राजस्थान में महारानी वसुंधरा राजे की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है: सचिन पायलट

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा है कि राजस्थान उपचुनाव के नतीजे बीजेपी और पीएम मोदी की जनविरोधी नीतियों और भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता का आक्रोश है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार हर मोर्चे पर फेल हुई है।

फोटो: प्रमोद पुष्कर्णा
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विश्वदीपक

कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने नवजीवन से खास बातचीत में कहा कि कांग्रेस राजस्थान में चुनाव के लिए तैयार है। मैं बहुत स्पष्ट तरीके से और जोर देकर कहना चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी के अंदर कोई गुट नहीं है। कांग्रेस पार्टी के अंदर अगर कोई गुट है तो वह है राहुल गांधी का। सिर्फ और सिर्फ एक गुट है हमारी पार्टी का। हम सब लोग उसी गुट के हिस्सा हैं। अगर कांग्रेस पार्टी के अंदर इतनी गुटबाजी होती तो उपचुनाव में इतनी बड़ी जीत कैसे मिलती? ये सब बीजेपी का फैलाया हुआ दुष्प्रचार है। हाल ही में राजस्थान में तीन सीटों – दो लोकसभा और एक विधानसभा – के लिए हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की है।

राजस्थान के उपचुनाव में हुई जीत का श्रेय आप किसे देना चाहेंगे और इन नतीजों की व्याख्या आप कैसे करते हैं ?

सबसे पहली बात तो ये है कि इस जीत का श्रेय कांग्रेस पार्टी के लाखों कार्यकर्ताओं को जाता है, जिन्होंने जमीन पर वसुंधरा सरकार का डटकर मुकाबला किया। बीजेपी के कुशासन के खिलाफ संघर्ष करने वाले कांग्रेस पार्टी के नेता और कार्यकर्ता इस जीत के हकदार हैं।

दूसरी बात ये है अलवर-अजमेर में कांग्रेस ने सिर्फ जीत दर्ज की है, बल्कि भारी अंतर से जीत दर्ज की है। इस बात की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि ये दोनों सीटें पारंपरिक रूप से बीजेपी की मानी जाती हैं। कांग्रेस ने अलवर में लगभग दो लाख मतों के अंतर से जीत दर्ज की, जबकि अजमेर में लगभग 84 हजार अंतर से हम जीते। इसी तरह मांडलगढ़ विधानसभा में 12 हजार मतों से हम जीते। जाहिर है, इन नतीजों के बाद से कांग्रेस पार्टी का उत्साह काफी बढ़ गया है। 2014 में पूरे राजस्थान में कांग्रेस को एक सीट भी नहीं मिली थी। तीन साल के बाद इतने बड़े अंतर से जीत बेहद खास है।

ये नतीजा राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ है या फिर मोदी के खिलाफ?

एकतरफा तौर से ये नहीं कहा जा सकता कि ये नतीजा केन्द्र की मोदी सरकार के खिलाफ है या फिर बीजेपी के खिलाफ या फिर राज्य की वसुंधरा राजे सरकार के खिलाफ। मेरे ख्याल से ये तीनो बातें हमारी इस जीत में शामिल हैं। ये पूरी तरह से बीजेपी की हार है। जाहिर है, बीजेपी की हार कांग्रेस की जीत भी है।

मैं समझता हूं कि कि ये नतीजे बीजेपी की जनविरोधी नीतियों, कुशासन और भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता का आक्रोश है। लोगों ने कांग्रेस का दौर भी देखा है। वोट करने से पहले लोगों ने इस पर विचार किया होगा कि कांग्रेस के दौर में राज्य की हालत कैसी थी और आज कैसी हो गई है। वसुंधरा राजे का मुद्दा भी बड़ा है। उनकी साख तेजी से गिर रही है। अजमेर चुनाव जीतने के लिए उन्होंने पूरा जोर लगा दिया। अपने पूरे दल-बल के साथ उन्होंने अजमेर में डेरा डाल दिया था। उनके कैबिनेट के आधे से ज्यादा मंत्री अजमेर में प्रचार करते रहे, लेकिन जनता ने उन्हें खारिज कर दिया।

बीजेपी के भीतर ऐसा कहा जा रहा है कि उपचुनाव में हार के कोई बड़े अर्थ नहीं निकाले जाने चाहिए। उनका दावा है कि ये स्थानीय सत्ता विरोधी लहर थी। हाल में कई सर्वेक्षण आए हैं जिनमें कहा गया कि अगर आज चुनाव हो तो बीजेपी ही सरकार बनाएगी। आप इस पर क्या कहेंगे ?

देखिए, महारानी वसुंधरा राजे की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। बीजेपी के लोग कुछ भी कहते रहें, आखिर उपचुनाव के नतीजे क्या नतीजे नहीं हैं? क्या उपचुनाव में जनता वोट नहीं करती है? सीधी बात ये है कि न केवल केन्द्र की मोदी सरकार, बल्कि राज्य की वसुंधरा सरकार भी हर मुद्दे पर असफल साबित हुई है - चाहे किसानों की समस्या हो, बेरोजगारी की समस्या हो या फिर भ्रष्टाचार का मुद्दा हो। ललितगेट का मुद्दा लोग भूले नहीं हैं। अर्थव्यवस्था का हाल बुरा है। उपर से बीजेपी समाज में जाति-धर्म के नाम पर विभाजन को बढ़ावा दे रही है। एक वाक्य में कहना हो तो कहेंगे कि बीजेपी की सरकार जन विरोधी है। ऐसे में इन नजीतों का मतलब कितना बड़ा है इसका आप अंदाजा लगा सकते हैं।

फोटो: प्रमोद पुष्कर्णा
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कांग्रेस नेता सचिन पायलट

आप राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। अगर आज की तरीख में चुनावों की घोषणा हो जाए तो क्या कांग्रेस इसके लिए तैयार है ?

हमारी पार्टी चुनाव के लिए पूरी तरह से तैयार है। अजमेर, अलवर की हर रैली में हमने कहा था कि नए साल में हमें हमारे अध्यक्ष राहुल गांधी जी को जीत का तोहफा देना है। हमें खुशी है कि जनता ने हमारा मान रखा। हम राहुल जी को जीत का तोहफा देने में कामयाब रहे। उनके नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी चुनाव लड़ने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। राहुल जी की टीम बन चुकी है।

आप कहते हैं कि कांग्रेस चुनाव के लिए तैयार है, लेकिन आपके आलोचक कहते हैं कि राजस्थान में कांग्रेस दो गुटों में विभाजित है। एक गुट गहलोत का है और दूसरा आपका। ऐसे में कांग्रेस पार्टी कैसे पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ पाएगी ?

देखिए, मैं बहुत स्पष्ट तरीके से और जोर देकर कहना चाहता हूं कि कांग्रेस पार्टी के अंदर कोई गुट नहीं है। कांग्रेस पार्टी के अंदर अगर कोई गुट है तो वह है राहुल गांधी का। सिर्फ और सिर्फ एक गुट है हमारी पार्टी का। हम सब लोग उसी गुट के हिस्सा हैं। अगर कांग्रेस पार्टी के अंदर इतनी गुटबाजी होती तो उपचुनाव में इतनी बड़ी जीत कैसे मिलती? ये सब बीजेपी का फैलाया हुआ दुष्प्रचार है। गहलोत जी ने, जोशी जी ने, हम सबने कांग्रेस पार्टी की जीत के लिए कड़ी मेहनत की है।

एक संभावना पर बात करते हैं। आप युवा हैं, तेजतर्रार हैं। क्या कांग्रेस पार्टी आपके चेहरे के साथ चुनाव में उतरेगी या फिर पारंपरिक रणनीति को ही कांग्रेस लागू करेगी ?

कांग्रेस की परंपरा है कि चुनाव जीतने के बाद विधायक दल की बैठक होती है और उसमें मुख्यमंत्री का चयन किया जाता है। जहां तक मेरी बात है तो मैं दस साल सांसद रहा। यूपीए सरकार में मंत्री भी रहा। पार्टी ने 35 साल की उम्र में प्रदेश का कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया। सिर्फ मुझे ही नहीं, बल्कि पार्टी ने हर किसी को मौका दिया है। अशोक गहलोत जी दो बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे। वे केन्द्र में भी मंत्री रहे। इसी तरह जोशी जी भी रेल मंत्री रहे। मेरे हिसाब से सवाल ये नहीं है कि पार्टी हमें क्या देगी। सवाल ये है कि हम पार्टी को क्या देंगे। पार्टी ने हमें बहुत दिया है। अब हमारी बारी है कि हम पार्टी को दें।

आपकी क्या रणनीति होगी आने वाले चुनाव में ? किन मुद्दों के साथ आप चुनाव में जाएंगे ?

हमारी रणनीति जनता के मुद्दों पर केन्द्रित होगी। किसानों की समस्याएं, महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ हम राहुल जी के नेतृत्व में पूरी ताकत से मिलकर चुनाव लड़ेंगे।

राहुल गांधी ने गुजरात में बीजेपी के खिलाफ आक्रामक चुनाव प्रचार किया। उनकी शैली देखकर लगा कि मंदिरों में जाना उनकी रणनीति का हिस्सा था। क्या राजस्थान में भी राहुल गांधी - जैसा कि उनके आलोचक कहते हैं – मंदिर पॉलिटिक्स या फिर सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति का इस्तेमाल करेंगे ?

ये बहुत हास्यास्पद है। मैं पूछता हूं कि बीजेपी के पेट में क्यों दर्द होता है जब राहुल जी मंदिर जाते है ? कोई भी कहीं भी जाए। मंदिर जाएं, मस्जिद जाएं , गुरुद्वारा जाएं - क्या फर्क पड़ता है। ये हर किसी का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन बीजेपी तो संविधान ही बदलना चाहती है। उन्हें तकलीफ इसलिए हो रही है क्योंकि राहुल जी के मंदिर जाने से इतने महान और उदार धर्म के पर बीजेपी ने जो कट्टरता का नकाब चढ़ा रखा है वह उतर जाता है, इसीलिए उन्हें डर लगता है।

आजकल वन नेशन, वन इलेक्शन का मुद्दा काफी गर्म है। अगर मोदी सरकार एक साथ का ऐलान करती है और विधानसभा-लोकसभा के चुनाव साथ होते हैं तो क्या कांग्रेस को फायदा होगा ?

चुनाव का ऐलान करना बेशक सरकार के हाथ में है, लेकिन एक साथ पूरे देश में विधानसभा और लोकसभा का चुनाव कराना संविधान के खिलाफ है। ये हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा के चुनाव एक साथ तो करा नहीं सके तो पूरे देश में कैसे एक साथ चुनाव करा पाएंगे। उपचुनाव भी तो एक साथ नहीं करा पाए। राजस्थान में अभी उपचुनाव हुए हैं, लेकिन यूपी और महाराष्ट्र में होना बाकी है। ये सब कैसे होगा? मूल बात ये है कि बीजेपी किसी भी तरीके से सत्ता पर कब्जा करना चाहती है, चाहे इसके लिए संविधान को ही क्यों न उखाड़ कर फेंकना पड़े। फिर भी अगर एक साथ चुनाव होता है तो मुझे पूरा यकीन है कि देश की जनता कांग्रेस पार्टी को ही जिताएगी।

कांग्रेस की जीत में आपके यकीन का क्या आधार है ?

इसको सिर्फ पार्टी की जीत से मत जोड़िए। असल में ये जनता की जीत होगी। देश की जनता अब बीजेपी के कुशासन और भय के राज से मुक्ति चाहती है। पूरे देश में चारों तरफ भय और भ्रष्टाचार का माहौल है। मैं और मेरी पार्टी पूरी तरह से तैयार हैं चुनाव लड़ने के लिए। हम चुनाव में जाएंगे और बीजेपी को परास्त करेंगे।

बीजेपी को परास्त करने में आप दूसरों की मदद भी लेंगे ? राजस्थान में बीजेपी के असंतुष्ट नेता घनश्याम तिवाड़ी अक्सर मोदी-अमित शाह और वसुंधरा राजे के खिलाफ बोलते रहे हैं। क्या घनश्याम तिवाड़ी जैसे नेताओं के साथ कांग्रेस हाथ मिलाएगी ?

घनश्याम तिवाड़ी जी सूबे के सम्मानित नेता हैं। वे बीजेपी के सदस्य भी हैं। जब भी मिलते हैं हमारा दुआ-सलाम होता है, लेकिन इस बारे में कभी कोई बात नहीं हुई। पर मेरा मानना है कि चुनाव में एक समान सोच वाले लोगों को साथ लेने में किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी। जिस किसी को भी राहुल गांधी के नेतृत्व पर और कांग्रेस की सोच पर यकीन है, उसका स्वागत है। बस एक बात ये ध्यान रखने की है कि राजस्थान में लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच में ही होगी। इसलिए किसी तीसरे दल या मोर्चे की गुंजाइश नहीं है।

बीजेपी आरोप लगाती है कि कांग्रेस पार्टी अल्पसंख्यकों की राजनीति करती है। गुजरात चुनाव के दौरान कहा गया कि कांग्रेस ने सॉफ्ट हिंदुत्व की पॉलिटिक्स की और अल्पसंख्यकों के मुद्दों को जोर-शोर से नहीं उठाया। इस पर आप क्या कहेंगे ?

ये सारी बातें निराधार हैं। बीजेपी ऐसा दुष्प्रचार करती रही है पहले भी। सच्चाई ये है कि हमने कभी भी जाति या धर्म की राजनीति नहीं की। हम समाज को बांटकर राजनीति नहीं करते। हमने किसानों के संकट से लेकर मॉब-लिचिंग के मुद्दे पर - हर जगह - संड़क से लेकर संसद तक बीजेपी को चुनौती दी है। हम आगे भी ऐसा ही करते रहेंगे।

आप दिल्ली के राजनीतिक गलियारों में कम दिखते हैं। क्या कारण है ?

मेरी जवाबदेही जनता के प्रति है। मैं सड़क की राजनीति करता हूं, इसलिए सत्ता के गलियारों में कम दिखता हूं। राजस्थान की जनता से मेरा भावनात्मक जुड़ाव है। मैं उनके बीच रहता हूं, उनके मुद्दों को उठाता हूं, उनके साथ काम करता हूं, ताकि उनको लगे कि कोई उनके दर्द को भी आवाज दे रहा है। राजस्थान की जनता को लगने लगा है कि कांग्रेस पार्टी उनकी आवाज है। यही मेरी उपलब्धि है। इस आवाज के सामने बीजेपी का शोर-गुल, झूठा प्रचार हारेगा।

मोदी सरकार के अब तक के कार्यकाल को आप कैसे आंकते हैं ? एक प्रधानमंत्री के तौर पर नरेन्द्र मोदी का आप कैसे मूल्यांकन करते हैं ?

देखिए,मोदी जी हमारे भी प्रधानमंत्री हैं। देश की जनता ने उन्हें चुना है, इस नाते उनका सम्मान है। लेकिन, वे जितना झूठ बोलते हैं और जितनी सहजता और आत्मविश्वास के साथ बोलते हैं, वह कल्पना से परे है। उनकी सरकार के चार साल होने को हैं, लेकिन उन्होंने कोई वादा पूरा नहीं किया है - चाहे वह दो करोड़ रोजगार सृजन का हो या फिर हर खाते में 15 लाख रुपए देने का वादा या फिर विकास के बड़े-बड़े वादे। इनके सारे वादे अब तक जुमले साबित हुए हैं। राहुल जी ने ठीक कहा था कि ये सूट-बूट की सरकार है। इसमें एक वाक्य और जोड़ लीजिए कि ये जुमलों की सरकार है। एक खत्म नहीं होता कि दूसरा शुरू हो जाता है।

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Published: 05 Feb 2018, 2:28 PM