विवादित IAS खेडकर के खिलाफ जांच तेज, पुणे RTO ने लाल बत्ती लगी ऑडी की मालिक कंपनी को नोटिस भेजा
पुणे कलेक्टर कार्यालय में उनके आचरण के अलावा, यह भी आरोप है कि खेडकर ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में पद हासिल करने के लिए दिव्यांगता और ओबीसी कोटा का दुरुपयोग किया। वह यूपीएससी परिक्षा में ओबीसी और दृष्टिबाधित अभ्यर्थी के रूप में शामिल हुई थीं।
महाराष्ट्र की विवादित ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। दरअसल आरटीओ ने पुणे की उस निजी कंपनी को नोटिस जारी किया है जिसके नाम पर वह ऑडी कार पंजीकृत है, जिस पर लाल बत्ती लगाकर पूजा खेडकर यहां अपनी तैनाती के दौरान इस्तेमाल करती थीं। आरोप है कि खेडकर ऑडी पर अवैध रूप से लाल बत्ती लगाकर और महाराष्ट्र सरकार लिखकर इस्तेमाल करती थीं। पुणे क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय ने गुरुवार को कंपनी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की।
आरटीओ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा, “पुणे आरटीओ ने गुरुवार शाम को पुणे स्थित एक निजी लिमिटेड कंपनी को नोटिस जारी किया, जिसके नाम पर एमएच-12/एआर-7000 नंबर वाली कार पंजीकृत है। पंजीकृत उपयोगकर्ता के पते के रूप में हवेली तालुका के शिवाने गांव का उल्लेख किया गया था।” उन्होंने कहा, “नोटिस में कंपनी को निरीक्षण के लिए वाहन को तुरंत आरटीओ कार्यालय में पेश करने को कहा गया है।” उन्होंने कहा कि पुणे आरटीओ ने अपने उड़न दस्ते को वाहन का पता लगाने और आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर हाल ही में उस समय सुर्खियों में आईं जब उन्होंने पुणे में अपनी तैनाती के दौरान अलग कक्ष और स्टाफ जैसी अपनी मांगों को लेकर विवाद खड़ा कर दिया था। उन्होंने कथित तौर पर ऑडी कार पर लाल बत्ती का इस्तेमाल किया और बिना अनुमति के उस पर ‘महाराष्ट्र सरकार’ भी लिखवाया। विवाद के बाद, प्रशिक्षण पूरा होने से पहले ही उन्हें पुणे से वाशिम जिले में स्थानांतरित कर दिया गया। खेडकर ने अब विदर्भ क्षेत्र के वाशिम जिला कलेक्टरेट में सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभाल लिया है।
पुणे के कलेक्टर कार्यालय में उनके आचरण के अलावा, यह भी आरोप है कि खेडकर ने प्रतिष्ठित भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में पद हासिल करने के लिए दिव्यांगता प्रावधान और अन्य पिछड़ा वर्ग कोटा का दुरुपयोग किया। पूजा खेडकर यूपीएससी की परिक्षा में ओबीसी और दृष्टिबाधित अभ्यर्थी के रूप में शामिल हुई थीं। उन्होंने मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र भी जमा कराया था। लेकिन एम्स में जांच के लिए शामिल होने के लिए कई बार कहे जाने पर भी वह कभी भी जांच शामिल नहीं हुईं।
पूजा खेडकर मामले को लेकर केंद्र सरकार ने भी जांच के लिए एक कमेटी का गठन कर दिया है। खेडकर मामले को लेकर डीओपीटी के अतिरिक्त सचिव मनोज द्विवेदी ने जांच शुरू कर दी है। कमेटी इस बात की भी जांच करेगी कि क्या पूजा ने गलत तरीके से ओबीसी कोटे का इस्तेमाल किया है। सूत्रों के मुताबिक अगर इस जांच में खेडकर दोषी पाई गईं तो उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है। उनके खिलाफ तथ्यों को छुपाने और गलत बयान का भी आरोप है। अगर ये आरोप भी सही साबित हुए तो इनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई भी हो सकती है।
गौरतलब है कि पूजा खेडकर यूपीएससी परिक्षा में ओबीसी और दृष्टिबाधित अभ्यर्थी के रूप में शामिल हुईं। उन्होंने मानसिक बीमारी का प्रमाण पत्र भी जमा कराया था। यूपीएससी ने अप्रैल 2022 में मेडिकल जांच के लिए दिल्ली एम्स में पेश होने के लिए कहा था, लेकिन वो जांच के लिए उपस्थित नहीं हुईं। ऐसा उन्होंने छह बार किया। इसके बाद उन्होंने एक निजी जांच केंद्र की एमआरआई रिपोर्ट पेश की। हालांकि, यूपीएससी ने उसे मानने से इनकार कर दिया। यूपीएससी ने खेडकर के चयन को सीएटी में चुनौती दी। कैट ने भी 23 फरवरी 2023 को पूजा के खिलाफ फैसला सुनाया। लेकिन इसके बाद अचानक पूजा की एमआरआई सर्टिफिकेट को स्वीकार कर आईएएस के रूप में उनकी नियुक्ति की पुष्टि कर दी गई।
पूजा खेडकर के साथ एक और विवाद उनकी संपत्ति को लेकर है। पूजा के पिता ने चुनाव के समय दिए हलफनामे में अपनी कुल संपत्ति 40 करोड़ रुपये से अधिक की बताई है। इतनी संपत्ति होने के बाद भी पूजा का ओबीसी सर्टिफिकेट सवालों के घेरे में है। पूजा के पिता के पास 110 एकड़ खेती योग्य जमीन भी है, जो सीलिंग एक्ट का उल्लंघन है। पूजा के पास भी 17 करोड़ रुपये की संपत्ति है। इतनी संपत्ति होने के बाद पूजा खेडकर के पास ओबीसी का प्रमाण पत्र होना सवालों के घेरे में है। हालांकि, अब उनके खिलाफ शुरू हुई चौतरफा जांच में सब साफ होने की उम्मीद है।
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