'सबका साथ, सबका विकास' अब नहीं रहा BJP का नारा! शुभेंदु अधिकारी बोले- जरूरत नहीं, जो 'हमारे साथ, हम उसके साथ'
खास बात ये है कि साल 2014 में पीएम मोदी ने ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ का नारा दिया था और 2019 में एक कदम आगे बढ़ते हुए इसे ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’’ कर दिया था। ऐसे में बयान पर विवाद बढ़ने पर बाद में शुभेंदु अधिकारी ने सफाई दी है।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने हालिया लोकसभा चुनाव में राज्य में पार्टी के खराब प्रदर्शन के लिए अल्पसंख्यक समुदाय के कम समर्थन को जिम्मेदार ठहराते हुए आज कहा कि अब ‘सबका साथ, सबका विकास’ की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि अब जो हमारे साथ, हम उनके साथ की जरूरत है। उन्होंने यहां तक कहा कि अल्पसंख्यक मोर्चा को भी बंद कर देना चाहिए, इसकी कोई जरूरत नहीं है। अधिकारी के इस बयान पर विवाद खड़ा हो गया है।
खास बात ये है कि साल 2014 में पीएम मोदी ने ‘‘सबका साथ, सबका विकास’’ का नारा दिया था और 2019 में एक कदम आगे बढ़ते हुए इसे ‘‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’’ कर दिया था। ऐसे में बयान पर विवाद बढ़ने पर बाद में शुभेंदु अधिकारी ने सफाई दी है कि उनकी टिप्पणियों को संदर्भ से हटाकर पेश किया गया और कहा कि वह पीएम मोदी के मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ का पूरा समर्थन करते हैं।
दरअसल आज कोलकाता में बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी के विस्तारित सत्र को संबोधित करते हुए अधिकारी ने कहा कि हम हिंदू और संविधान दोनों को बचाएंगे। इस दौरान उन्होंने बड़ा विवादित बयान देते हुए कहा कि अल्पसंख्यक मोर्चा को भी बंद कर देना चाहिए, इसकी कोई जरूरत नहीं है। शुभेंदु ने कहा कि हम उसका साथ देंगे, जो हमारा साथ देगा। सबका साथ सबका विकास करने की कोई जरूरत नहीं है। उन्होंने कार्यक्रम में जय श्री राम का नारा लगाते हुए कहा कि सबका साथ, सबका विकास बंद हो।
शुभेंदु अधिकारी ने कहा, "मैंने राष्ट्रवादी मुसलमानों के बारे में बात की थी, लेकिन अब मैं 'सबका साथ, सबका विकास' और नहीं कहूंगा, इसके बजाए हम कहेंगे कि 'जो हमारे साथ हम उनके साथ', अल्पसंख्यक मोर्चे की भी कोई जरूरत नहीं है।" शुभेंदु ने उपचुनाव में बीजेपी की हार की वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि उपचुनाव में हजारों लोगों ने वोटिंग नहीं की। बीजेपी का मानना है कि लोकसभा चुनाव में मुस्लिम वोटरों ने तृणमूल कांग्रेस को वोट दिया। शुभेंदु का यह बयान संकेत करता है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण की दिशा में और तेजी से काम कर सकती है।
बाद में, अपनी टिप्पणियों पर विवाद बढ़ने पर अधिकारी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि वह बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक आधार पर लोगों के बीच विभाजन करने में यकीन नहीं करते।उन्होंने कहा, ‘‘मेरे बयान को संदर्भ से हटाकर पेश किया जा रहा है। मेरी टिप्पणियां किसी समुदाय के खिलाफ नहीं है। मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि जो लोग राष्ट्रवादी हैं, वे इस देश और पश्चिम बंगाल के लिए खड़े हैं, हमें उनके साथ होना चाहिए। जो लोग हमारे साथ नहीं खड़े हैं, जो देश और पश्चिम बंगाल के हित के खिलाफ काम करते हैं, हमें उन्हें बेनकाब करने की जरूरत है।’’ मैं प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास’ मंत्र का पूरी तरह से समर्थन करता हूं।’’
दरअसल पिछले हफ्ते हुए विधानसभा उपचुनावों में तृणमूल कांग्रेस से तीन सीट पर शिकस्त मिलने के कुछ दिनों बाद बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी के विस्तारित सत्र का आयोजन किया गया है। संसदीय चुनावों में राज्य में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद, उपचुनाव के परिणाम भी पार्टी के लिए निराशाजनक रहे। हालिया लोकसभा चुनाव में राज्य में ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी को 42 में से 29 सीटें मिली थीं। बीजेपी ने केवल 12 सीट पर जीत हासिल की, जबकि 2019 के चुनाव में उसने 18 सीट जीती थी। लोकसभा चुनाव में बीजेपी बंगाल में संदेशखाली जैसी घटनाओं पर आक्रामक हुई थी लेकिन पार्टी को चुनाव में इसका फायदा नहीं मिला।अधिकारी की टिप्पणी पर, तृणमूल कांग्रेस नेता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘बीजेपी लोकसभा चुनाव में राज्य में खराब प्रदर्शन करने के बाद अपने कार्यकर्ताओं को शांत करने के बहाने तलाश रही है।’’
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