पत्रों की राजनीति: सीसीजी के खुले पत्र के जवाब में सामने आए करीब 200 पूर्व जज-अधिकारी, कहा- देश में सब चंगा सी
कंस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप नाम के समूह ने एक खुला पत्र लिखकर प्रधानमंत्री से देश में बढ़ रही सांप्रदायिक नफरत वाली हिंसा को खत्म करने की अपील की थी। इसके जवाब में करीब 200 पूर्व अधिकारी और जज सामने आए हैं मोदी की नीतियों का समर्थन करते हुए सीसीजी का मजाक उड़ाया है।
अभी कुछ दिन पहले देश कुछ रिटायर्ड जजों, ब्यूरोक्रेट्स और अफसरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला पत्र लिखकर देश में अल्पसंख्यकों और खासतौर से मुसलमानों के खिलाफ पर विशेष रूप से बीजेपी शासित राज्यों में हो रही हिंसा पर उनकी खामोशी को लेकर सवाल उठाए थे। इस पत्र के जवाब में अब ऐसे ही रिटायर्ड जज, ब्यूरोक्रेट्स, सेनाधिकारी समेत 197 महत्वपूर्ण लोग खुलकर सामने आए हैं और उन्होंने भी एक पत्र लिखकर पीएम मोदी को खुला समर्थन दिया है।
इन लोगों ने मौजूदा शासन की आलोचना करने वालों को “खुद पर ध्यान आकर्षित करने की कोशिश करने वाला” कहा है कि वे कथित तौर पर सामाजिक उद्देश की उच्च भावना का दावा करते हैं लेकिन देश के हालात वैसे नहीं हैं जैसे कि बताए जा रहे हैं।
न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के मुताबिक इन लोगों ने पत्र में कहा है कि यह लोग हाल के विधानसभा चुनावों में से यह साबित होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी की छवि अच्छी है और उन्हें आम लोगों का पूर्ण समर्थन है, ये लोग निराश हो गए हैं और उसी हताशा को जाहिर करने के लिए ऐसी बातें कर रहे हैं। मोदी समर्थक ग्रुप ने कहा है कि जो लोग मोदी का विरोध करते हैं उन्हें लगता है कि वे आम जनता की मोदी को लेकर राय बदल सकते हैं।
बता दें कि अभी 26 अप्रैल को कंस्टीट्यूशनल कंडक्ट ग्रुप नाम के समूह ने प्रधानमंत्री को खुला पत्र लिखा था जिसमें बीजेपी शासित राज्यों में बढ़ती सांप्रदायिक नफरत और हिंसा पर चिंता जताई गई थी। इस ग्रुप में तमाम पूर्व नौकरशाह, जज आदि शामिल हैं।
लेकिन मोदी समर्थक ग्रुप ने लिखा है कि देश के हालात पर उंगली उठाने वालों ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा का जिक्र तक नहीं किया है। उन्होंने कहा है, “पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा पर सीसीजी की जानबूझकर चुप्पी इस बात का संकेत हैं कि देश के मुद्दों पर इनके विचार असैद्धांतिक हैं।”
मोदी विरोधी ग्रुप ने अपने खुले पत्र में लिखा था कि, “पिछले कुछ वर्षों और महीनों में कई राज्यों-असम, दिल्ली, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेष रूप से मुसलमानों के खिलाफ घृणात्मक हिंसा में वृद्धि हुई । सिर्फ दिल्ली को छोड़कर इन सभी राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं, लेकिन दिल्ली में पुलिस का नियंत्र केंद्र सरकार के पास है। इन घटनाओं ने अब भयावह रूप ले लिया है।“
पत्र में यह लिखते हुए कि “आपकी (प्रधानमंत्री की) खामोशी चिंता बढ़ाने वाली है”, पूर्व नौकरशाहों और जजों आदि ने पीएम से अपील की थी कि देश में हिंसा की राजनीति खत्म करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए। पत्र में आगे कहा गया था कि, ” ऐसा लगता है कि मुसलमानों के खिलाफ नफरत और द्वेष ने खुद को उन राज्यों के संस्थानों और शासन की प्रक्रियाओं में गहराई से समाहित कर लिया है, जिनमें बीजेपी की सरकार है।”
लेकिन मोदी समर्थक समूह का दावा है कि बीजेपी सरकार के शासन में सांप्रदायिक हिंसा की बड़ी वारदातों में जबरदस्त कमी आई है। इन समूह ने कहा है, “सीसीजी को एक राष्ट्र विरोधी, धार्मिक और वाम चरमपंथी नजरिए को वैचारिक कवच नहीं देना चाहिए, लेकिन वे ऐसा ही करते हुए दिख रहे हैं।” इस समूह ने पत्र में लिखा है कि, “हम, चिंतित नागरिक, निहित स्वार्थों के घिनौने जोड़-तोड़ की निंदा करते हैं और सभी सही सोच वाले नागरिकों से आग्रह करते हैं कि वे हमारे महान राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखने के लिए उन्हें बेनकाब करें।“
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