कश्मीर में आज से शुरू हुईं पोस्टपेड मोबाइल सेवाएं, लेकिन लोगों को फोन टैप होने का डर
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के 69 दिन बाद सरकार ने कश्मीर में पोस्टपेड मोबाइल सेवाएं शुरू कर दी हैं। लेकिन इसके साथ ही लोगों में यह खौफ घर करने लगा है कि उनके फोन टैप हो सकते हैं।
शनिवार को जब सरकार ने ऐलान किया कि 69 दिन से बंद पड़ी मोबाइल सेवाएं कश्मीर में शुरू की जाएंगी, तो लोगों ने एक राहत की सांस ली थी। लेकिन जल्द ही यह राहत आशंका में तब्दील हो गई, क्योंकि लोगों को लगता है कि सरकार उनके फोन टैप कर सकती है। उन्हें लगता है कि वे जिस किसी को भी कॉल करेंगे, सुरक्षा एजेंसियों की नजर उनके फोन पर होगी।
श्रीनगर के रहने वाली आयशा शाह कहती हैं कि, “मेरे लिए तो यह राहत की बात है क्योंकि अब मैं दिल्ली में पढ़ने वाले अपने बच्चों से बात कर सकती हूं।” लेकिन साथ ही वह कहती हैं कि यह बातचीत बिल्कुल भी निजी नहीं रहेगी।
ध्यान रहे कि जम्मू-कश्मीर में संचार के सभी माध्यमों पर 4 अगस्त से पाबंदी लगा दी गई थी। सरकार ने यह फैसला राज्य से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के 12 घंटे पहले लिया था। इसके साथ ही सरकार ने जम्मू-कश्मीर को दो हिस्सों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटकर उन्हें केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था।
शनिवार को सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने बताया कि 14 अक्टूबर से कश्मीर में पोस्टपेड सेवाएं (ऐसे मोबाइल कनेक्शन जिनका हर महीने बिल आता है) शुरु कर दी जाएंगी। लेकिन मोबाइल इंटरनेट के लिए लोगों को अभी इंतजार करना होगा।
गौरतलब है कि शुरुआत में तो सरकार ने सभी मोबाइल फोन सेवाएं बंद कर दी थीं, लेकिन कुछ दिन बाद कुछ बड़े पुलिस और प्रशासनिक अफसरों के फोन चालू कर दिए गए थे। कुछ अफसरों ने पत्रकारों को बताया था कि उनके फोन नंबर भी ब्लॉक कर दिए गए थे क्योंकि वे कश्मीर के असली हालात के बारे में देश के दूसरे हिस्से के लोगों को जानकारी दे सकते थे।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि, “जैसे ही मैंने दिल्ली में रहने वाले अपने एक दोस्त को कश्मीर के हालात के बारे में फोन पर बताया, मेरा नंबर ब्लॉक कर दिया गया था।” इस अधिकारी ने बताया कि उनके दफ्तर में लैंडलाइन फोन चालू किया गया था, जिस पर कॉल करने के लिए लंबी-लंबी कतारें लगती थीं। इस अधिकारी ने बताया कि, “सरकारी कर्मचारी लोगों को आगाह करते रहे थे कि किसी को कश्मीर के हालात के बारे में कोई जानकारी न दें।”
सरकार ने सितंबर के पहले सप्ताह में घाटी के सभी लैंडलाइन फोन चालू कर दिए थे, जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिली थी। बहुत से पीसीओ वाले, जिनमें ज्यादातर आम दुकानदार हैं, सुबह के वक्त कुछ घंटों के लिए अपनी दुकानें आधी खोलते थे, और लोगों को आगाह करते रहते थे कि घाटी के हालात के बारे में फोन पर कोई बात न की जाए।
बारामुलाह में पीसीओ चलाने वाले एक दुकानदार ने बताया कि, “अगर ऐसी कोई बातचीत उनके पीसीओ से हुई तो उनका पीसीओ ब्लैकलिस्ट होने का खतरा था।”
बहरहला शनिवार को मोबाइल सेवाएं शुरु होने के बाद पोस्टपेड फोन वाले लोगों को तो राहत मिली है, साथ ही प्रीपेड ग्राहकों ने अपने फोन पोस्टपेड में बदलवाने के लिए अर्जियां देना शुरु कर दिया है।
कुछ युवाओं ने नेशनल हेरल्ड को बताया कि वे पोस्टपेड कनेक्शन लेने के लिए जम्मू जाने की कोशिश कर रहे हैं। कश्मीर मे करीब 66 लाख मोबाइल फोन हैं, जिनमें से करीब 40 लाख लोग पोस्टपेड कनेक्शन इस्तेमाल करते हैं।
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Published: 14 Oct 2019, 11:30 AM