पटना: पुलिस लाइन हिंसा मामले में सैकड़ों ट्रेनी सिपाहियों के खिलाफ एफआईआर, 1064 वापस भेजे गए ट्रेनिंग स्कूल  

पटना पुलिस लाइन में हंगामा, एक डीएसपी और उनके परिवार पर जानलेवा हमला करने के मामले में उपद्रवी ट्रेनी सिपाहियों के खिलाफ 4 एफआईआर दर्ज करायी गयी है। इस बवाल के बाद कई जिलों में तैनात करीब 1064 ट्रेनी सिपाहियों को वापस पुलिस ट्रेनिंग स्कूल भेज दिया गया है।

फोटोः सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

बिहार की राजधानी पटना के पुलिस लाइन में 2 नवंबर को ट्रेनी सिपाहियों के हंगामे के बाद अब कार्रवाई का दौर शुरू हो गया है। पुलिस ने इस मामले में पटना के कोतवाली और बुदधा कॉलोनी थाने में तकरीबन 100 नामजद और सैकड़ों अज्ञात लोगों के खिलाफ 4 एफआईआर दर्ज कराया है। यही नहीं इस बवाल के बाद बिहार पुलिस ने अपने पूर्व के आदेश को रद्द करते हुए 1064 ट्रेनी सिपाहियों को वापस भागलपुर क नाथनगर स्थित पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में वापस भेजने का आदेश जारी किया है। पूर्व में इन प्रशिक्षु सिपाहियों को बुनियादी प्रशिक्षण के लिए पटना समेत दरभंगा, कटिहार, मुंगेर और जमुई के पुलिस केंद्रों में योगदान कराया गया था। बिहार पुलिस मुख्यालय से जारी इस आदेश पर तत्काल अमल करने को कहा गया है। आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 2 नवंबर को उत्पन्न हुई विधि व्यवस्था की समस्या के मद्देनजर पुलिस मुख्यालय ने यह फैसला किया है।

वहीं शुक्रवार को हुई इस घटना को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गृह विभाग के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी और पुलिस महानिदेशक केएस द्विवेदी से रिपोर्ट मांगी है। वहीं बिहार पुलिस मुख्यालय ने घटना की जांच के आदेश देते हुए पटना के जोनल आईजी नैय्यर हसनैन खान से पूरे मामले की रिपोर्ट तलब की है।

गौरतलब है कि शुक्रवार को हुए इस हंगामे के दौरान ट्रेनी सिपाहियों ने कई अधिकारियों को निशाना बनाया, लेकिन उन्मादी भीड़ पुलिस लाइन के डीएसपी अहमद की जान लेने पर आमादा थी। परिवार ने आरोप लगाया है कि कुछ लोगों ने साजिश के तहत उन पर हमला करवाया है। क्योंकि अहमद पुलिस लाइन के डीएसपी हैं और मृतका सिपाही ट्रैफिक की थी। ट्रैफिक के सारे अधिकारी अलग होते हैं। ये भी आरोप है कि हमले के दौरान सिपाहियों की उन्मादी भीड़ धर्मसूचक गालियां दे रही थी। घटना के वीडियो में भी साफ देखा जा सकता है कि उन्मादी सिपाही किस तरह के अपमानजनक शब्दों का उपयोग करते हुए उन्हें पीट रहे हैं।

वहीं इस घटना के पीछे साजिश की भी बात सामने आ रही है। बिहार के डीजीपी ने भी कहा है कि ट्रेनी पुलिसवालों को किसी ने भड़काया है, जिसके बाद ऐसी घटना हुई है। मिली जानकारी के अनुसार बीते दिनों डीएसपी अहमद ने पटना पुलिस लाइन के आसपास पुलिस एसोसिएशन के कुछ नेताओं के संरक्षण में सक्रिय शराब माफिया का उद्भेदन कर उन पर कार्रवाई की थी। इस मामले में आरोपी सिपाही नेताओं पर कार्रावई करते हुए उच्चाधिकारियों ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था।

हाल के दिनों में फिर से वहां पर शराब माफिया के सक्रिय होने और पुलिस लाइन के अंदर शराब बेचे जाने का पर्दाफाश करते हुए डीएसपी अहमद ने कई लोगों को गिरफ्तार करवाकर जेल भेजा था। शराब माफिया पर लगाम लगाने के लिए ही डीएसपी अहमद ने हाल ही में पुलिस लाइन में कई जगहों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाए थे, जिन्हें इस बवाल के दौरान खौसतौर से निशाना बनाया गया। बताया जा रहा है कि डीएसपी अहमद की इसी सख्त कार्रवाई की वजह से शराब माफिया और उन्हें संरक्षण देने वाले पुलिस लाइन के कुछ सिपाही उनसे नाराज थे। शुक्रवार के दिन महिला सिपाही की मौत के बहाने उन्होंने डीएसपी अहमद को जान से मारने की कोशिश की।

बता दें कि शुक्रवार की सुबह साथी ट्रेनी सिपाही की मौत से नाराज पुलिस लाइन में तैनात करीब 300 से अधिक ट्रेनी सिपाहियों ने अपने वरिष्ठ पुरुष अधिकारियों पर हमला कर दिया। इस हमले में बड़ी संख्या में महिला सिपाही भी शामिल थीं। सिपाहियों ने इस दौरान अधिकारियों के वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया और जमकर तोड़फोड़ की। सिपाहियों ने ऑफिस में उस समय मौजूद पुलिस लाइन डीएसपी मसलेहुद्दीन अहमद पर हमला कर दिया और उन्हें गालियां देते हुए बुरी तरह पीटने लगे। किसी तरह वहां से जान बचाकर अपने क्वार्टर भागे डीएसपी का पीछा करते हुए सिपाहियों की भीड़ उनके घर में घुस गई औऱ परिवार पर भी हमला कर दिया, जिसमें उनकी बेटी को भी काफी चोटें आई हैं। इस दौरान उपद्रवियों ने पूरे घर को तहस-नहस कर दिया।

वहां से निकलने के बाद उपद्रवी सिपाही पुलिस लाइन के बाहर सड़क पर पहुंचकर आम लोगों को मारने-पीटने लगे। इस दौरान उपद्रवियों ने सड़क पर आगजनी भी की और पास के मंदिर पर लगे सीसीटीवी को तोड़ने के लिए मंदिर पर पथराव भी किया। स्थानीय लोगों ने जब इसका विरोध शुरू किया और उधर से भी पत्थरबाजी शुरू हुई तो ये सिपाही वापस पुलिस लाइन में चले गए और पूरे लाइन पर कब्जा कर लिया और ऑफिस से लेकर वहां लगी गाड़ियों को भी तबाह कर दिया। इस दौरान इन रंगरूटों के हत्थे जो भी अधिकारी चढ़ा उन्होंने उसके साथ अभद्रता और मारपीट की।

घटना की सूचना मिलने पर लाइन पहुंचे पटना के सिटी एसपी डी अमरकेश और पटना के ग्रामीण एसपी समेत कई डीएसपी और इस्पेक्टरों को भी इन सिपाहियों ने नहीं बख्शा। उपद्रवी सिपाहियों के बीच फंसे सिटी एसपी और ग्रामीण एसपी को उनके बॉडीगार्ड ने कई राउंड हवाई फायरिंग कर किसी तरह वहां से सुरक्षित निकाला। सिपाहियों ने इस कदर तांडव मचा रखा था कि सूचना पाकर मौके पर पहुंचे पटना के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मनु महाराज भी पुलिस लाइन में प्रवेश करने की हिम्मत नहीं कर पाए। बाद में एसटीएफ, एटीएस और बिहार सैन्य पुलिस (बीएमपी) के जवानों के आने पर तमाम वरिष्ठ अधिकारियों ने हवाई फायरिंग करते हुए पुलिस लाइन में प्रवेश किया और स्थिति को नियंत्रण में किया।

उपद्रव के दौरान सिपाहियों ने मीडिया को भी नहीं बख्शा और घटना को कवर कर रहे कई पत्रकारों पर हमला कर दिया जिसमें पत्रकार संजय कुमार, कैमरामैन राहुल कुमार के साथ मारपीट की गई और पत्रकार मरगूब आलम का मोबाइल फोन छीनकर चूर कर दिया गया।

पूरे मामले पर बिहार के डीजीपी के एस द्विवेदी का कहना है कि महिला सिपाही की मौत किस कारण से हुई है ये जांच का विषय है, लेकिन इस घटना के बाद जिस तरह का आक्रोश ट्रेनी पुलिसवालों ने दिखाया है, वो गलत है। उन्होंने कहा कि पुलिस बनने वालों को पहले पुलिसिंग का सेंस समझने की जरूरत है, क्योंकि कानून सबके लिए एक समान है। उन्होंने मामले में दोषियों पर सख्त कार्रवाई करने की बात कही है।

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