INDIA गठबंधन ने निकाल दी है बीजेपी की हवा, चंद्रयान-3 से भी करें प्रचार तो भी तानाशाही की पराजय निश्चित: सामना

शिवसेना ने कहा है कि बीजेपी और पीएम मोदी चंद्रयान-3 पर सवार होकर भी प्रचार कर लें, तो भी उनकी पराजय निश्चित है। पार्टी के मुखपत्र सामना में लिखे संपादकीय में शिवसेना ने कहा है कि बीजेपी चाहे जो जतन कर ले, लेकिन उसकी तानाशाही की पराजय निश्चित है।

शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे
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नवजीवन डेस्क

शिवसेना ने हाल में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के उस बयान का हवाला दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि बीजेपी समय से पूर्व लोकसभा चुनाव कराने की तैयारी कर रही है क्योंकि उसने अभी से निजी छोटे विमान, हेलीकॉप्टर्स बुक करने शुरू कर दिए हैं। इसी संदर्भ में सामना ने कहा है कि बीजेपी चंद्रयान-3 से प्रचार करे तो भी उसकी जीत नहीं होने वाली है। सामना ने लिखा है कि “उन्हें जो चाहे वो करने दें, अगर वे ‘चंद्रयान-3’ लाकर उस पर सवार होकर भी प्रचार करें तब भी उनकी तानाशाही की पराजय अटल है। उनकी कुंडली में खींचतान कर लाई गई सत्ता योग की हवा निकल गई है।“

शिवसेना ने लिखा है कि निजी, छोटे विमान, हेलिकॉप्टर्स की बुकिंग करके बीजेपी अपने राजनीतिक विरोधियों को परेशानी में डालने की कोशिश कर रह है। कहा गया है कि चुनाव प्रचार के लिए कोई भी वेगवान संसाधन विरोधियों को न मिले, इसके लिए बीजेपी द्वारा शुरु किया गया सत्ता का यह दुरुपयोग आपत्तिजनक है।

संपादकीय में कहा गया है कि “बीजेपी और उसके समर्थकों के पास असीमित संसाधन और संपत्ति है। यह संपत्ति किस तरीके से आती है।“  संपादकीय में हाल में जारी कैग रिपोर्टों के हवाले से कहा गया है कि बीजेपी सरकार ने दिल्ली में द्वारका एक्सप्रेस-वे के तीन किलोमीटर सड़क का खर्च 750 करोड़ से दिखाया है। ऐसे में पार्टी चुनाव प्रचार के लिए देश में सभी निजी विमानों, हेलिकॉप्टर्स बुक कर लें तो उसमें आश्चर्य कैसा?

सामना में ईवीएम को लेकर भी सवाल उठाए गए हैं। संपादकीय में लिखा है कि बीजेपी के सांसद डी अरविंद ने कहा है कि ईवीएम का कोई भी बटन दबाओ, वोट बीजेपी के पक्ष में ही जाता है। इसका मतलब है कि सभी हेलिकॉप्टर्स के साथ लाखों ईवीएम भी बीजेपी ने बुक कर रखे हैं। उसे लेकर भी उनका अलग खर्च और हिसाब होगा ही। शिवसेना ने लिखा कि आप कितना भी कुछ भी बुक कर लीजिए फिर भी भ्रष्ट ईवीएम की छाती पर पैर रखकर तानाशाही की पराजय हुए बिना नहीं रहेगी।


संपादकीय में कहा गया है कि ‘इंडिया’ गठबंधन ने स्पष्ट रूप से  अगले साल यानी 2024 में देश में सत्ता परिवर्तन करने का बीड़ा उठा लिया है, जिसकी घबराहट बीजेपी को है। उसके लिए 2024 में बुरा दौर शुरु हो रहा है इसीलिए उसने अपने ढलता सूर्य को तंत्र-मंत्र, ईवीएम विद्या से नष्ट करने की कोशिश शुरु कर दी है। लेकिन क्या इससे वह बच सकती है?

सामना ने कहा है कि “बीजेपी में चर्चा शुरु हो गई है कि चुनाव 2024 में करो नहीं तो 2023 के अंत में करो, मोदी-शाह की कुंडली में राजयोग नहीं और चोरी-चकारी करके ऐसा कुछ करने का प्रयोग किया ही तो वो पूरा मामला उन पर ही पलटेगा। बीजेपी की तानाशाही किसी भी परिस्थिति में सत्ता से हटेगी यह तय है।“ सामना ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का हवाला देते हुए कहा है कि उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में कहा कि बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आई तो लोकतंत्र का पूरी तरह से खात्मा हो जाएगा और तानाशाही लागू की जाएगी। ममता बनर्जी की चिंता जायज है। मोदी-शाह और उनके गुजरात के धनाढ्य मित्रों ने लोकतंत्र का गला कब का घोंट दिया है।

शिवसेना ने कहा है कि “2014 में मोदी सरकार का कदम तानाशाही की तरफ बढ़ने लगा था। 2019 में लोकतंत्र को करीब-करीब सूली पर लटकाया और अब 2024 में डर ये है कि वे वध स्तंभ का बटन दबा देंगे। लेकिन इस देश की चिंता भारत माता को है। भारत माता का मतलब मोदी-शाह-अडानी न होकर 140 करोड़ जनता है। यह जनता 2024 में तानाशाही प्रवृत्ति को हराकर वध स्तंभ पर पहुंच चुकी लोकतंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करेगी। इसलिए ही ‘इंडिया’ गठबंधन ने जन्म लिया है।

सामना ने लिखा है कि “भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद को दैत्य हिरण्यकश्यप से बचाने के लिए नरसिंह अवतार लिया। हिरण्यकश्यप का अंत नरसिंह ने जिस भयंकर तरीके से किया, वही गति दुनियाभर के सभी तानाशाहों की हुई है। या तो तानाशाहों को देश छोड़कर भागना पड़ा या फिर क्षुब्ध जनता ने उनके राजमहल में घुसकर उनको खत्म कर दिया। क्योंकि लोकतंत्र में जनता ही नरसिंह का अवतार है। इसलिए 2024 हो या 2023, चुनाव कभी भी कराओ, तानाशाही रूपी हिरण्यकश्यप का अंत तय है।“


सामना के मुताबिक ‘इंडिया’ गठबंधन ने देश के वातावरण को झकझोर दिया है। जनता जाग गई है और वह किसी भी झांसे में नहीं आनेवाली है।बीजेपी की कुंडली में खींचतान कर लाई गई सत्ता योग की हवा निकल गई है। उन्हें राजयोग था ही नहीं। खींच-खींच कर-चोरी कर लाई गई सत्ता का योग था। अब उसका खत्म होना तय है।

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