पीएम आवास योजना: सरकारी फाइलों में बिना छत के ही मकानों को बना दिया तैयार, फिर भी यूपी को मिल गया नंबर वन का खिताब

सरकारी काम में भ्रष्टाचार की शिकायतें आम हैं। वैसे तो सरकार ने लाभार्थियों का चयन एजेंसियों और पंचायतों के सर्वे के आधार पर करने और पैसे केन्द्र से ही लाभार्थियों के खातों में जाने के इंतजाम किए। इसके बावजूद घोटालेबाज कुछ न कुछ रास्ता निकाल ही ले रहे।

नेपाल बॉर्डर से सटे महराजगंज जिले के नौतनवा टाउन एरिया के आम्बेडकर नगर मोहल्ले के ताड़कनाथ को आवास बनवाने
के लिए पहली किस्त पिछले साल ही मिल गई थी। इस पर उन्होंने पुराना मकान गिरवाकर नया निर्माण शुरू करा दिया। लेकिन अब उन्हें महीनों बाद भी दूसरी किस्त का इंतजार है। नतीजा यह है कि परिवार को ठंड मेें खुले आसमान के नीचे रहना पड़ेगा।
फोटोः के. संतोष
नेपाल बॉर्डर से सटे महराजगंज जिले के नौतनवा टाउन एरिया के आम्बेडकर नगर मोहल्ले के ताड़कनाथ को आवास बनवाने के लिए पहली किस्त पिछले साल ही मिल गई थी। इस पर उन्होंने पुराना मकान गिरवाकर नया निर्माण शुरू करा दिया। लेकिन अब उन्हें महीनों बाद भी दूसरी किस्त का इंतजार है। नतीजा यह है कि परिवार को ठंड मेें खुले आसमान के नीचे रहना पड़ेगा। फोटोः के. संतोष

गुजरात के राजकोट में बीते 19 अक्टूबर को हुए इंडियन अर्बन हाउसिंग कॉन्क्लेव में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में नंबर-1 राज्य का पुरस्कार उत्तर प्रदेश को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र को ट्रॉफी दी। लेकिन दुश्वरियां झेल रहे गरीबों को यह ट्रॉफी मुंह चिढ़ाने वाली है। उत्तर प्रदेश में ही लाखों लोग ऑनलाइन आवेदन कर सर्वे का इंतजार कर रहे हैं, और जिनका सर्वे हो गया है, वे किस्त का इंतजार कर रहे हैं और किस्त के इंतजार में बिना छत के अधूरे आवास में जिंदगी गुजार रहे लोगों को ठंड में सिहरन महसूस होने लगी है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रोज दावा करते हैं कि सरकार 18 लाख शहरी और 25 लाख ग्रामीण लाभार्थियों को बिना भ्रष्टाचार छत दे चुकी है। हकीकत इसके उलट है। प्रदेश में चिह्नित नए जरूरतमंदों के आवेदनों का सर्वे ठप है। जिन्हें एक-दो किस्त मिल भी गई है, वे छत के लिए अंतिम किस्त का इंतजार कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों से पहले तो इस योजना पर पूरा ध्यान दिया जा रहा था, पर चुनावों के बाद जैसे सरकार ने आंखें फेर लीं। योगी के दूसरे कार्यकाल में पीएम आवास के लिए किस्तें मुश्किल से जारी हुईं। नतीजा,1.50 लाख से अधिक आवास अंतिम किस्त के इंतजार में अधूरे हैं। वहीं बैंकों द्वारा हाउसिंग लोन में पीएम आवास के नाम पर 2.50 से 2.66 लाख रुपये तक की सब्सिडी दी जाती थी। वह लगभग पूरे देश में फिलहाल नहीं दी जा रही है।

लेकिन सब जगह ऐसा नहीं है। मध्य प्रदेश में अगले साल चुनाव हैं। वहां अभी धनतेरस के दिन 4.51 लाख लोगों को प्रधानमंत्री ने गृह प्रवेश की सौगात दी। जलसे का सीधा प्रसारण सभी 23 हजार पंचायतों में हुआ। प्रत्येक जिला मुख्यालय पर शिवराज काबीना के सदस्य, बीजेपी के सांसद-विधायक, पार्टी के नेता-कार्यकर्ता और अफसरान मौजूद थे। लेकिन कार्यक्रम के दो दिनों बाद ही इस योजना में भ्रष्टाचार की पोल खुलने लगी।

जिस सतना में मुख्य जलसा हुआ, वहां दो दिनों बाद ही योजना में घोटाला सामने आ गया और प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री स्तर तक से जांच चल रही है। यहां घर बनाने के लिए राशि साल 2021 में स्वीकृत की गई थी। जिले की नागौद तहसील की सबसे बड़ी पंचायत रहिकवारा में 55 घरविहीन गरीब ग्रामीणों के लिए 1.20 लाख रुपये प्रति घर के हिसाब से 66 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई। लेकिन लोग यह शिकायत करते हुए सामने आए कि ‘बिचौलियों’ ने राशि डकार ली और 55 हितग्राहियों को राशि का इंतजार ही रहा।

गोरेलाल के मुताबिक, राशि उनके खाते में आनी थी लेकिन नहीं आई जबकि किसी ने उनकी राशि बैंक से निकाल ली। यह सब तब है जबकि पीएम आवास के लिए जलसे के चार दिन पहले 18 अक्तूबर को जनसुनवाई में अनेक ग्रामीणों ने सतना के कलेक्टरेट से स्वीकृति के बावजूद घर मिलने वाले हितग्राहियों की सूची में उनके नाम नहीं होने की शिकायत की थी। इससे पहले देवास में लोकायुक्त पुलिस ने भी इस योजना में तीन नगर परिषदों- सतवास, लोहरदा और कांटा फोड़ में करोड़ों की गड़बड़ी का खुलासा किया था। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दी जाने वाली राशि दूसरे मदों में खर्च कर दी गई।


वैसे, यह नई बात नहीं। मध्य प्रदेश के ही बैतूल के डुलारिया गांव में पिछले साल आवास योजना में दी जाने वाली मजदूरी की करीब आठ लाख रुपये की राशि फर्जी लोगों के खाते में डाल दी गई थी। राशि ऐसे लोगों के खाते में डाली गई जिन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना में कभी काम ही नहीं किया था। ढाई साल तक जांच की मांग कर-करके थक चुके ग्रामीणों ने कोरोना वैक्सिनेशन टीम को गांव में घुसने नहीं दिया। तब प्रधानमंत्री ने मन की बात कार्यक्रम के तहत जून, 2021 में डुलारिया के कुछ ग्रामीणों से बात की थी जिसका प्रसारण 26 जून, 2021 को हुआ था। बाद में अधिकारियों ने इस मामले को जैसे-तैसे निबटाया।

सरकारी काम में भ्रष्टाचार की शिकायतें जगजाहिर हैं इसलिए सरकार ने लाभार्थियों का चयन एजेंसियों और पंचायतों के सर्वे के आधार पर करने और पैसे केन्द्र से ही लाभार्थियों के खातों में जाने के इंतजाम किए। लेकिन सरकार ने चेक एंड बैलेंस की व्यवस्था नहीं की इसलिए घोटालेबाज रास्ता निकाल ले रहे।

इसे उत्तर प्रदेश में बदायूं के मामले से समझा जा सकता है। बीते दिनों संपूर्ण समाधान दिवस पर कूड़ा कुड़िया गांव के वेदराम ने डीएम दीपा रंजन को बताया कि उनका नाम पीएम आवास के लाभार्थियों की सूची में है और वेबसाइट पर उनका आवास पूर्ण बताया जा रहा है जबकि वह अब भी झोपड़ी में रह रहे हैं। डीएम चौंक गईं और उन्होंने जांच के आदेश दिए लेकिन हुआ कुछ नहीं।

प्रयागराज में तो जुलाई महीने में 140 मृतकों के नाम से पीएम आवास के आवंटन का फर्जीवाड़ा सामने आ चुका है। वहीं 455 अपात्रों को योजना का लाभ दिया गया। जिलाधिकारी के निर्देश पर 114 ग्राम प्रधानों और 78 सेक्रेटरी को नोटिस जारी हुआ लेकिन यहां भी कुछ नहीं हुआ।

मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में भ्रष्टाचार का मामला खुद राज्यसभा सांसद डॉ. राधा मोहन दास अग्रवाल उजागर कर चुके हैं। सांसद ने एक ऑडियो वायरल किया था जिसमें पीएम आवास का लाभार्थी सर्वेयर द्वारा घूस लेने की बात कह रहा है। गोरखपुर में बीजेपी नेता राजू सिंह ने डीएम को ऐसे 60 लोगों की सूची दी जिनके नाम किस्त जारी हो गई लेकिन एक भी ईंट नहीं रखी गई। बीजेपी नेता कहते हैं कि ‘सीएम से लेकर डीएम तक शिकायत के बाद भी जांच फाइलों में दबी है।’

यूपी के मंत्री महेंद्र सिंह खुद मान चुके हैं कि ‘प्रदेश में एक लाख से अधिक लोगों को गलत तरीके से फंड का लाभ मिला। इनमें से करीब 86 हजार ने मुकदमे के डर से फंड लौटाया है।’ साफ है, फर्जीवाड़े और भ्रष्टाचार की बातें सरकार खुद मानती है।

गोरखपुर में पांच साल में 15 सर्वेयर बर्खास्त हुए। सहारनपुर में पूर्व विधायक राजीव गुंबर 25 हजार घूस मांगने वाले सर्वेयर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा चुके हैं। महोबा में तो घूस की रकम मिलने पर लाभार्थियों के खाते में तीन की जगह चार किस्तें भेज दी गईं। मामला खुला तो डूडा ने 79 लाख के गबन में 11 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में अराजीलाईन ब्लॉक के परिजनपुर गांव में मिलते-जुलते नाम वालों के खाते में रुपये भेजे जाने पर ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।

Google न्यूज़नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें

प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia