एक बार फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के मुद्दें उठाएंगी प्रियंका गांधी, 7 मार्च को मेरठ में किसान पंचायत
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी 7 मार्च को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ में किसान महापंचायत में हिस्सा लेंगी। यह महापंचायत उस श्रंखला का हिस्सा है जिसके तहत कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के समर्थन में कर रही है।
कांग्रेस महासचिव प्रभारी प्रियंका गांधी सात मार्च को केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ मेरठ में एक किसान पंचायत को संबोधित करने वाली हैं। यह पंचायत किसानों की दुर्दशा को उजागर करने के लिए पार्टी के अभियान का हिस्सा होगी। प्रियंका गांधी ने हाल ही में मथुरा जिले में एक किसान पंचायत को संबोधित किया था, जो तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 27 जिलों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की एक श्रृंखला का हिस्सा है।
प्रियंका गांधी ने पिछले महीने मथुरा में कहा था, "भगवान कृष्ण ने भगवान इंद्र के अहंकार को तोड़ दिया था और यहां के लोगों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया था। यह सरकार भी अहंकारी हो गई है और जो देश को जिंदा रखते हैं, उन किसानों के क्रोध से यह सरकार बच नहीं पाएगी।" प्रियंका ने यह भी कहा था कि जिस तरह मौजूदा केंद्र सरकार सरकारी कंपनियां और देश की संपत्तियां बेच रही है, ऐसे में गोवर्धन पर्वत को संभालकर रखना, कहीं सरकार उसे भी न बेच दे।
कांग्रेस ने अपनी योजना के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के भुगतान के लिए प्रदर्शन और पंचायतें करने की रणनीति बनाई है। इन पंचायतों में प्रियंका गांधी भी हिस्सा लेंगी। ध्यान रहे कि कांग्रेस ने किसानों द्वारा कृषि कानूनों को वापस लेने की उनकी मांग के लिए केएमपी एक्सप्रेसवे पर आंदोलन करने के एक दिन बाद इस बैठक को करने का फैसला किया है। गौरतलब है कि किसान बीते 100 दिन से कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे हैं और देश भर में पंचायतें कर रहे हैं।
खबरों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों को 2019-20 का बकाया नहीं मिला है। 2020-21 में सामान्य किस्म के गन्ने की एमएसपी में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। यह तीसरा सीधा वर्ष है जब राज्य सरकार ने गन्ने के मूल्य में वृद्धि नहीं करने का निर्णय लिया है। 2017 में योगी आदित्यनाथ सरकार के सत्ता में आने के बाद एसएपी को 2017 में 10 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया गया था।
किसान नई एसएपी को 325 रुपये से बढ़ाकर 450 रुपये प्रति क्विंटल करने की मांग कर रहे हैं।
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