वोट की ताकतः अरूणाचल में एकमात्र वोटर के लिए बनेगा पोलिंग बूथ, 39 किलोमीटर का सफर पैदल तय करेंगे अधिकारी

मुख्य निर्वाचन अधिकारी पवन कुमार सैन ने कहा कि यह हमेशा संख्या की बात नहीं होती है, बल्कि यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी की बात सुनी जाए। सोकेला तयांग का मत समावेशिता और समानता के प्रति हमारी कटिबद्धता की परीक्षा है।

अरूणाचल में एकमात्र वोटर के लिए 39 किलोमीटर का सफर पैदल तय करेंगे अधिकारी, बनेगा पोलिंग बूथ
अरूणाचल में एकमात्र वोटर के लिए 39 किलोमीटर का सफर पैदल तय करेंगे अधिकारी, बनेगा पोलिंग बूथ
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पीटीआई (भाषा)

अरूणाचल प्रदेश में 19 अप्रैल को जब विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होगा, उससे एक दिन पहले एंजवा जिले में चुनाव अधिकारियों का एक दल 39 किलोमीटर पैदल चलकर सुदूर मालोगाम गांव जाएगा ताकि वहां की अकेली मतदाता 44 वर्षीय सोकेला तयांग अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर सकें। तयांग के वास्ते चीन सीमा से सटे इस गांव में एक अस्थायी मतदान केंद्र भी स्थापित किया जाएगा।

चुनाव अधिकारियों के मुताबिक, मालोगाम में बहुत कम परिवार हैं, लेकिन तयांग को छोड़कर सभी अन्य मतदान केंद्रों पर पंजीकृत मतदाता हैं। तयांग किसी अन्य मतदान केंद्र पर स्थानांतरित किए जाने की इच्छुक नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि निर्वाचन अधिकारियों और सुरक्षाकर्मियों समेत चुनावी टीम अप्रत्याशित मौसम के बीच हायुलियांग से मालोगाम के लिए कठिन सफर पर जाएगी ताकि तयांग अपना वोट डाल सकें।


वैसे तो तयांग की बेटी और बेटा अन्यत्र महाविद्यालयों में पढ़ते हैं लेकिन उनका (तयांग का) मालोगाम से जुड़ाव बना रहता है। तयांग ने कहा, ‘‘मैं बमुश्किल ही अपने गांव में रहती हूं। आम तौर पर मैं कुछ काम से या चुनाव के दौरान आती हूं। सामान्यत: मैं लोहित जिले के वाकरो में रहती हूं जहां हमारा खेत है।’’

तयांग हायुलियांग विधानसभा क्षेत्र और अरूणाचल पूर्व लोकसभा क्षेत्र की मतदाता हैं। संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी लाइकेन कोयू ने कहा , ‘‘हायुलियांग से मालोगाम के सफर में पूरे दिन पैदल चलना पड़ता है।’’ कोयू ने कहा कि हर इंसान को वोट डालने का अधिकार है, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह जगह कितनी दूर है।


उन्होंने कहा, ‘‘चुनाव दल को मतदान के दिन सुबह 7 बजे से सायं 5 बजे तक वहां रहना पड़ सकता है क्योंकि हमें पता नहीं कि तयांग कब वोट डालने आएंगी।’’ मुख्य निर्वाचन अधिकारी पवन कुमार सैन ने कहा, ‘‘यह हमेशा संख्या की बात नहीं होती है, बल्कि यह सुनिश्चित करना होता है कि सभी की बात सुनी जाए। सोकेला तयांग का मत समावेशिता और समानता के प्रति हमारी कटिबद्धता की परीक्षा है।’’

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