राज्यसभा से भी पास हुआ महिला आरक्षण बिल, राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही बन जाएगा कानून, लेकिन लागू नहीं होगा

संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन महिला आरक्षण बिल राज्यसभा से भी पास हो गया। लोकसभा में यह बिल बुधवार को पास हो गया था। अब बिल राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। लेकिन बिल में मौजूद शर्तों के कारण यह कानून लागू नहीं होगा।

फोटो सौजन्य - संसद टीवी
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नवजीवन डेस्क

महिला आरक्षण बिल राज्यसभा से भी पास हो गया। राज्यसभा में गुरुवार (21 सितंबर, 2023) को दिन भर की बहस के बाद हुई वोटिंग में बिल के पक्ष में सदन में मौजूद 215 सांसदों ने वोट दिया। इसके विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा।

संसद के विशेष सत्र के चौथे दिन राज्यसभा में बिल पास होने के बाद अब इसे मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी मिलते ही विधेयक कानून बन जाएगा। इस कानून के तहत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित किया जाएगा। यह बिल लोकसभा में कल (बुधवार 20 सितंबर, 2023 को) पास हुआ था।

दोनों सदनों से पास होने और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने पर कानून बन जाने के बावजूद महिलाओं के अभी आरक्षण के लिए लंबा इंतजार करना होगा। इस विधेयक के प्रावधानों के मुताबिक इस बिल के कानून बन जाने के बाद होने वाली पहली जनगणना और फिर उस जनगणना के बाद होने वाले परिसीमन के बाद ही इस कानून को लागू किया जा सकेगा। मोटे तौर पर इस कानून को लागू होने में कई बरस लग सकते हैं।

इन्हीं प्रावधानों को लेकर विपक्ष ने आपत्ति उठाई थी और मांग की थी कि इन प्रावधानों को हटाकर इसे तुरंत लागू किया जाए। लेकिन सरकार ने इसे नहीं माना।


राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने महिला आरक्षण बिल पर बहस में हिस्सा लेते हुए कहा था कि, "महिला आरक्षण बिल में ओबीसी के लिए भी आरक्षण नहीं है। आप इसमें संशोधन कर सकते हैं, ओबीसी को आरक्षण दे सकते हैं। आप ओबीसी महिलाओं को पीछे क्यों छोड़ रहे हैं। क्या आप उन्हें साथ नहीं लेना चाहते। आप साफ कीजिए कि कब लागू करने वाले हैं, हमें तारीख और साल बताइए।"

मल्लिकार्जुन खड़गे ने कि इस बिल के लागू होने के लिए दो अनिवार्य शर्तें रख दी गई हैं, जनगणना और परिसीमन। उन्होंने पूछा कि आखिर महिला आरक्षण को इससे जोड़ने की क्या जरूरत है। खड़गे ने कहा कि जब हम पंचायतों में और नगर निकायों में आरक्षण दे सकते हैं तो इसके लिए जनगणना और परिसीमन की शर्त क्यों लगाई गई है।

मल्लिकार्जुन खड़गे का पूरा बयान नीचे दिए लिंक में सुन सकते हैं:

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