मनरेगा को लेकर संसदीय समिति ने की बड़ी सिफारिश! 'बजट' पर कैंची चलाने वाली मोदी सरकार क्या इसे करेगी स्वीकार?
ग्रामीण विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति ने रिपोर्ट में सरकार से सिफारिश की है कि मनरेगा के तहत मिलने वाले काम के कुल दिनों में बढ़ोतरी की जाए। काम के दिनों को वर्तमान के 100 दिनों से बढ़ाकर 150 दिन करने का समिति ने सुझाव दिया है।
कांग्रेस की यूपीए सरकार ने अपने काल में जो ‘मनरेगा’ योजना लेकर आई थी वह कोरोना काल में गरीब मजदूरों के लिए संजीवनी की तरह साबित हुई। जब शहरों में फैक्ट्रियां बंद हो गईं और यह मजदूर पालयन कर अपने गांव पहुंचे तो इन्हें मनरेगा ने ही सहारा दिया ताकि वह दो जून की रोटी कमा सकें। अब संसद की स्थायी समिति ने मनरेगा के क्रियान्वयन की समीक्षा करने की सिफारिश की है। समिति के मुताबिक, बदलते माहौल में मनरेगा में बदलाव की जरूरत है। इसके साथ ही वर्तमान क्रियान्वयन की कुछ कमियों पर भी समिति ने चिंता जताई है।
ग्रामीण विकास मंत्रालय से जुड़ी संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट संसद में मंगलवार को पेश की गई। इस रिपोर्ट में सरकार से सिफारिश की गई है कि मनरेगा के तहत मिलने वाले काम के कुल दिनों में बढ़ोतरी की जाए। काम के दिनों को वर्तमान के 100 दिनों से बढ़ाकर 150 दिन करने का समिति ने सुझाव दिया है। समिति का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले जरूरतमंद लोगों के लिए मनरेगा एक आखिरी उम्मीद है।
इसके अलावा समिति ने मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी दर को पूरे देश में एक सामान करने को कहा है। समिति ने रिपोर्ट में अलग-अलग राज्यों में मनरेगा मजदूरी दर अलग अलग होने को समझ से परे बताया गया है।
मनरेगा को लेकर मोदी सरकार नीति जग जाहिर है। केंद्र की मोदी सरकार ने इस बार के आम बजट 2022-23 में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून योजना का बजटीय आवंटन कम किया है। ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या से निपटने और मांग बढ़ाने वाली इस योजना का बजट पहले से करीब चौथाई कम कर दिया है। मनरेगा योजना के लिए इस बार बजट में सिर्फ 73,000 करोड़ रुपये रखे गए हैं। यह चालू वित्त वर्ष के संशोधित बजट अनुमान 98,000 करोड़ रुपये से 25.51 फीसदी कम है।
इससे पहले केंद्र सरकार ने कोरोना काल में 2020 में इसी योजना के लिए 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया था, जिसने करीब 11 करोड़ ग्रामीण मजदूरों को मुश्किल समय में राहत दी थी। ऐसे में सवाल यह कि बजट पर कैंची चलाने वाली मोदी सरकार क्या संसदीय समिति की इस सिफारिश को मानेगी?
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Published: 09 Feb 2022, 10:46 AM