रिपोर्ट में बुधवार को कहा गया है कि अडानी ग्रुप में इंडियन बैंकिंग सेक्टर का जोखिम मात्र 0.6 प्रतिशत है।
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