प्रमोद सावंत बने गोवा के मुख्यमंत्री, रात 2 बजे ली शपथ, ऐसा रहा आयुर्वेद डॉक्टर से सीएम तक का सफर

प्रमोद सावंत के अलावा महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के विधायक सुदिन धवलिकर और गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अध्यक्ष और विधायक विजय सरदेसाई समेत 11 विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

प्रमोद सावंत गोवा के मुख्यमंत्री बन गए हैं। मनोहर पर्रिकर के अंतिम संस्कार के बाद प्रमोद सावंत ने रात 2 बजे सीएम पद की शपथ ली। प्रमोद सावंत ने कहा कि पार्टी ने उन्हें अहम जिम्मेदारी दी है और वो बेहतर करने की कोशिश करेंगे। सावंत ने पर्रिकर का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि मैं उनकी वजह से यहां तक पहुंचा। उन्होंने मुझे राजनीति सिखाई। उन्हीं की वजह से विधानसभा का स्पीकर और आज मुख्यमंत्री बना।

प्रमोद सावंत के अलावा महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के विधायक सुदिन धवलिकर और गोवा फॉरवर्ड पार्टी के अध्यक्ष और विधायक विजय सरदेसाई समेत 11 विधायकों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। सुदिन धवलिकर और विजय सरदेसाई उपमुख्यमंत्री का पद संभालेंगे।

कौन हैं प्रमोद सावंत?

प्रमोद सावंत उत्तरी गोवा के सैनक्वलिम विधानसभा सीट से विधायक हैं। वह पेशे से एक आयुर्वेद डॉक्टर हैं। सांवत आरएसएस से जुड़े रहे हैं। पर्रिकर के करीबियों को सावंत की भी गिनती होती थी। पर्रिकर ही सावंत को सियासत में लेकर आए। गोवा के नए मुख्यमंत्री करोड़ों रुपये की संपत्ति के मालिक हैं। उनके पास 3.66 करोड़ की संपत्ति है।

विधानसभा की मौजूदा स्थिति

40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में फिलहाल 36 विधायक हैं। पिछले महीने की बीजेपी विधायक फ्रांसिस डिसूजा का निधन हो गया था। जबकि कांग्रेस के 2 विधायकों ने पिछले साल इस्तीफा दे दिया था। प्रदेश में सरकार बनाने के लिए कम से कम 19 विधायकों की जरूरत थी। जबकि बीजेपी के सिर्फ 12 विधायक थे। ऐसे में गोवा फॉरवर्ड पार्टी के तीन। महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी के तीन और निर्दलीय तीन विधायकों के समर्थन से बीजेपी सरकार बनाने में सफल रही। अब बीजेपी के पास बहुमत के आंकड़े से 2 विधायक ज्यादा है। सरकार के साथ 21 विधायक मौजूद हैं।

कांग्रेस ने किया विरोध

गोवा कांग्रेस ने इस बात पर नाराजगी जातई है कि विधानसभा में सबसी बड़ी पार्टी होने के बावजूद राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने का मौका नहीं दिया। कांग्रेस नेता सुनील कौथंनकर ने कहा कि हम राज्यपाल मृदुला सिन्हा की इस अप्रजातांत्रिक फैसले की निंदा करते हैं। उन्होंने राज्य की सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने का मौका नहीं दिया। बीजेपी पर सरकार बनाने के लिए बहुमत नहीं था।

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