राम मंदिर की सुनवाई टालने पर आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार का सुप्रीम कोर्ट पर निशाना, कहा, जजों ने किया अपमान
आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने राममंदिर के मुद्दे पर कहा कि सरकार एक कानून या अध्यादेश लाएगी और उन्हें ऐसा करना चाहिए। लेकिन 11 दिसंबर तक आचार संहिता लागू है इसके चलते सरकार के हाथ तब तक बंधे हुए हैं।
राम मंदिर मामले की सुनवाई में देरी को लेकर आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट पर ही सवाल उठा दिए हैं। आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य इंद्रेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के 3 जजों की बेंच पर सवाल उठाते हुए कहा, “मैंने नाम नहीं लिया है, क्योंकि भारत के 125 करोड़ लोग उनके नाम जानते हैं, 3 जजों की एक बेंच वहां थी। उन्होंने देरी की, इसे नकारा, इसका अपमान किया। यह उन्होंने अनुचित किया है।” इंद्रेश कुमार पंजाब विश्वविद्यालय के इंग्लिश डिपार्टमेंट में जोशी फाउंडेशन की ओर से आयोजित राम मंदिर पर हुए कार्यक्रम में बोल रहे थे।
इंद्रेश कुमार ने आगे कहा कि राम मंदिर-बाबरी मस्जिद विवाद पर सरकार अध्यादेश लाने पर विचार कर रही है लेकिन आचार संहिता की वजह से खामोश है। इंद्रेश कुमार ने दावा किया, “दो-तीन जजों के खिलाफ गुस्सा बढ़ रहा है” उन्होंने कहा, “सभी लोग न्यायधीश की ओर देख रहे हैं, उन्हें अभी भी भरोसा है। लेकिन न्यायपालिका, न्यायधीश और दो-तीन जजों की वजह से अपनाम हुआ। इसे बहुत पहले सुना जाना चाहिए था। अगर वे न्याय देने के लिए तैयार नहीं हैं तो उन्हें सोचना चाहिए कि वो जज बने रहना चाहते हैं या इस्तीफा देना चाहते हैं।”
वहीं इससे पहले रविवार को राम मंदिर पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था धैर्य का समय अब खत्म हुआ और अगर उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मामला सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकता में नहीं है तो मंदिर निर्माण कार्य के लिए कानून लाना चाहिए। राम मंदिर निर्माण के मुद्दे पर विश्व हिंदू परिषद की ओर से आयोजित एक रैली में भागवत ने कहा था कि यह ‘आंदोलन का निर्णायक चरण' है। भागवत ने आगे कहा था, “एक साल पहले मैंने स्वयं कहा था कि धैर्य रखें। अब मैं ही कह रहा हूं कि धैर्य से काम नहीं होगा। अब हमें लोगों को एकजुट करने की जरूरत है। अब हमें कानून की मांग करनी चाहिए।”
इतना ही नहीं कल योग गुरू बाबा रामदेव ने कहा था कि राज्य और केंद्र में बीजेपी बहुमत की सरकार में अगर श्रीराम मंदिर नहीं बनता है, तो बीजेपी के प्रति लोगों का विश्वास उठ जाएगा।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 नवंबर को रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले की सुनवाई कब से शुरू होगी इस पर होने वाली सुनवाई को जनवरी, 2019 तक के लिए टाल दिया है।
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