सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस ने राम पुनियानी को मिली धमकी पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का रुख किया
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखे अपने पत्र में सीजेपी ने कहा कि जाने-माने बुद्धिवादी और पूर्व आईआईटी-बॉम्बे के प्रोफेसर पुनियानी को फोन पर अपशब्द कहे गए और उन्हें कथित हिंदू विरोधी गतिविधियों को 15 दिनों के भीतर नहीं छोड़ने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) को सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस (सीजेपी) ने शनिवार को कार्यकर्ता राम पुनियानी और उनके परिवार के लिए सुरक्षा की मांग करते हुए पत्र लिखा। इससे पहले उन्हें मिली धमकी की जांच मुंबई पुलिस ने शुरू कर दी है।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लिखे अपने पत्र में सीजेपी ने कहा कि जाने-माने बुद्धिवादी और पूर्व आईआईटी-बॉम्बे के प्रोफेसर पुनियानी को फोन पर अपशब्द कहे गए और उन्हें कथित हिंदू विरोधी गतिविधियों को 15 दिनों के भीतर नहीं छोड़ने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी गई।
पुनियानी और कई नागरिक समाज समूहों व कार्यकर्ताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को संयुक्त पुलिस आयुक्त विनय चौबे से मुलाकात की और उन्हें इस बात की जानकारी दी। चौबे ने पुनियानी की व्यक्तिगत सुरक्षा का आश्वासन दिया और पुलिस उपायुक्त संग्रामसिंह निशंदर को मामले की जांच शुरू करने का निर्देश दिया।
सीजेपी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष एचएल दत्तू को लिखे अपने पत्र में कहा, "तर्कवादी विचार के लिए उनके लगातार और निरंतर अभियान को देखते हुए, इतिहास की एक समकालिक समझ-पूरे भारत में व्याख्यान और कार्यशालाओं के साथ-इन खतरों को केवल गंभीर रूप में देखा जा सकता है।"
पत्र के अनुसार, कई लेखक, पत्रकार, आरटीआई कार्यकर्ता, कलाकार, वकील और नागरिक कार्यकर्ता दक्षिणपंथी ताकतों और तर्कवादियों के हमलों का सामना कर रहे हैं। इसमें उदाहरण देकर कहा गया है कि इन्हीं ताकतों ने नरेंद्र दाभोलकर, गोविंद पानसरे, एम.एम. कलबुर्गी और गौरी लंकेश की हत्या कर दी थी।
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