सुप्रीम कोर्ट में आज पतंजलि मामले पर होगी सुनवाई, कोर्ट तय करेगा बाबा रामदेव पर अवमानना का आरोप लगेगा या नहीं
बाबा रामदेव ने हाथ जोड़कर कहा था कि उन्हें इस तरह के सार्वजनिक बयान नहीं देने चाहिए थे और भविष्य में अधिक सावधान रहेंगे। उन्होंने कहा था, "ऐसा हमसे उत्साह में हो गया, आगे हम नहीं करेंगे।"
सुप्रीम कोर्ट में पतंजलि विज्ञापन केस में आज सुनवाई होने वाली है। आज सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि बाबा रामदेव और बालकृष्ण के खिलाफ अवमानना का आरोप लगाया जाएगा या नहीं। इस मामले में पिछली सुनवाई 23 अप्रैल को हुई थी।
इस सुनवाई में पतंजलि की ओर से एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच से कहा था- हमने माफीनामा फाइल कर दिया है। इसे 67 अखबारों में पब्लिश किया गया है।
इस पर जस्टिस हिमा कोहली ने कहा कि आपके विज्ञापन जैसे रहते थे, इस ऐड का भी साइज वही था? कृपया इन विज्ञापनों की कटिंग ले लें और हमें भेज दें। इन्हें बड़ा करने की जरूरत नहीं है। हम इसका वास्तविक साइज देखना चाहते हैं। ये हमारा निर्देश है।
24 अप्रैल को बाबा रामदेव ने था छपवाया माफीनामा
पतंजलि का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया था कि कंपनी ने 67 दैनिक समाचार पत्रों में माफीनामा प्रकाशित किया है।
सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को सुनवाई की अगली तारीख 30 अप्रैल तक मुद्रित माफीनामा रिकॉर्ड पर रखने के लिए कहते हुए केंद्रीय उपभोक्ता मामलों और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, तथा सभी राज्यों के ड्रग लाइसेंसिंग प्राधिकरण को मामले में पक्षकारों के रूप में जोड़ने का निर्देश दिया।
पहले की सुनवाई में, बाबा रामदेव और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मौखिक रूप से "बिना शर्त माफी" मांगी थी।
बाबा रामदेव ने हाथ जोड़कर कहा था कि उन्हें इस तरह के सार्वजनिक बयान नहीं देने चाहिए थे और भविष्य में अधिक सावधान रहेंगे। उन्होंने कहा था, "ऐसा हमसे उत्साह में हो गया, आगे हम नहीं करेंगे।" इसी तर्ज पर, आचार्य बालकृष्ण ने कहा था, “यह गलती अज्ञानता में हुई है। आगे से बहुत ध्यान रखेंगे। उस गलती पर हम क्षमा प्रार्थना करते हैं।”
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 के उल्लंघन के लिए पतंजलि के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है - जो मधुमेह, हृदय रोग, उच्च या निम्न रक्तचाप और मोटापा सहित विशिष्ट बीमारियों और विकारों के इलाज के लिए कुछ उत्पादों के विज्ञापन पर रोक लगाता है।
आयुर्वेदिक कंपनी ने पहले शीर्ष अदालत के समक्ष एक वचन दिया था कि वह मीडिया में किसी भी रूप में अपने उत्पादों के औषधीय प्रभाव का दावा करने वाला कोई आकस्मिक बयान नहीं देगी या कानून का उल्लंघन करते हुए उनका विज्ञापन या ब्रांडिंग नहीं करेगी और चिकित्सा की किसी भी प्रणाली के खिलाफ कोई बयान जारी नहीं करेगी।
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