आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बने रहने पर लटकी तलवार, फिर से राज्यसभा भेजने पर JDU में मची रार

ललन सिंह और आरसीपी सिंह में तब खटास आई जब जेडीयू के अध्यक्ष रहते आरसीपी सिंह ने मोदी सरकार के दूसरे कैबिनेट विस्तार में खुद के लिए एक मंत्री पद ले लिया था। अब राज्यसभा सीट पर फैसला ललन सिंह के हाथ में होने से आरसीपी सिंह की राह आसान नहीं मानी जा रही है।

फोटोः IANS
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नवजीवन डेस्क

बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल-युनाइटेड (जेडीयू) के शीर्ष नेतृत्व ने अभी तक राज्यसभा के लिए अपने सभी उम्मीदवारों को अंतिम रूप नहीं दिया है, जिससे केंद्रीय इस्पात मंत्री आर.सी.पी. सिंह का भविष्य अधर में है। मोदी सरकार में जेडीयू के एकमात्र प्रतिनिधि सिंह का उच्च सदन का कार्यकाल इस साल 7 जुलाई को समाप्त हो रहा है।

जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने सोमवार को राज्यसभा चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवारों में से एक के रूप में अनिल हेगड़े के नाम की घोषणा की, लेकिन एक अन्य सीट पर अभी फैसला नहीं लिया है। सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और ललन सिंह समेत जेडीयू का शीर्ष नेतृत्व सिंह को संसद के ऊपरी सदन में भेजने को तैयार नहीं है। जब राज्यसभा के लिए उम्मीदवारों के चयन की बात आती है, तो पार्टी के नेता नीतीश कुमार पर भार डालते थे, लेकिन वह इस बार निर्णय लेने के लिए आगे नहीं आ रहे हैं।


किंग महेंद्र के निधन के बाद खाली हुई राज्यसभा सीट के लिए ललन सिंह ने सोमवार को पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार के रूप में हेगड़े के नाम की घोषणा की। पार्टी के पास अपने कोटे के तहत एक सीट है, लेकिन जिस तरह से नीतीश कुमार इस मुद्दे से दूर रह रहे हैं, उससे लगता है कि उन्होंने आरसीपी सिंह के भाग्य का फैसला करने की जिम्मेदारी ललन सिंह को दे दी है।

वहीं ललन सिंह और आरसीपी सिंह के संबंधों में तब से खटास देखी जा रही है जब जेडीयू के अध्यक्ष रहते आरसीपी सिंह ने नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कैबिनेट विस्तार के दौरान खुद के लिए एक मंत्री पद ले लिया था। पार्टी ने उन्हें बीजेपी के साथ दो कैबिनेट और दो राज्य स्तर के मंत्री पद के लिए बातचीत करने की जिम्मेदारी दी थी, लेकिन सिंह ने खुद अकेले मंत्री बनने का फैसला किया।

उस मौके पर ललन सिंह की नजर नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने पर भी थी। सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने ललन सिंह को पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद दे दिया था। ऐसे में अब राज्यसभा सीट पर उम्मीदवार का फैसला सीधे ललन सिंह के हाथ में होने से आरसीपी सिंह का दोबारा उच्च सदन जाना आसान नहीं माना जा रहा है।

आरसीपी सिंह के लिए यह जानना दिलचस्प होगा कि कितने विधायक उनका समर्थन कर रहे हैं। अगर वह शीर्ष नेतृत्व के सामने अपनी ताकत दिखाने में कामयाब हो जाते हैं, तो वह नीतीश कुमार और ललन सिंह के साथ राज्यसभा सीट के लिए सौदेबाजी करने की स्थिति में हो सकते हैं।

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