राफेल सौदे में फ्रांस सरकार से गारंटी मिली नहीं, और चोर दरवाज़े से बढ़ा दी गई कीमत: कांग्रेस
कांग्रेस ने पीएम मोदी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि इस मामले में लगातार बोले जा रहे झूठ से संदेह की सूई सीधे प्रधानमंत्री मोदी की ओर घूम रही है।
कांग्रेस ने राफेल सौदे को लेकर सामने आए नए तथ्यों के हवाला देकर एक बार फिर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा कि नए खुलासे से साफ है कि राफेल घोटाले में किस हद तक भ्रष्टाचार हुआ है।
कांग्रेस ने पीएम मोदी पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि इस मामले में लगातार बोले जा रहे झूठ से संदेह की सूई सीधे प्रधानमंत्री मोदी की ओर घूम रही है।
कांग्रेस ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने राफेल का ‘बेंचमार्क मूल्य’ 3 बिलियन यूरो यानी 22,743 करोड़ रुपए बढ़ा दिया। कांग्रेस ने रक्षा मंत्रालय में मई, 2016 तक हेड ऑफ फाईनेंस रहे सुधांशु मोहंती की बात का हवाला देते हुए कहा कि राफेल लड़ाकू जहाजों के लिए ‘बेंचमार्क मूल्य’ 5.2 बिलियन यूरो (39,422 करोड़ रुपए) से बढ़ाकर 8.2 बिलियन यूरो (62,166 करोड़ रूपए) करना मोदी सरकार के भ्रष्टाचार को दर्शाता है।
कांग्रेस ने यह सवाल उठाया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने 8.2 बिलियन यूरो का इतना बड़ा ‘बेंचमार्क मूल्य’ स्वीकार ही क्यों किया?
राफेल डील से फ्रांस की सरकार द्वारा संप्रभु गारंटी की शर्त हटाने को लेकर भी कांग्रेस ने मोदी सरकार को घेरा है। कांग्रेस ने बताया कि 24 अगस्त, 2018 को प्रधानमंत्री मोदी ने एक कच्ची रसीद को स्वीकार कर लिया जिसे ‘लेटर ऑफ कम्फर्ट’ कहते हैं और इसके साथ ही ‘बैंक गारंटी/फ्रेंच गवर्नमेंट्स सोवरेन गारंटी’ की शर्त हटा ली गई। कांग्रेस ने पूछा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने रक्षा सौदे की प्रक्रिया को ताक पर रखकर ‘बैंक गारंटी/फ्रेंच गवर्नमेंट्स सोवरेन गारंटी’ की शर्त हटाकर देशहित के साथ समझौता क्यों किया?
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी इसे लेकर मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा, “राफेल के पिटारे से एक नया जिन्न निकला है। फ्रांस सरकार की तरफ से डील के समर्थन में कोई गारंटी नहीं दी गई है। लेकिन हमारे प्रधानमंत्री का कहना है कि फ्रांस की तरफ से आस्थावान रहने का एक पत्र दिया गया है! इस सौदे को सरकार से सरकार के बीच हुआ समझौता कहने के लिए क्या यह बात काफी है?”
कांग्रेस ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने भारत और फ्रांस के बीच मध्यस्थता की शर्त हटाकर इस डील को सप्लायर कंपनी डसॉल्ट एविएशन और भारत सरकार के बीच मध्यस्थता में परिवर्तित कर दिया।
इन तथ्यों से साफ है कि राफेल डील में हुई अनियमितता के मामले निकट भविष्य में खत्म नहीं होने वाले हैं।
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