PM फिर करेंगे देश को संबोधित, क्या ताली-थाली के बजाए कोरोना से लड़ाई के वैज्ञानिक उपाय, गरीबों की दिहाड़ी पर करेंगे बात

इस बार उम्मीद है प्रधानमंत्री मोदी कोरोना से लड़ने के कुछ ठोस उपाय और सरकार से की जा रही व्यवस्थाओं के बारे में बताएंगे, न कि सिर्फ ताली-थाली बजाने का आह्वान करेंगे। ताली-थाली बजाने वाले पीएम के संदेश पर प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट्स फोरम ने निराशा जाहिर कर चुकी है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के खतरे पर मंगलवार को एक बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को संबोधित करेंगे। उन्होंने खुद ट्वीट कर यह जानकारी दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा, “वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप के संबंध में कुछ महत्वपूर्ण बातें देशवासियों के साथ साझा करूंगा। आज, 24 मार्च रात 8 बजे देश को संबोधित करुंगा।”

इससे पहले 19 मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने कोरोना वायरस को लेकर राष्ट्र को संबोधित किया था। जिसमें उन्होंने 22 मार्च (रविवार) को जनता कर्फ्यू की अपील की थी। उनकी यह अपील सफल रही थी। सुबह सात बजे से लेकर रात नौ बजे तक लोग घरों में रहे थे वहीं अपील के मुताबिक शाम पांच बजे लोगों ने घरों के सामने और बालकनियों में खड़े होकर ताली, घंटी और शंख बजाकर उन लोगों के प्रति आभार जताया था जो खतरे में जीवन डालकर भी कोरोना के खिलाफ लड़ाई में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।


इस बार उम्मीद है प्रधानमंत्री इस बार कोरोना से लड़ने के कुछ ठोस उपाय और सरकार से की जा रही व्यवस्थाओं के बारे में बताएंगे, न कि सिर्फ ताली-थाली बजाने का आह्वान करेंगे। ताली और थाली बजाने वाले पीएम मोदी के संदेश पर प्रोग्रेसिव मेडिकोस एंड साइंटिस्ट्स फोरम ने निराशा जाहिर की थी। फोरम ने एक बयान जारी कर कहा था कि कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा सिर्फ संयम बरते की अपील करना निराशाजनक है। फोरम के राष्ट्रीय संयोजक डॉक्टर हरजीत भट्टी ने पीएम के जनता कर्फ्यू के आह्वान को पर कहा था कि पूरा देश और खासतौर से मेडिकल जगत इस आह्वान से भौंचक है।

पीएमएसएफ ने प्रधानमंत्री के इस बयान का जिक्र किया था जिसमें उन्होंने कहा कि, '' कोई कैसे संयम का अभ्यास करता है? भीड़-भाड़ से दूर रहकर, घरों से बाहर निकलने से बचकर... आप (अन्यथा) न केवल अपने लिए, बल्कि अपने परिवार के प्रति भी अन्याय करेंगे।"

संगठन ने इस बारे में याद दिलाया था कि देश के 90% कार्यक्षेत्र असंगठित क्षेत्र है और इन लोगों के पास घरों में रहने की विलासिता नहीं है। पीएमएसफ ने कहा था कि मजदूर के लिए जिंदा रहने लिए दिहाड़ी कमाना जरूरी है।


वहीं कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी पीएम मोदी को नसीहत दे चुके हैं। उन्होंने कहा था, “कोरोना वायरस हमारी नाज़ुक अर्थव्यवस्था पर एक कड़ा प्रहार है। छोटे, मध्यम कारोबारी और दिहाड़ी मजदूर इससे सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। ताली बजाने से उन्हें मदद नहीं मिलेगी। आज नकद मदद, टैक्स ब्रेक और कर्ज अदायगी पर रोक जैसे एक बड़े आर्थिक पैकेज की जरुरत है। तुरंत कदम उठाएं।”

गौरतलब है कि इस महामारी का सबसे ज्यादा असर उड्डयन, होटल, पर्यटन, मनोरंजन और ऑटो सेक्टर पर पड़ रहा है। कोरोना वायरस की तबाही कहां और कब जा कर रुकेगी, इसका किसी के पास कोई जवाब नहीं है। आर्थिक सुस्ती के भंवर से निकालने की चुनौती मोदी सरकार के लिए कोरोना वायरस के प्रकोप से और गहरा गई है क्योंकि रोजगार देने वाले क्षेत्र- कृषि, मैन्यूफैक्चरिंग, कंस्ट्रक्शन, ऑटो आदि पहले से ही आर्थिक सुस्ती के गहरे दबाव में हैं। अमेरिका समेत अनेक देशों ने कोरोना वायरस के चलते आर्थिक मंदी के खतरों को देखते हुए अरबों डॉलर के राहत के पैकेज की घोषणा कर दी है। इसके ठीक उलट देश में सरकार अब भी टैक्स बोझ बढ़ाने में लगी हुई है। ऐसे में आज रात 8 बजे पीएम मोदी से एक बार उम्मीद लगी हुई है कि देशवासियों को राहत देंगे।

(आईएएनएस के इनपुट के साथ)

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