पुणे: निजी स्कूल का तुगलकी फरमान, छात्राओं को खास रंग का इनरवियर पहनने का दिया निर्देश
पुणे के निजी स्कूल ने छात्राओं के लिए अजीबो गरीब नियम जारी किए हैं। स्कूल प्रशासन ने छात्राओं को खास रंग के इनरवियर पहनने की अनिवार्यता जारी करने के साथ टॉयलेट इस्तेमाल करने के लिए विशेष समय तय कर दिया है।
महाराष्ट्र के पुणे में एक निजी स्कूल के द्वारा तुगलकी फरमान की वजह से विवाद खड़ा हो गया है। स्कूल प्रबंधन ने छात्राओं के लिए अजीबो-गरीब फरमान सुनाते हुए कहा कि छात्राओं को स्कूल में खास रंग के इनर वियर पहनकर ही आना है। इसके अलावा स्कूल ने छात्राओं के लिए 20 से 25 जटिल नियमों की लिस्ट बना दी है। स्कूल के नियमों को नहीं मानने पर जुर्माना लगाने का भी ऐलान कर दिया। खबरों के मुताबिक, यह मामला पूणे के एमआईटी विश्वशांति गुरूकुल स्कूल का है।
स्कूल के इस अजीबोगरीब नियम को लेकर अभिभावक नाराज है। इसके खिलाफ अभिभावक स्कूल के बाहर जमा हुए और विरोध जताया।
स्कूल का शैक्षणिक सत्र पिछले महीने ही शुरू हो गया था इसके बावजूद इस महीने की 2 तारीख को स्कूल प्रशासन की ओर से विद्यार्थियों को डायरी दी गई जिसमे नियमों की लंबी सूची थी जिन्हें मानना सभी विद्यार्थियों के लिए जरूरी बताया गया। स्कूल की डायरी में ऐसे नियमों का जिक्र हैं कि छात्र एक से अधिक समय में टॉयलेट नहीं जा सकते। इतना ही नहीं एक निश्चित समय तय किया गया है जिसके बीच में ही छात्र और छात्रा टॉयलेट करने या पानी पीने जा सकते है।
खबरों के मुताबिक, अभिभावकों से लिखित में यह मांगा गया है कि यदि विद्यार्थी किसी भी नियम की पालना नहीं करता है तो ऐसे में स्कूल परिजनों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा सकता है। इसी के साथ नियमों की पालना नहीं करने पर विद्यार्थियों को हर नियम के अनुसार तय जुर्माना भी देना होगा। अभिभावकों को इस पर हस्ताक्षर करने के लिए भी कहा गया है।
क्या है नया नियम?
- कोई भी छात्रा सफेद और स्किन कलर के अलावा किसी अन्य रंग का इनर वियर नहीं पहन सकती।
- आपातकालीन स्थिति को छोड़कर स्कूल का टॉयलेट का तय समय पर ही इस्तेमाल किया जाएगा।
- पीने के पानी और बिजली अनावश्यक रूप से इस्तेमाल करते पाए जाने पर छात्रों पर जुर्माना लगेगा।
- अगर सेनेटरी पैड्स को सही तरह से तय डिब्बे में नहीं डाला गया तब भी स्कूब प्रबंधन 500 रुपए का जुर्माना वसूलेगा।
- अभिभावक स्कूल के खिलाफ कोई आंदोलन नहीं कर सकते हैं।
- अभिभावक इस संबंध में प्रबंधन और मीडिया से संवाद करने की भी मंजूरी नहीं है।
इस मामले में सफाई देते हुए एमआईटी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट की कार्यकारी निदेशक डॉ सुचित्रा कराद नागारे ने बताया कि स्कूल डायरी में ऐसे नियमों का उल्लेख करना और उनकी पालना का निर्देश देने का इरादा बहुत शुद्ध था। हमारे पास कोई छुपा एजेंडा नहीं था। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व में कुछ अनुभवों के आधार पर यह निर्णय लिया गया।
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