सबरीमाला: मंदिर में एक महिला घुसने पर उग्र प्रदर्शन, उम्र को लेकर गलतफहमी की वजह से हुआ विवाद
केरल के सबरीमाला मंदिर में दूसरे दिन भी महिलाओं के प्रवेश रोकने को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी है। मंगलवार की सुबह जब लोगों के बीच यह खबर फैल गई कि 10-50 साल की उम्र के बाहर की कोई महिला मंदिर में जाने की कोशिश कर रही है, जिससे वहां मौजूद श्रद्धालु भड़क गए।
केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश को लेकर घमासान जारी है। मंगलवार की सुबह जब लोगों के बीच यह खबर फैल गई कि 10-50 साल की उम्र के बाहर की कोई महिला मंदिर में जाने की कोशिश कर रही है, जिससे वहां मौजूद श्रद्धालु भड़क गए। हालांकि, बाद में साफ हुआ कि महिला 52 साल की ही थीं। खबरों के मुताबिक, मंगलवार को लोगों के बीच यह खबर फैल गई कि 10-50 साल की उम्र की महिला ने मंदिर में जाने की कोशिश की है। इसके साथ ही विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए जिनमें एक टीवी चैनल के कैमरामैन घायल हो गए। बाद में पुलिस ने पुष्टि की कि महिला की उम्र 52 साल है और वह थ्रिसूर की रहनेवाली हैं। वह अपने परिवार के साथ पहुंची थीं। बाद में उन्होंने पुलिस सुरक्षा में पूजा की।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद दोबारा खोले गए मंदिर में विशेष पूजा ‘श्री चित्रा अत्ता तिरुनाल’ चल रही है जो मंगलवार रात 10 बजे तक चलेगी। उसके बाद फिर से मंदिर बंद हो जाएगा। इस दौरान मंदिर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। यहां 20 सदस्यीय कमांडो टीम और 100 महिलाओं समेत 2,300 कर्मियों को दर्शन और श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया गया है। पचास वर्ष से अधिक की आयु वाली कम से कम 15 महिला पुलिसकर्मियों को सन्निधानम में तैनात किया गया है।
इसी बीच सबरीमाला मंदिर में हर आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश के अधिकार पर जारी विवाद के बीच केरल बीजेपी के अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई के भाषण का एक ऑडियो सामने आया है, जिसमें वह कथित तौर पर यह कहते सुनाई दे रहे हैं कि सबरीमाला पर हुआ विवाद बीजेपी के लिए सुनहरा मौका था। वायरल हुए इस ऑडियो में केरल बीजेपी प्रमुख को यह कहते हुए साफ सुना जा सकता है कि मंदिर के मुख्य पुजारी ने 10-50 साल आयु वर्ग की महिलाओं के मंदिर में प्रवेश की कोशिश करने की स्थिति में मंदिर का दरवाजा बंद करने पर उनसे परामर्श किया था।
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकने की सदियों पुरानी परंपरा को गलत बताते हुए उसे खत्म कर दिया था और सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत दी थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद 17 अक्टूबर को पहली बार कपाट खुले थे और अब 5 नवंबर को खुले हैं।
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