जन प्रतिनिधित्व कानून को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती, इसी कानून के तहत गई है राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता
केरल की सामाजिक कार्यकर्ता आभा मुरलीधरन ने याचिका में कहा है कि संविधान की धारा 8 (3) का राजनीतिक दल गलत इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रहे। ये राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए प्रयोग की जा रही।
सूरत कोर्ट ने मानहानि के मामले में राहुल गांधी को दोषी करार देते हुए 2 साल की सजा दी है, जिसके बाद शुक्रवार को राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई। वहीं अब सदस्यता खत्म करने के प्रावधान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है।
आपको बता दें, केरल की रहने वाली आभा मुरलीधरन ने राहुल गांधी के मामले का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की है। याचिका में महिला ने जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(3) को असंवैधानिक करार देने की मांग की है।
याचिका में मुरलीधरन ने कहा कि कहा कि संविधान की धारा 8 (3) का राजनीतिक दल गलत इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर रहे। ये राजनीतिक एजेंडे को बढ़ावा देने के लिए प्रयोग की जा रही। ये हमारे चुनावी प्रक्रिया में अशांति पैदा कर सकती है।
ऐसे में जब भी किसी को दो साल की सजा हो तो उसकी सदस्यता तुरंत ना खत्म की जाए, बल्कि उसके अपराध की प्रवृत्ति, भूमिका आदि को देखकर इस पर फैसला लिया जाए।
गौरतलब है कि सूरत की एक अदालत ने 'मोदी उपनाम' संबंधी टिप्पणी को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ 2019 में दर्ज आपराधिक मानहानि के एक मामले में उन्हें 23 मार्च को दो साल कारावास की सजा सुनाई। हालांकि, सुनवाई के दौरान ही अदलात ने राहुल गांधी को जमानत भी दे दी और सजा के अमल पर 30 दिनों तक के लिए रोक लगा दी, ताकि फैसले को चुनौती दे सकें। लेकिन फैसले के 24 घंटे बाद ही यानी 24 मार्च को राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता खत्म कर दी गई।
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