मतगणना को लेकर विपक्षी दलों के साथ ही सिविल सोसायटी भी सचेत, वोटों की गिनती के दौरान तैनात रहेंगे कार्यकर्ता

लोकसभा चुनाव के वोटों की गिनती से पहले संभवत: पहली बार ऐसा किया गया है कि राजनीतिक पार्टियों विशेष रूप से विपक्षी दलों ने वर्कशॉप आदि करके अपने कार्यकर्ताओं को और पोलिंग एजेंटों को मतगणना की ट्रेनिंग दी है।

दिल्ली में मतगणना केंद्र के बाहर सुरक्षा के चौकस इंतजाम किए गए हैं (फोटो - विपिन)
दिल्ली में मतगणना केंद्र के बाहर सुरक्षा के चौकस इंतजाम किए गए हैं (फोटो - विपिन)
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असद रिज़वी

लोकसभा चुनावों की मतगणना कल (मंगलवार 4 जून को) होगी। मतगणना में किसी किस्म की धांधली न हो और कोई मनमर्जी न कर पाए, इसके लिए सभी दल और विशेष रूप से विपक्षी दल ‘सचेत’ हैं। विपक्षी दलों के कार्यकर्ता टोलियों में मतगणना केंद्रों के बाहर रहकर लगातार निगरानी कर रहे हैं।

इसके किसान संगठन और सिविल सोसाइटी ने भी लगातार मुद्दा उठाया है कि वोटो की गिनती के दौरान किसी भी तरह की गड़बड़ी न हो। दिल्ली में रविवार को विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से मिलकर पोस्टल बैलेट की गिनती पहले शुरु कराने की मांग की थी। इससे पहले किसान मोर्चा भी चुनाव आयोग को पत्र लिखकर समय-समय पर वोटों का सटीक विवरण जनता के साथ साझा करने की बात उठा चुका है। उधर सिविल सोसाइटी का भी कहना है कि चुनाव आयोग मतदान के आंकड़े समय-समय पर बदले जाने से आयोग के निरपेक्षता पर सवाल उठे हैं।

विपक्षी दलों का कहना है कि फॉर्म सी-17 के मिलाप के बाद ही वोटों की गिनती का काम शुरु किया जाना चाहिए। 

इसी संदर्भ में उत्तर प्रदेश की वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ रहे इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय का कहना है कि कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता मतदान के बाद ईवीएम स्टॉन्ग रूप और मतगणना केंद्रों पर लगातार नजर रखे हुए हैं। अजय राय को आशंका है कि शासन-प्रशासन किसी भी तरह बीजेपी को चुनाव जिताने की कोशिश कर सकता है। उन्होंने कहा कि मतगणना में किसी भी तरह की धांधली रोकने के लिए कांग्रेस कार्यकर्ता पूर्णतः सचेत है।

अजय राय ने बताया कि कई जगह सीसीटीवी कैमरे ख़राब होने की ख़बर मिली थी जिनको शिकायत करके ठीक कराया गया है। कांग्रेस की तैयारी के बारे में उन्होंने कहा कि हर मतगणना केंद्र पर 8 से 10 कार्यकर्ताओं को तैनात किया गया है। यह कार्यकर्ता 8 से 9 घंटे तक की शिफ्ट में लगातार मतगणना केंद्र के बाहर तैनात हैं।

इसी प्रकार उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने भी अपने कार्यकर्ताओं से सचेत रहने की हिदायत दी है। सपा नेता अमीक़ जमाई ने कहा “एग्जिट पोल” के अनुमान सामने आने से पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं के हौसलों पर कोई फ़र्क नहीं पड़ा है। लेकिन उन्हें वोटों की गिनती में निष्पक्षता न होने की आशंका है। उन्होंने बताया कि पार्टी के सभी काउंटिंग एजेंट को संदेश दिया गया है कि फॉर्म सी-17 के मिलाप के बग़ैर मतदान मतगणना शुरू नहीं होना चाहिए है।  उन्होंने बताया कि हर मतगणना केंद्र पर सपा के 25 से 30 पार्टी कार्यकर्ता निगरानी बनाए हुए हैं।

गौरतलब है कि इस बार संभवत: पहली बार ऐसा किया गया है कि राजनीतिक पार्टियों ने वर्कशॉप आदि करके अपने कार्यकर्ताओं को और पोलिंग एजेंटों को मतगणना की ट्रेनिंग दी है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आज लखनऊ में कहा कि "फार्म 17 सी की कॉपी एजेंटो के पास है, हमारी पार्टी के पास कार्यालय में वह सारे फॉर्म है, क्योंकि हमें पता था बीजेपी किसी भी “षड्यंत्र” में शामिल हो सकती है इसलिए डे वन (पहले दिन) से पूरी जानकारी हम लोग ने रखी है।"


क्या है  "फार्म 17 सी?

हर पोलिंग बूथ पर प्रिसाइडिंग अफसर (चुनाव अधिकारी) को एक फॉर्म दिया जाता है, जिसे उसे ऑनलाइन ही भरना होता है। ये काम वोटिंग की प्रक्रिया ख़त्म होने के तुरंत बाद ही करना होता है। इस फॉर्म में यह विवरम होता है कि कितने लोगों ने वोटिंग की, कितने वोट करने नहीं आए और कितने लोगों को वोट देने के काबिल नहीं समझा गया। ये भी भरना होता है कि वोटिंग के दौरान कितनी ईवीएम का इस्तेमाल किया गया। कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट की संख्या और नंबर भीदेने होते हैं। इस प्रक्रिया से किसी भी पोलिंग सेंटर पर मतदान की स्थिति साफ हो जाती है और यह गुंजाइशन नहीं रहती कि वोटों के प्रतिशत के आंकड़ों में कोई गड़बड़ी हो पाए।

विपक्षी पार्टियों के अलावा सिविल सोसाइटी भी मतगणना को लेकर काफी सतर्क है। “उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच” के, लेनिन रघुवंशी कहते हैं कि समय-समय पर डाटा बदले जाने से चुनाव आयोग की साख पर नकारात्मक असर पड़ा है। यही वजह है कि अब लोग मतगणना को भी संदेह की नजर से देख रहे हैं। रघुवंशी के अनुसार नई सरकार को चुनाव आयोग की छवि बदलने पर काम करना होगा ताकि भविष्य में लोकतंत्र और मज़बूत रह सके और राजनीतिक पार्टियों के साथ जनता का चुनाव आयोग पर भरोसा बना रहे।

इसी तरह “एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म” (एडीआर) के संजय सिंह कहते हैं की लोगों को मतगणना को लेकर संदेह है। लेकिन ऐसा होना नहीं चाहिए है, क्योंकि इसका नकारात्मक असर देश के लोकतंत्र पर पड़ेगा। इस संदेह की वजह बताते हुए वह कहते हैं कि एक ऐसा “परसेप्शन” बन गया है और मतदाताओं में ऐसी भावना है, कि वोट किसी को भी दिया जाए, जीतेगी तो भारतीय जनता पार्टी। संजय सिंह मानते हैं कि चुनाव आयोग पर भरोसा रखना चाहिए है, लेकिन स्ट्रांग रूम पर नज़र रखना ग़लत नहीं है।


संयुक्त किसान मोर्चा ने भी चुनाव योग को पत्र लिखकर मतगणना प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ की आशंका को खत्म करने पर जोर दिया है। मोर्चा के नेता आशीष मित्तल ने बताया कि संदेह को दूर करने के लिए, नियमानुसार चुनाव अयोग को, समय-समय पर वोटों का सटीक विवरण साझा करना चाहिए।

इस बीच उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने बताया कि मतगणना प्रदेश के 75 जिलों में 81 मतगणना केंद्रों पर होगी। आगरा, मेरठ, आजमगढ़, देवरिया, सीतापुर, कुशीनगर जनपद में मतगणना 2-2 केंद्रों पर होगी। 8 लोकसभा क्षेत्रों की मतगणना 3 जिलों में, 37 लोकसभा क्षेत्रों की मतगणना 2 जिलों में और 35 लोकसभा क्षेत्रों की मतगणना 1 जिले में होगी।

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