बीजेपी-शिंदे की रैली में राज ठाकरे के सुर पर लगा विराम, मोदी ने भी बनाकर रखी हाथ भर की दूरी
राज ठाकरे ने शुक्रवार को पीएम मोदी के साथ मंच तो साझा किया, लेकिन उनके सुरों पर लगी लगाम साफ जाहिर हुई। वे न तो उत्तर भारतीयों के मुद्दे पर बोले और न ही उद्धव की शिवसेना या गुजरातियों पर कुछ कहा। इस दौरान पीएम मोदी ने भी उनसे दूरी बनाए रखी।
मुंबई में शिवाजी पार्क मैदान पर आयोजित चुनावी सभा में मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे से थोड़ी दूरी बनाकर रखी। मोदी और राज के बीच एक कुर्सी का फासला था। राज को मोदी की बगल वाली कुर्सी पर बैठने का मौका नहीं मिला। मोदी के बगल में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनके बाद राज को जगह मिली थी। दूसरी तरफ मोदी के बगल में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बैठे थे।
इस सभा में खासतौर से मनसे और राज ठाकरे समर्थकों को उम्मीद थी कि राज अपने अंदाज में गरजेंगे। लेकिन, उनके सुर पर लगाम लगा हुआ था। राज ने मराठी भाषा का मुद्दा जरूर उठाया लेकिन भूमिपुत्रों की अस्मिता को लेकर वो चुप रहे। राज की स्थिति थोड़ी ऐसी रही मानो उन पर बीजेपी का दबाव हो।
शिवतीर्थ पर पहले शिंदे और फडणवीस गए और राज को अपने साथ गाड़ी में बिठाकर मंच पर ले गए। इस नाटक से ऐसा लगा कि राज अपने तेवर से इस सभा में जान फूंक देंगे। लेकिन राज ने मोदी से अपेक्षा की कि अगले पांच सालों में उनकी पांच मांगों को पूरी कर दें। उनकी इन मांगों में मराठी भाषा को अभिजात दर्जा देने, मराठा इतिहास को पाठ्यक्रम में शामिल करने, समंदर में शिवाजी का स्मारक जल्द बनाने और लोकल ट्रेन सेवा की रफ्तार बढ़ाना शामिल था।
राज ने न तो अपने चचेरे भाई उद्धव ठाकरे पर कुछ बोला और न ही विपक्ष पर। वैसे, मोदी ने राज के मराठी प्रेम का जवाब यह कहकर दिया कि मराठी भाषा को शिक्षा में महत्व दिया गया है। अब मराठी भाषा में इंजीनियरिंग और मेडिकल की शिक्षा मिलेगी।
तीन दिनों के अंदर ही मोदी दूसरी बार मुंबई आए थे। इससे पहले 15 मई को उन्होंने घाटकोपर में रोड शो किया था जिसकी विपक्ष और मुंबईकरों ने खूब आलोचना की थी। क्योंकि, उनका रोड शो उसी इलाके में था जहां पर होर्डिंग दुर्घटना से 16 लोगों की मौत हो गई थी। मोदी ने उनके प्रति संवेदना तक नहीं व्यक्त की। अब जब 20 मई को आखिरी चरण में महाराष्ट्र में मतदान होना है तो उससे पहले वह 13 सीटों में मुंबई की छह सीटों के उम्मीदवारों के लिए वोट मांगने आए थे।
रोड शो की खूब आलोचना होने के बाद मोदी के लिए एयरपोर्ट से लेकर शिवाजी पार्क के बीच कहीं भी उनके स्वागत का कार्यक्रम नहीं रखा गया था। यहां तक कि एयरपोर्ट पर उनके स्वागत के लिए शिंदे और फडणवीस भी नहीं गए थे। ये दोनों राज को संभाल रहे थे। मोदी एयरपोर्ट से सीधे दादर स्थित चैत्यभूमि पर जाकर डॉ. बाबा साहेब आंबेडकर को और सभा स्थल के पास ही सावरकर स्मारक पर भी पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद वह सीधे मंच पर चले गए। मंच पर भाषण खत्म होने के बाद मोदी ने मंच के पीछे ही बाल ठाकरे के स्मारक पर जाकर पुष्पांजलि दी। उन्होंने पहले पुष्पांजलि क्यों नहीं दी, यह पता नहीं है। लेकिन वह उद्धव ठाकरे को बाल ठाकरे के नकली पुत्र कह चुके हैं।
इस सभा में राज और मोदी के मंच साझा करने को बीजेपी ने इसे खूब प्रचारित किया था। लेकिन मंच पर राज इतने ठंडे रहेंगे इसकी कल्पना उनके मनसैनिकों ने भी नहीं की होगी। राज ने जब मोदी को बिना शर्त समर्थन दिया तो इस चर्चा को बल मिला कि खासकर उत्तर भारतीय और गुजराती वोट बीजेपी से कट सकते हैं। जाहिर-सी बात है कि राज उत्तर भारतीयों के लिए आज भी सबसे बड़े दुश्मन हैं और मराठी साइनबोर्ड को लेकर मारपीट करने से गुजराती व्यापारी भी डरे हुए रहते हैं।
राज की पार्टी के कार्यकर्ताओं अपनी हठधर्मी की शुरुआत कई बरस पहले कल्याण रेलवे स्टेशन में उत्तर प्रदेश और बिहार से रेलवे की परीक्षा देने आए छात्रों की जमकर पिटाई से की थी। इसके बाद फेरीवालों पर राज के लोग हमला करते रहे हैं। मोदी को समर्थन देने के बाद ठाणे में शिंदे के उम्मीदवारों के पक्ष में रैली को सम्बोधित करते हुए राज ने फिर से उत्तर भारतीयों के खिलाफ जहर उगला था। इसके बाद कल्याण और मुंबई के उत्तर भारतीय सहमे हुए हैं और बीजेपी के खिलाफ हो गए हैं।
शायद यह रिपोर्ट मोदी तक पहुंची होगी। तभी मोदी के साथ मंच साझा करने के दौरान राज पर लगाम लगाया गया होगा। लेकिन राज की चुप्पी से बीजेपी को चुनाव में कितना फायदा होगा इस बारे में कुछ कहना मुश्किल है। क्योंकि, राज ने मनसैनिकों को यह नहीं कहा कि वे किसे वोट देंगे।
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