राम मंदिर पर सक्रिय हुआ संघ, रणनीति के लिए वीएचपी के बुलावे पर 5 अक्टूबर को दिल्ली में जुटेंगे साधु-संत
आगामी 5 अक्टूबर को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की दिल्ली में एक एक अहम बैठक होने जा रही है, जिसमें देश भर के साधु-सन्यासियों का जमावड़ा होना है और राम मंदिर निर्माण के लिए एक बड़ा आह्वान करने का फैसला लिया जाएगा।
अगले आम चुनावों से पहले राम मंदिर निर्माण का सवाल एक बड़े राजनीतिक मुद्दे के तौर पर उछाला जा रहा है और इसके इर्द-गिर्द ध्रुवीकरण शुरू हो गया है। इस मुद्दे पर आगामी 5 अक्टूबर को विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की दिल्ली में एक एक अहम बैठक होने जा रही है, जहां देश भर से साधु-सन्यासियों का जमावड़ा होना है और राम मंदिर निर्माण के लिए एक बड़ा आह्वान करने का फैसला लिया जाएगा।
इस बारे में वीएचपी के समन्वयक सुरेश सी सिंह ने बताया कि यह आस्था का सवाल है और साधु-संन्यासी बड़ी संख्या में जुट रहे हैं। उन्होने कहा, “हम सबकी एक ही चिंता है कि अब राम मंदिर के लिए देश की जनता को और अधिक इंतजार नहीं करना चाहिए। हम शुरू से कह रहे हैं कि अदालत का हम सम्मान करते हैं और करते रहेंगे। मंदिर वहीं बनेगा, यह हमारी प्रतिज्ञा है। इसके लिए हमें अपनी रूपरेखा तैयार करनी हैं। इसी के लिए 5 अक्टूबर को बड़ा जमावडा हो रहा है। देश बहुत सालों से राम मंदिर का इंतजार कर रहा है और अब बहुत हुआ।”
कई सवालों के जवाब में वीएचपी के नेता ने बस यही दोहराया कि अदालत पर उन्हें पूरा भरोसा है कि राम मंदिर निर्माण की राह खुलेगी। वह बाबरी मस्जिद ध्वंस और उस समय अदालत के फैसले की अवमानना पर पूछे गए किसी सवाल का जवाब नहीं देते। लेकिन उनकी बातों से साफ आभास होता है कि 5 अक्टूबर और उसके बाद राम मंदिर निर्माण के सवाल पर हिंदू समाज को उद्वेलित करने की बड़ी योजना बन चुकी है। अयोध्या से भी इस तरह के संकेत पिछले एक माह से मिल रहे हैं, जिससे साफ होता है कि इस बार उग्र हिंदू संगठन इस पर बड़ा खेलने की तैयारी में हैं।
सुप्रीम कोर्ट में चल रहे मामले के बारे में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से लेकर बीजेपी सांसद सुब्रह्मणयम स्वामी पिछले दो महीनों से बेहद सक्रिय हो गए हैं। हरिद्वार में 2 अक्टूबर को संघ प्रमुख मोहन भागवत का सीधे-सीधे यह कहना कि विपक्षी पार्टियां भी राम मंदिर का विरोध नहीं कर सकतीं, क्योंकि राम सबके अराध्य हैं, इस बात का स्पष्ट संकेत है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा, “सरकारों की सीमाएं होती हैं, उन्हें बंदिशों में काम करना होता है, लेकिन साधु और सन्यासियों पर कोई बंदिश नहीं होती, उन्हें धर्म-समाज और देश के उत्थान के लिए आगे आकर काम करना चाहिए।” इससे भी साफ होता है कि सुप्रीम कोर्ट में अगली सुनवाई से पहले राम मंदिर को एक बड़े राजनीतिक-धार्मिक सवाल में तब्दील करने की तैयारी है। सुब्रमण्यम स्वामी ने मोहन भागवत के बयान के बाद बुधवार को कहा कि अब राम मंदिर निर्माण को कोई नहीं रोक सकता क्योंकि सारा मामला सेटल है।
जिस तरह से केंद्र की मोदी सरकार आर्थिक मोर्चे पर बुरी तरह से विफल हो रही है और राफेल सहित तमाम मुद्दों पर घिर गई है, उस परिपेक्ष्य में संघ और वीएचपी सहित तमाम उग्र हिंदू संगठनों द्वारा राम मंदिर पर हिंदू वोटों को खींचने की कोशिश साफ दिखाई दे रही है। 2019 के जनवरी में अर्द्ध कुंभ की तैयारी और राम मंदिर निर्माण के पक्ष में बनाए जा रहे माहौल को जोड़ कर देखना जरूरी है। इस परिप्रेक्ष्य में स्पष्ट है कि संघ परिवार राम मंदिर आंदोलन जल्द ही शुरू करने के लिए कमर कस चुका है।
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