प्रियंका गांधी की धमाकेदार एंट्री से सकते में संघ, बीजेपी नेताओं को दी बेवजह टिप्पणियों से बचने की सलाह
प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में धमाकेदार एंट्री से आरएसएस और बीजेपी सकते में है। खासतौर से संघ बेहद चिंतित है। बीते 36 घंटे में मीडिया के बदले मिजाज़ ने उसके माथे पर शिकन डाल दी है। संघ ने बीजेपी नेताओं को ऊलजलूल टिप्पणियों से बचने की सलाह दी है।
प्रियंका गांधी के राजनीति में कदम रखने के ऐलान के साथ ही बीजेपी के लिए देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में आने वाले दिनों में सबसे बड़ी मुश्किलें पेश होने वाली हैं। बीजेपी उनके राजनीति में प्रवेश से किसी तरह के दुष्पप्रभाव या घाटा होने को सार्वजनिक तौर पर ज्यादा तवज्जो नहीं देना चाहती। लेकिन बीते 36 घंटों के मीडिया में भारी उहापोह और कांग्रेस में देशभर में प्रचंड उत्साह ने संघ परिवार की चिंता को सातवें आसमान पर पहुंचा दिया है। संघ की तात्कालिक चिंताएं प्रियंका के राजनीति में कदम रखने के फैसले पर बीजेपी प्रवक्ताओं, नेताओं की सयंमित के बजाय उल जुलूल टिप्पणियों को लेकर और बढ गई हैं।
बीजेपी और संघ परिवार में खलबली का सबसे बड़ा कारण देश-विदेश के तमाम मीडिया माध्यमों, टीवी चर्चाओं, बहसों में प्रियंका गांधी को मिल रही भारी तवज्जो है। प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में आने के अगले ही दिन देश के कई हिस्सों में "प्रियंका इफेक्ट" का जमीनी असर देखा गया। प्रियंका अभी विदेश में हैं। वे पहली फरवरी को भारत लौट रही हैं। मोदी सरकार उसी दिन अपना अंतिम लेखानुदान भी संसद में पेश करेगी। इस चुनावी बजट प्रावधानों को लोक लुभावन बनाने में जी जान से जुटी मोदी सरकार की पूरी कोशिश है कि उस दिन भारत लौट रही प्रियंका के धमाकेदार स्वागत के असर को किसी भी तरह फीका किया जाए।
देशभर से मिल रही रिपोर्टों के अनुसार कांग्रेस में निचले स्तर के कार्यकर्ताओं में अभूतपूर्व जश्न का माहौल है। संघ-बीजेपी में विभिन्न स्तरों पर आकलन किया जा रहा है। गुरुवार दोपहर संघ परिवार के एक सूत्र ने मध्य प्रदेश के उज्जैन से आंखों देखा हाल बयान किया। वहां पिछले 15 साल बाद कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई। उज्जैन के स्थानीय सर्किट हाउस में राज्य सरकार के एक कैबिनेट मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के स्वागत में सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं का हुजूम उमड़ पड़ा। कई घंटों शहर जाम रहा।
संघ और बीजेपी का वहां से फीडबैक है कि वहां प्रदेश के मंत्री के स्वागत में उमड़ी भीड़ के उत्साह के पीछे ‘प्रियंका फैक्टर’ ने बड़ा काम किया है। उज्जैन सर्किट हाउस के एक अधिकारी ने फोन पर इस बात की पुष्टि की है कि वर्षों बाद यहां पूरे दिन भर कांग्रेसी कार्यकर्ताओं का मेले जैसे सैलाब देखा कि मानों यहां मंत्री नहीं बल्कि प्रधानमंत्री का आगमन हुआ हो।
इधर दिल्ली में संघ और बीजेपी की उच्चस्तरीय आंतरिक बैठकों में प्रियंका को मीडिया में मिले रहे प्रचार के पीछे भारी चिंता जताई गई। संघ और बीजेपी दोनों को लगता है कि आने वाले दिनों में यही क्रम चलता रहा तो बीजेपी को अपनी चुनावी रणनीति में व्यापक बदलाव करने को विवश होना पड़ेगा।
संघ के एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "पिछले दो दिन से बीजेपी समर्थक टीवी चैनलों और एंकरों का भी मिजाज बदलने से हम निश्चित ही हैरत में हैं। संघ के एक कार्यकर्ता का कहना है हम आश्चर्य में हैं, अभी तो प्रिंयका देश में भी नहीं पहुंचीं। पहली फरवरी को जब स्वदेश लौटेंगी तो क्या हाल होगा।“
संघ और बीजेपी दोनों में इस बात पर गंभीरता से मंथन हो रहा है कि प्रियंका की भाषण और प्रचार शैली का मुकाबला आगे कैसे किया जाएगा। जाहिर है कि आने वाले दिनों में प्रियंका जब अपने भाषणों में सीधे पीएम मोदी और अमित शाह को आड़े हाथों लेंगी तो उनके आरोपों का जवाब कैसे दिया जाए। इस मामले में भी कुछ विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है कि कैसे प्रियंका के आरोपों का जवाब दिया जाएगा और बीजेपी नेताओं द्वारा उन्हें टारगेट करने से ऐसा तो नहीं होगा कि उल्टे प्रियंका गांधी को जनता खास तौर पर महिलाओं व युवा लड़कियों में सहानुभूति की लहर पैदा हो जाए।
संघ की करीब दर्जन पर संस्थाओं में प्रमुखता से सक्रिय एक और कार्यकर्ता का मानना है कि प्रियंका को लेकर चिंता एकदम वाजिब है। उनमें देश की आम जनता इंदिरा गांधी की तस्वीर तो देखती है वे शक्ल सूरत में भी इंदिरा गांधी की तरह लगती हैं। अपने परिवार के लिए पर्दे के पीछे राजनीतिक सक्रियता के कारण वे इतनी परिपक्व हैं कि उनकी बातों का मुकाबला करना आसान नहीं होगा।
असम के गुवाहटी में लंबे समय तक कांग्रेस में सक्रिय रहे लेकिन बाद में हेंमत बिस्वसरमा के करीबी बीजेपी नेता का मानना है, "निश्चित है कि प्रियंका की कांग्रेस में सक्रियता ने देश भर की करीब 50 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस का पलड़ा भारी कर दिया है। उस नेता का यह भी आकलन है कि आने वाले 15 दिनों में यह तय होगा कि वाकई प्रियंका बीजेपी के लिए कितनी घातक हो सकेंगी।
उत्तर प्रदेश के लगभग सभी प्रमुख मंडलों में बीजेपी के साथ एसपी-बीएसपी में नीचे से लेकर ऊपर तक सन्नाटा पसरा हुआ है। बीजेपी से नाराज शहरी मतदाताओं पर प्रियंका फैक्टर का सबसे ज्यादा असर आंका जा रहा है।
बीजेपी के एक सूत्र की बात मानें तो हमारी पार्टी का पूरा गणित डगमगा गया है। वहां बीजेपी की सबसे बड़ी चिंता है कि यहीं उसे 2014 में सबसे ज्यादा 71 सीटें मिलीं थी। कांग्रेस अमेठी व रायबरेली तक सिमट गई थी। माना जा रहा है कि प्रियंका फैक्टर से कांग्रेस शहरी इलाकों की उन सीटों पर मुकाबले में आ सकती है जहां एसपी-बीएसपी के कमजोर चेहरे होंगे। यूपी बीजेपी के एक वरिष्ठ सांसद के निकट सूत्रों का कहना है, "निश्चित ही हमारे लिये लड़ाई कठिन है लेकिन हम मुकाबला करेंगे। मोदी और योगी का जादू कम नहीं हुआ।
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