राजधानी दिल्ली में पुलिस मुख्यालय पर लगे पोस्टर,‘मोदी जी राफेल की दलाली का पैसा किसकी जेब में गया’
राफेल डील पर घिरी मोदी सरकार की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। अब राफेल घोटाले का शोर दिल्ली की सड़कों पर भी दिखने लगा है। शनिवार को आईटीओ स्थित दिल्ली पुलिस मुख्यालय के पास लगे कुछ पोस्टरों में पीएम मोदी से राफेल डील पर जवाब मांगा गया है।
राफेल सौदे को लेकर मोदी सरकार घिरती नजर आ रही है। सड़कों से लेकर संसद तक राफेल सौदे को लेकर विपक्ष हमलावर है। वहीं दूसरी ओर अब राजधानी की सड़कों पर भी राफेल को लेकर शोर सुनाई देने लगा है। शनिवार को दिल्ली के प्रमुख इलाके आईटीओ पर दिल्ली पुलिस मुख्यालय के सामने ऐसे कई पोस्टर लगे देखे गए, जिनमें राफेल डील को लेकर पीएम मोदी से जवाब मांगा गया है। विकास मार्ग पर लगे इन पोस्टरों में पीएम मोदी से इस बात का जवाब मांगा गया है कि 540 करोड़ का जहाज 1670 करोड़ में क्यों खरीदा गया? साथ ही यह भी पूछा गया है कि राफेल की दलाली का पैसा किसकी जेब में गया?
बता दें कि फ्रांस की दसॉलेट एविएशन के साथ किए गए राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर केंद्र की सरकार सवालों के घेरे में आ गई है। इस डील में एक के बाद एक कई सनसनीखेज खुलासों से मोदी सरकार चौतरफा घिरी हुई है और विपक्ष लगातार उससे जवाब मांग रहा है।
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस मुद्दे को लेकर प्रमुख रूप से पीएम मोदी और उनकी सरकार पर लगातार हमलावर है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी लगातार पीएम मोदी से राफेल डील पर सवाल पूछ रहे हैं। उन्होंने पीएम मोदी को सीधी चुनौती देते हुए राफेल डील पर देश को सच्चाई बताने के लिए कहा है। कांग्रेस लगातार इस मुद्दे पर सवाल उठा रही है और आरोपों की जेपीसी जांच की मांग कर रही है। इसके साथ ही कांग्रेस ने महालेखा नियंत्रक (सीएजी) से मिलकर इस मामले में सौंपे गए सभी सबूतों और दस्तावेजों का फॉरेंसिक ऑडिट कराने की मांग भी की है। कांग्रेस इस बात की आशंका जता चुकी है कि सीएजी राफेल सौदे में मोदी सरकार को क्लीन चिट दे सकती है।
बता दें कि फ्रांस की दसॉलेट कंपनी से 36 राफेल विमानों की खरीद के डील में मोदी सरकार पर घोटाले के आरोप लगे हैं। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार ने जानबूझकर मंहगी कीमतों पर राफेल विमान खरीदे हैं। इसके अलावा पीएम मोदी पर इस डील में अनिल अंबानी की रिलायंस कंपनी को गलत तरीके से शामिल करने के भी आरोप लगे हैं। इस संबंध में हाल ही में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने भी खुलासा किया था कि राफेल सौदे में अनिल अंबानी की कंपनी को दसॉल्ट ने अपनी मर्जी से नहीं, बल्कि भारत सरकार के कहने पर चुना था।
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