‘पीएम और वित्त मंत्री के पास खुद पैदा किए गए इस आर्थिक आपदा का हल नहीं, आरबीआई में चोरी से नहीं चलेगा काम’
राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने खुद ही इस आर्थिक आपदा को बुलावा दिया है और अब उनके पास इस आपदा का कोई हल नहीं है। राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा कि आरबीआई से चोरी करना डिस्पेंसरी से एक बैंड-एड चोरी कर गोली लगने से हुए जख्म पर लगाने जैसा है।
आरबीआई द्वारा सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए दिए जाने पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला है। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने खुद ही इस आर्थिक आपदा को बुलावा दिया है और अब उनके पास इस आपदा का कोई हल नहीं है। राहुल गांधी ने तंज कसते हुए कहा कि आरबीआई से चोरी करना डिस्पेंसरी से एक बैंड-एड चोरी कर गोली लगने से हुए जख्म पर लगाने जैसा है। जो काम नहीं आएगी।
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 1.76 लाख करोड़ रुपए दिए जाने को लेकर कांग्रेस ने भी मोदी सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस ने कहा कि आरबीआई द्वारा सरकार को दिया गया 1.76 लाख करोड़ रुपए लगभग वही है जो 2019 बजट में की घोषणा से गायब है। कांग्रेस ने सवाल पूछा कि आखिर वो पैसे खर्च कहां किए गए? इसे बजट में दिखाया क्यों नहीं गया।
कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि अगर इस तरह से आरबीआई को लूटा जाता रहा तो आगे भी हमारी अर्थव्यवस्था ऐसे ही तबाह होती रहेगी और बैंकों की क्रेडिट रेटिंग में गिरावट होती रहेगी।
वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि क्या यह संयोग है कि आरबीआई द्वारा 1.76 लाख करोड़ रुपये का उधार बजट गणना में 'मिसिंग' राशि से मेल खाता है? क्या है राजकोषीय मजबूती का कदम है या हारा-कारी का? क्या इस पैसे का इस्तेमाल बीजेपी के क्रोनी दोस्तों को बचाने के लिए किया जाएगा?
रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी 2.0 ने आरबीआई में 'आर' को 'रिजर्व' से बर्बाद में बदल दिया है। आरबीआई के आकस्मिक रिजर्व का इस्तेमाल अत्यधिक वित्तीय आपात स्थितियों और युद्ध जैसी स्थितियों के लिए किया जाता है। अब इसका इस्तेमाल बीजेपी सरकार आर्थिक मोर्चे पर अपनी गड़बड़ी को रोकने के लिए कर रही है। बीजेपी ने आरबीआई की साख खत्म कर दी।
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने केंद्र सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये का हस्तांतरण करने का फैसला लिया है। सोमवार को आरबीआई की केंद्रीय बोर्ड की बैठक में सरकार को किए जाने वाले हस्तांतरण की रकम पर फैसला लिया गया। आरबीआई बोर्ड ने यह फैसला आरबीआई के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता में गठित समिति की उस रिपोर्ट पर किया जिसमें सरकार को केंद्रीय बैंक की आरक्षित निधि और इसके लाभांश का हस्तांतरण करने के संबंध में सिफारिश की गई है।
जालान समिति की रिपोर्ट पर विचार करने के बाद आरबीआई बोर्ड की बैठक में आरबीआई के 1,76,051 करोड़ रुपये भारत सरकार को हस्तांतरित करने का फैसला लिया गया, जिसमें 1,23,414 करोड़ रुपये वित्त वर्ष 2018-19 का अधिशेष और 52,637 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान शामिल है। इसकी सिफारिश संशोधित आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क में की गई है जिसे केंद्रीय बोर्ड की बैठक में सोमवार को स्वीकार किया गया।
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