परमबीर सिंह ने वसूली और रंगदारी केस में अपना बयान दर्ज कराया, जरूरत पड़ने पर फिर बुलाएगी मुंबई पुलिस
इसी साल मई में मुंबई पुलिस कमिश्नर पद से हटाए जाने के बाद से लापता हुए आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह कम से कम 5 जबरन वसूली के मामलों के साथ राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक पैनल जांच का भी सामना कर रहे हैं। उन्हें मुंबई की अदालत भगोड़ा घोषित कर चुकी है।
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह, जिन्हें हाल ही में एक मजिस्ट्रेट अदालत ने 'भगोड़ा' घोषित किया था, गुरुवार सुबह शहर पहुंचे और अपने खिलाफ दर्ज एक कथित वसूली मामले में पुलिस जांच में शामिल हुए। परमबीर सिंह ने मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के सामने जबरन वसूली के एक मामले की जांच में पेश होकर अपना बयान दर्ज करवाया। उनके वकील का कहना है कि उन्होंने अपराध शाखा के समक्ष बयान दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, वह जांच में सहयोग करना जारी रखेंगे।
वहीं, मुंबई पुलिस ने कहा कि परमबीर सिंह ने आज अपराध शाखा की इकाई 11 के कांदिवली कार्यालय में बिमल अग्रवाल द्वारा दर्ज रंगदारी मामले में अपना बयान दर्ज कराया। उनसे इस मामले में ही सवाल पूछे गए। अभी तक उन्हें दोबारा नहीं बुलाया गया है, लेकिन कहा गया है कि जब भी जरूरत होगी, उन्हें बुलाया जाएगा।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने हाल ही में परमबीर सिंह को 6 दिसंबर तक गिरफ्तारी के खिलाफ अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी। जिसके बाद परमबीर सिंह ने बुधवार को मीडिया को सूचित किया था कि वह चंडीगढ़ में हैं और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार जांच में शामिल होंगे। परमबीर सिंह ने आज मुंबई पहुंचने के बाद मीडिया से कहा, "मैं अदालत के निर्देशानुसार जांच में शामिल हो रहा हूं।"
पिछले मई से लापता आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह कम से कम 5 जबरन वसूली के मामलों और सरकार द्वारा नियुक्त पैनल जांच का सामना कर रहे हैं। उन्हें मुंबई की अदालत भगोड़ा घोषित कर चुकी है। परमबीर सिंह पिछले लगभग छह महीनों से 'ऑफ-ड्यूटी' बने हुए थे, जब उन्हें महाराष्ट्र राज्य होम गार्डस के कमांडेंट-जनरल के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया था।
यह वो समय था, जब उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के पास एक एसयूवी में 20 जिलेटिन की छड़ें पाई गई थीं और इसके मालिक ठाणे के व्यवसायी मनसुख हिरन की रहस्यमय तरीके से मौत हो गई थी। बाद में परमबीर सिंह ने तत्कालीन गृह मंत्री और वरिष्ठ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अनिल देशमुख के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा था, जिसके बाद हंगामा खड़ा हो गया था। उन्हें इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया था और वर्तमान में वह न्यायिक हिरासत में हैं।
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