मितरों...असली चुनाव 5 में नहीं 3 राज्यों में हुए, और वहां से नहीं है बीजेपी के लिए अच्छी खबर
पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के एक्जिट पोल मिले-जुले संकेत दे रहे हैं, लेकिन एक बात स्पष्ट तौर पर सामने आई है कि बीजेपी का अधोगमन। तीन हिंदी भाषी राज्यों में 8 से 9 फीसदी वोटों का नुकसान 2019 में जो गुल खिलाएगा, उसके नतीजे बीजेपी के अहंकार और अति आत्मविश्वास को ध्वस्त कर सकते हैं।
पांच राज्यों में मतदान खत्म, अब 11 दिसंबर को वोटों की गिनती का इंतज़ार है। इसके बीच में हर चुनाव की तरह सभी न्यूज़ चैनलों के एक्ज़िट पोल भी आ गए। चैनलों की अपनी-अपनी श्रद्धा के मुताबिक उनके नतीजे भी सामने हैं। लेकिन एक बात जो सभी न्यूज़ चैनलों के एक्जिट पोल से स्पष्ट होती है, वह यह है कि दुनिया की (दावे के अनुसार) सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी की अधोगति अवश्यंभावी है। और इस अपकर्ष का गहरा प्रभाव अगले साल लोकसभा चुनाव में नजर आना भी निश्चित ही प्रतीत होता है।
बीते कई वर्षों से चुनावों को गहरे से देखते रहे, कवर करते रहे पत्रकार मित्र ने तो स्थिति और ही स्पष्ट कर दी। उनका मानना है कि तकनीकी रूप से चुनाव भले ही पांच राज्यों में हुआ हो, लेकिन असली चुनाव तो तीन राज्यों का ही था। और ये तीन राज्य हैं हिंदी भाषी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान। पत्रकार मित्र एक राष्ट्रीय चैनल में एंकर हैं और एक्जिट पोल पर चर्चा के लिए सभी दलों के नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी उनके सामने थीं। उनका साफ मानना है कि बात-बात पर आक्रामक रुख अपनाने वाली बीजेपी के प्रवक्ता-नेता रक्षात्मक मुद्रा में नजर आए।
चुनाव तीन राज्यों में ही हुए। यह जरा गहरी बात है। पिछले लोकसभा चुनाव यानी 2014 के चुनाव की बात करें तो इन तीन राज्यों की कुल 65 लोकसभा सीटों में से बीजेपी ने 62 सीटें जीती थीं। राजस्थान में तो सभी 25 सीटें उसके हिस्से में आई थीं, जबकि मध्य प्रदेश में 29 और छत्तीसगढ़ में 10 सीटों पर बीजेपी विजयी रही थी।
सभी एग्जिट पोल से एक मिली-जुली तस्वीर ही सामने आई है, और संकेत ऐसे हैं कि जब 11 दिसंबर को वोटों की गिनती होगी तो मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ से बीजेपी के लिए खबर अच्छी नहीं आएगी।
तो आखिर कौन कहां चूका, और कौन कैसे बाज़ी मारता दिख रहा है? बीजेपी को पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर भारत के राज्यों में 90 फीसदी सीटें हाथ लगी थीं, लेकिन अब चुनौती बड़ी हो गई है। सीधे मुकाबले में कांग्रेस नई ताकत और जोश के साथ उसका रास्ता रोके खड़ी है। ‘कांग्रेस तो निपट गई’ वाले भाव से चुनावी मैदान में उतरी बीजेपी को उसका यही अति आत्मविश्वास और अहंकार ले डूबा दिखता है।
हो सकता है कि एक्जिट पोल में जो अनुमान लगाए गए हैं, वह गलत साबित हों, लेकिन इतना तो तय हो गया है कि कांग्रेस ने बीजेपी के विजयरथ की राह में टांग अड़ा दी है। वैसे एक्जिट पोल से अगर सही चुनावी तस्वीर और विश्लेषण जानना हो तो हमेशा वोट शेयर को ध्यान में रखना चाहिए। और इन तीनों राज्यों में एक कॉमन फैक्टर सभी एक्जिट पोल में है, और वह है बीजेपी के वोट शेयर में गिरावट। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश तीनों राज्यों में बीजेपी को 8 से 9 फीसदी तक वोटों का नुकसान होता दिख रहा है। बीजेपी के वोटों का यह नुकसान सीधे-सीधे कांग्रेस की तरफ स्विंग हुआ है, यही कांग्रेस के पुनर्जीवन और बीजेपी के अवसान को परिभाषित करता है।
अब अगर इन तीन राज्यों के एक्जिट पोल के मद्देनजर लोकसभा चुनाव का अनुमान तर्काधार पर बिना किसी पूर्वाग्रह से लगाया जाए तो ऐसा प्रतीत होता है कि इन 62 में से आधी सीटें तो बीजेपी के हाथ से निकल ही जाएंगी।
हिंदी भाषी दूसरे राज्यों की तरफ देखें केंद्र की सत्ता का सबसे अहम रास्ता उत्तर प्रदेश भी बीजेपी के पक्ष में 2014 दोहरा पाएगा, असंभव सा लगता है। केंद्रीय गृह मंत्री और 2014 लोकसभा चुनाव में बीजेपी अध्यक्ष रहे राजनाथ सिंह स्वंय एक टीवी इंटरव्यू में मान चुके हैं कि उन्हें अगले लोकसभा चुनाव में 15-20 सीटों का नुकसान होगा। यूपी के पड़ोसी राज्य बिहार जाएं तो भले ही आज वहां महागठबंधन को धोखा देकर बीजेपी से गठजोड़ करने वाली जेडीयू का बीजेपी को साथ है, लेकिन हाल की कुछ घटनाओं से संकेत ऐसे हैं कि दोनों दलों के बीच खटास बढ़ती जा रही है। पिछली बार बीजेपी को बिहार की 40 में से 22 सीटें हाथ लगीं थीं, लेकिन इस बार तो उसने पहले ही 5 सीटों पर अपनी हार मानकर 17 पर ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
अब उत्तर के ही राज्य उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल की तरफ जाएं. तो इन राज्यों में भी स्थिति एमपी, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसी ही दिखती है। उत्तराखंड में तो हालत बेहद खराब दिखती है, वहीं पंजाब में बीजेपी का अपना पहले भी कुछ नहीं था और पिछले विधानसभा चुनाव में उसके सहयोगी अकाली दल की हार ने उसके रास्ते वैसे ही अवरुद्ध कर दिए हैं। ध्यान रहे 2014 की लहर में भी पंजाब में मौजूदा सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली जीत नहीं दर्ज कर पाए थे।
पश्चिम के राज्यों में गुजरात और महाराष्ट्र महत्वपूर्ण हैं। 2014 को छोड़ दें, तो गुजरात में जब पीएम मोदी मुख्यमंत्री थे, तब भी लोकसभा चुनाव में गुजरात की 26 सीटों में से आधी सीटें तो कांग्रेस जीतती ही रही है। फिर महाराष्ट्र में भी तो हालात बीजेपी के हाथ से ही निकलते दिख रहे हैं।
और, हां..किसानों, दलितों युवाओं, व्यापारियों और छोटे-मझोले कारोबारियों की नाराज़गी तो अभी देखना बाकी ही है। तो ‘मितरों...’ अगर न्यूज़ चैनल इन चुनावों का सत्ता के सेमीफाइनल बता रहे थे, तो सेमीफाइनल में तो बीजेपी के हिस्से हार ही नजर आ रही है।
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