राष्ट्रपति ने 22 बच्चों को दिए राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार, जानें इन बच्चों की बहादुरी के बारे में
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2020 (राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार) का वितरण किया। उन्होंने 22 बच्चों को सम्मानित किया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश भर के 22 बच्चों को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया। राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में सम्मान पाने वाले 22 बच्चों में से 10 लड़कियां और 12 लड़के हैं। वीरता पुरस्कार पाने वाले ये सभी बहादुर बच्चे देश के 12 अलग अलग राज्यों से हैं। चलिए जानते हैं उन बच्चों के बारे में जिनको वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया है।
केरल के रहने वाले 15 वर्षीय मास्टर आदित्य भी इस पुरस्कार से सम्मानित किए जाएंगे। वे 15 साल के हैं। उन्होंने साल 2019 में नेपाल में 40 लोगों की जान बचाई थी जब एक टूरिस्ट बस में आग लग गई थी।
इसके अलावा केरल के एक वीर बालक 16 वर्षीय मुहम्मद मुहसीन को मरणोपरांत यह सम्मान मिला है। पिछले वर्ष के अप्रैल माह में समुद्र में खराब मौसम के कारण खतरे में फंसे अपने तीन मित्रों की जान बचाई थी लेकिन वह अपनी जान नहीं बचा सका और उसकी मौत हो गई।
हिमाचल प्रदेश की 13 साल की अलाइका उस वक्त अपने माता, पिता और दादा के लिए फरिश्ता बन गईं, जब उनकी कार अचानक रोड से नीचे खाई में गिरने लगी। इस हादसे के बाद सभी बेहोश हो गए और जब सबसे पहले अलाइका होश में आई तो लोगों को मदद के लिए बुलाया। यदि वह न होती तो आज हम लोग जिंदा न बचते।
जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के चौकीबल और तुमिना में पाकिस्तान ने फायरिंग शुरू कर दी। 16 साल के मुगल की घर की पहली मंजिल पर पाकिस्तान का एक गोला आकर गिरा। वह बाहर निकल आए, लेकिन तभी उन्हें याद आया कि उनके पैरेंट्स और दो बहनें अभी अंदर ही हैं। इसके बाद वह तुरंत घर गए और अपनी दो बहनों को सुरक्षित निकालकर लाए। इसके बाद मकान ढहने से पहले उन्होंने माता और पिता को भी जगाकर बाहर निकला।
27 फरवरी, 2019 को भारतीय वायुसेना का MI-17 हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। बडगाम में हुए इस हादसे के बाद मौके पर कई लोग पहुंचे थे, उसमें 18 साल के अशरफ भी थे। उन्होंने उस मलबे में एक व्यक्ति को जिंदा देखा। इसके बाद अपनी जान पर खेलकर घायल शख्स को बाहर निकाला।
वहीं आतंकवादियों के हमले के दौरान मां और बहन को बचाने वाले सौम्यदीप को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रीय बाल शक्ति पुरस्कार से नवाजा। सौम्यदीप को गोलियां लगने के चलते 6 महीने से ज्यादा अस्पताल में रहना पड़ा। आज भी वीलचेयर पर चलने को मजबूर हैं। इनके अलावा कई ऐसे बच्चें हैं, जिन्होंने अपने बहादुरी से अपने परिवार वालों के साथ साथ देश का भी सीना चौड़ा कर दिया।
बता दें कि हर साल गणतंत्र दिवस, 26 जनवरी के पहले वीर बच्चों को सम्मानित किया जाता है। इसकी शुरुआत वर्ष 1957 में भारतीय बाल कल्याण परिषद ने की थी।
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