पीएम के संसदीय क्षेत्र में श्रीराम को आया चक्कर और होने लगीं उल्टियां, सफाई की मांग लेकर धरने पर बैठे देव
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में पहले राम-लक्ष्मण बीमार हुए और अब भरत-शत्रुघ्न भी बीमार हो गए हैं, जिसके चलते 500 साल से ज्यादा पुरानी बनारस की लाट भैरव रामलीला रुक गई है। वजह है रामलीला की जगह पर गंदगी का साम्राज्य और उससे उठती बदबू।
काशी में 1543 से अनवरत चल रही लाट भैरव रामलीला समिति के पात्र बीमार पड़ गए हैं। शनिवार को जहां गंदे तालाब की वजह से राम, लक्ष्मण और सीता देव स्वरूपों की तबियत बिगड़ गयी थी, वहीं रविवार को इसी लीला स्थल पर जब भरत और शत्रुघ्न पहुंचे तो उनकी भी तबियत बिगड़ गयी, जिसके बाद उनका इलाज कराना पड़ा। इसके बाद लीला समिति के लोगों का प्रशासन पर गुस्सा फूट पड़ा।
गौरतलब है कि शनिवार को धनेसरा तालाब पर गंदगी के चलते लीला के दौरान अचानक श्रीराम का पात्र कर रहे कलाकार को चक्कर आ गया और उल्टियां होने लगीं। इसके थोड़ी देर बाद ही लक्ष्मण की हालत भी वैसी ही हुई। इसके चलते करीब तीन घण्टे तक लीला रोकी गयी थी। लीला समिति ने प्रशासन से शिकायत की और साफ-सफाई का आश्वासन मिलने के बाद इसे शुरु कराया था। लेकिन रविवार को जब लीला शुरु हुई तो कोई साफ-सफाई नहीं थी, जिसके चलते भरत और शत्रुघ्न की भी हालत बिगड़ गई। इसके बाद रामलीला के सभी पात्रों ने धरना दिया।
दो प्रमुख लीला होती हैं धनेसरा तालाब पर
आदि रामलीला समिति लाट भैरव के अध्यक्ष डॉ रामावतार पांडेय ने एक न्यूज वेबसाइट से बातचीत में बताया कि गोस्वामी तुलसीदास के समकालीन मेंगध भगत द्वारा 1543 में यह रामलीला शुरू की गयी। इसकी दो प्रसिद्द लीला राम गंधैल, जिसमें चित्रकूट जाते समय केवट राम जी के पैर धुलाता है और दूसरे दिन भरत गंधैल, जिसमें भरत श्री राम के पीछे जाते हैं, उस समय उन्हें केवट नदी पार करता है।
अपर नगर आयुक्त ने दिया कोरा आश्वासन
ये दोनों लीलाएं धनेसरा तालाब पर होती आयी है। पिछले 6 महीने से शासन-प्रशासन से इसे साफ़ करने के लिए कहा जा रहा था लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। शनिवार को राम गंधैल के समय रामलीला के सभी पात्रों की तबीयत बिगड़ी तो लोगों को गुस्सा आ गया। गुस्साए लोगों ने प्रदर्शन भी किया। इसके बाद मौके पर पहुंचे अपर नगर आयुक्त ने उस समय थोड़ी सफाई करवा लीला संपन्न करवाई और अगले दिन तक सफाई का आश्वासन दिया।
लीला समिति के अध्यक्ष डॉ राम अवतार पांडेय बताते हैं कि अपर नगर आयुक्त ने सिर्फ आश्वासन दिया क्योंकि जब अगले दिन जब भरत गंधैल के मंचन के लिए वे तालाब पर पहुंचे तो गंदगी पहले जैसी ही थी। फिर भी किसी तरह लीला कराने का फैसला लिया गया, लेकिन मंचन के दौरान ही देव स्वरूपों की तबियत खराब हो गयी।
श्रीराम के साथ धरने पर बैठी वानर सेना
उधर बनारस के चोलापुर क्षेत्र के ताड़ी गांव में पंचायत भवन पर राम. लक्ष्मण, हनुमान और वानर सेना धरने पर बैठ गई। हुआ यह कि जिस जगह ये लोग रामलीला करते थे उस जमीन पर किसी ने कब्जा कर लिया। इसके बाद सोमवार को रामलीला के पात्र राम, लक्ष्मण, हनुमान और उनकी वानर सेना धरने पर बैठ गए।
रामलीला समिति के अध्यक्ष डॉ. सुभाष पटेल ने बताया की रामलीला समिति ताड़ी की पांच बीघा जमीन है। जिसमें पंचायत भवन, रामलीला मैदान, हनुमान मंदिर, मेला स्थल, बारात स्थल है। इस जमीन को कुछ लोग कब्जाने की फिराक में हैं। जिसकी सूचना पुलिस को भी दी गई लेकिन इसके बावजूद जमीन पर कब्जा कर उसे जुतवा दिया गया।
गांव के प्रधान रविंद्र कुमार सिंह ने बताया की जमीन को नापी करा कर ही जोतना चाहिए था। जोताई करा देने से गांव में तनाव है।
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