अटल की अस्थियों के बहाने वोट बटोरने की फिराक में है बीजेपी?

सवाल यह है कि इस साल देश के चार राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव में वोट बटोरने की रणनीति के तहत क्या बीजेपी वाकई वाजपेयी की छवि का इस्तेमाल कर रही है और यह अस्थि कलश यात्रा बीजेपी की इसी स्क्रिप्ट का हिस्सा है?

फोटो: सोशल मीडिया
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रीतू तोमर, IANS

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के अस्थि कलश इन दिनों राज्यों के हर जिले और तालुकाओं में घूम रहे हैं। बीजेपी कहती है कि वाजपेयी के सम्मान में अस्थिकलश यात्रा निकाली जा रही है, लेकिन प्रत्यक्षदर्शी कहते हैं कि शोकयात्रा में मलाई चाय और ब्रेड-बटर बांटा जा रहा है, नेता ठहाके लगाकर हंस रहे हैं, तो यह कैसा सम्मान है।

इसमें कोई दोराय नहीं कि बीजेपी के पास अटल बिहारी वाजपेयी से बड़ा और लोकप्रिय चेहरा कोई और नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि इस साल देश के चार राज्यों में विधानसभा चुनाव और अगले साल लोकसभा चुनाव में वोट बटोरने की रणनीति के तहत क्या बीजेपी वाकई वाजपेयी की छवि का इस्तेमाल कर रही है और यह अस्थि कलश यात्रा बीजेपी की इसी स्क्रिप्ट का हिस्सा है?

उत्तर प्रदेश में वाजपेयी की अस्थिकलश यात्रा का गवाह बन चुके समाजसेवी आशीष सागर कहते हैं, "हम इसे आडंबर से अधिक कुछ नहीं मानते। वाजपेयी जी की अस्थियों को 4 हजार कलशों में रखकर उन्हें देशभर में घुमाना, यह क्या है। इतना ही नहीं, इस दौरान बीजेपी के नेताओं के चेहरे देख लीजिए, हंसी-ठिठोली करते हुए यात्राएं हो रही हैं। यात्रा में मलाई चाय और ब्रेड-बटर बांटे जा रहे हैं।"

वह खीझ के साथ कहते हैं, "बीजेपी को अगर इससे वोट ही बटोरने हैं तो बटोरे, लेकिन अपने नेता के प्रति कुछ तो सम्मान दिखाए।"

वाजपेयी के सम्मान का ही हवाला देकर दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी कहते हैं, "वाजपेयी जी के प्रति जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए अस्थिकलश यात्रा का कार्यक्रम तैयार किया गया था। इस मकसद से कि जो लोग भीड़ या अन्य कारणों से वाजपेयी जी की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सके, वे श्रद्धांजलि दे सकें।"

श्रद्धांजलि के इस तरीके पर तंज कसते हुए कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, "दुख की बात है कि एक शख्स जो बहुत निजी व्यक्ति था, जिसका इतना सम्मान था, उसे भी आपने इवेंट बना डाला। हमने देखा है कि उनके कलश को लेकर मजाक बनाया जा रहा है, हंसी-मजाक हो रहा है। कोई गंभीर नहीं है। यहां तक कि उनकी खुद की भतीजी ने कहा है कि आज आप 5 किलोमीटर चल लिए, कभी आपने दो मिनट ठहरकर उनकी विचारधारा को समझ लिया होता तो इस तरह का तमाशा नहीं होता। दुख है कि इतने सम्मान पाने वाले व्यक्ति को आपने अपनी राजनीति के लिए पीआर इवेंट बना दिया है।"

वह कहती हैं, "करुणा शुक्ला ने जो कहा है, वह उनका दुख है। बीजेपी ने इतने वर्षों में वाजपेयी जी को कभी याद नहीं किया। पोस्टरों तक में उन्हें जगह नहीं दी जाती थी, पार्टी के कार्यक्रमों में उनका जिक्र तक नहीं होता था और अब इस तरह उनकी अस्थियों की नुमाइश की जा रही है।"

वाजपेयी की अस्थियों को 100 से अधिक नदियों में प्रवाहित किया जाना है। इसके बारे में पूछे जाने पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में सेंटर फॉर पॉलिटिकल स्टडीज के एसोसिएट प्रोफेसर महिंद्र नाथ ठाकुर कहते हैं, "इस तरह की अस्थिकलश यात्रा से बीजेपी क्या सिद्ध करना चाहती है, यह वही बेहतर तरीके से जानती है। मैं सिर्फ यही कहूंगा कि आप किसी को मूर्ख नहीं बना सकते। सम्मान जताने के तरीके और भी हैं, जो इससे बेहतर तरीके हैं।"

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Published: 25 Aug 2018, 9:57 AM