दिल्ली में मंकीपॉक्स के मामले आने का बाद दहशत, विशेषज्ञों ने कहा- सतर्क रहें लेकिन घबराएं नहीं, जानें उपाय

मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है जिसे आमतौर पर त्वचा के घावों के साथ बुखार, दाने और सूजी हुई लिम्फ नोड्स से पहचाना जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि, यह एक आत्म-सीमित बीमारी है और मरीज चार सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं।

फोटो: IANS
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नवजीवन डेस्क

राजधानी में रविवार को मंकीपॉक्स का एक मामला सामने आने के बाद शहर के डॉक्टरों ने लोगों से सतर्क रहने को कहा है। डॉक्टरों ने हालांकि लोगों से कहा है कि इसे लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, विश्व स्तर पर, अफ्रीका में पांच मौतों सहित 75 देशों से मंकीपॉक्स के 16,000 से अधिक मामले सामने आए हैं। संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य निकाय ने शनिवार को भी संक्रमण को अंतरराष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया।

मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है जिसे आमतौर पर त्वचा के घावों के साथ बुखार, दाने और सूजी हुई लिम्फ नोड्स से पहचाना जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा कि हालांकि, यह एक आत्म-सीमित बीमारी है और मरीज चार सप्ताह के भीतर ठीक हो जाते हैं।

फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्ट्टियूट में इंटरनल मेडिसीन के डॉक्टर श्री बालाजी ने कहा, "सबसे पहले, हमें यह समझना होगा कि घबराने की जरूरत नहीं है। लोगों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि मंकीपॉक्स एक हल्का संक्रमण है, जिसमें चेचक के समान लक्षण होते हैं। "

सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसीन,एम्स के अतिरिक्त प्रोफेसर हर्षल साल्वे ने कहा, "मंकीपॉक्स मनुष्यों में श्वसन बूंदों और रोगियों के शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क से फैलता है। अस्पताल की निगरानी और मामलों में आइसोलेशन संक्रमण के प्रसार का मुख्य हस्तक्षेप या रोकथाम है। घबराने की जरूरत नहीं है।"

बता दें कि रविवार को जारी एक बयान में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली का 34 वर्षीय पुरुष रोगी वर्तमान में लोक नायक अस्पताल के एक निर्दिष्ट आइसोलेशन में ठीक हो रहा है। उन्होंने कहा, "करीबी संपर्कों की पहचान की गई है और स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार आइसोलेशन में हैं।"


रिपोर्ट किए गए मंकीपॉक्स के मामलों में, संचरण मुख्य रूप से निकट शारीरिक संपर्क के माध्यम से होता है, जिसमें यौन संपर्क भी शामिल है। संक्रमण दूषित सामग्री जैसे लिनेन, बिस्तर, इलेक्ट्रॉनिक्स और संक्रामक त्वचा कणों को ले जाने वाले कपड़ों से भी हो सकता है।

डब्ल्यूएचओ दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र में अब तक मंकीपॉक्स के पांच मामले सामने आए हैं, जिनमें से चार भारत से और एक थाईलैंड से है। संक्रमित दिल्ली के व्यक्ति का कथित तौर पर विदेश यात्रा का कोई इतिहास नहीं है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में एक पार्टी में संक्रमित हो गया।

मंकी पॉक्स संक्रमण के क्या लक्षण हो सकते हैं?

  • WHO के मुताबिक मंकी पॉक्स संक्रमण का इनक्यूबेशन पीरियड (संक्रमण होने से लक्षणों की शुरुआत तक) आमतौर पर 6 से 13 दिनों का होता है, हालांकि कुछ लोगों में यह 5 से 21 दिनों तक भी हो सकता है।

  • संक्रमित व्यक्ति को बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्फैडेनोपैथी (लिम्फ नोड्स की सूजन), पीठ और मांसपेशियों में दर्द के साथ गंभीर कमजोरी का अनुभव हो सकता है।

  • लिम्फ नोड्स की सूजन की समस्या को सबसे आम लक्षण माना जाता है। इसके अलावा रोगी के चेहरे और हाथ-पांव पर बड़े आकार के दाने हो सकते हैं। कुछ गंभीर संक्रमितों में यह दाने आंखों के कॉर्निया को भी प्रभावित कर सकते हैं।

  • स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक मंकीपॉक्स से मौत के मामले 11 फीसदी तक हो सकते हैं। संक्रमण के छोटे बच्चों में मौत का खतरा अधिक रहता है।

मंकी पॉक्स से बचने के उपाय

  • मंकी पॉक्स का लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत है।

  • मंकी पॉक्स के लक्षण जैसे स्कीन में रैशेज हो तो, दूसरों के संपर्क में आने से बचना चाहिए।

  • जिस व्यक्ति में मंकी पॉक्स के लक्षण दिख रहे हैं, उनकी चादर, तौलिया या कपड़ों जैसी पर्सनल चीजों का इंस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

  • बार-बार अपने हाथों को साबुन या फिर सैनिटाइजर से साफ करते रहें।

  • मंकी पॉक्स के लक्षण दिखते ही घर के एक कमरे में अकेले रहें।

  • अपने पालतू जानवरों से भी दूरी बनाकर रखने की जरूरत है।

मंकी पॉक्स संक्रमण के क्या कारण हैं?

  • स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, मंकी पॉक्स नामक वायरस के कारण यह संक्रमण होता है। यह वायरस ऑर्थोपॉक्सवायरस समूह से संबंधित है। इस समूह के अन्य सदस्य मनुष्यों में चेचक और काउपॉक्स जैसे संक्रमण का कारण बनते हैं।

  • डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, मंकी पॉक्स के एक से दूसरे व्यक्ति में संक्रमण के मामले बहुत ही कम हैं। संक्रमित व्यक्ति के छींकने-खांसने से निकलने वाली ड्रॉपलेट्स, संक्रमित व्यक्ति की त्वचा के घावों या संक्रमित के निकट संपर्क में आने के कारण दूसरे लोगों में भी संक्रमण होने की आशंका रहती है।

क्या है गाइडलाइन ?

  • विदेश से आए लोग बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क में न आएं। खासकर त्वचा व जननांग में घाव वाले लोगों से दूर रहें।

  • बंदर, चूहे, छछुंदर, वानर प्रजाति के अन्य जीवों से दूर रहें।

  • मृत या जीवित जंगली जानवरों और अन्य लोगों के संपर्क में आने से भी बचे।

  • मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक बीमारी है। इसमें बुखार के साथ शरीर पर रेशेस आते हैं।

  • इसके लक्षण चेचक के समान होते हैं।

  • यह वायरस मुख्यतया मध्य और पश्चिम अफ्रीका में होता है। 2003 में मंकीपॉक्स का पहला केस सामने आया था।

  • जंगली जीवों का मांस नहीं खाने और अफ्रीका के जंगली जानवरों से प्राप्त उत्पाद जिनमें क्रीम, लोशन, पाउडर शामिल से नहीं करने की सलाह दी गई है।

  • बीमार लोगों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली दूषित सामग्री जैसे कपड़े, बिस्तर आदि के संपर्क में न आएं।

  • देश में आगमन के हर प्वाइंट पर संदिग्ध मरीजों की जांच, लक्षण वाले और बिना लक्षण के मरीजों की टेस्टिंग, ट्रेसिंग और सर्विलांस टीम का गठन किया जाए।

  • अस्पतालों में मेडिकल तय प्रोटोकॉल के तहत इलाज और क्लिनिकल मैनेजमेंट हो।

  • सभी संदिग्ध मामलों की टेस्टिंग और स्क्रीनिंग एंट्री प्वाइंट्स और कम्युनिटी में की जाएगी

  • आइसोलेशन में रखे गए मरीज के जब तक सभी घाव ठीक नहीं होते और पपड़ी पूरी तरह से गिर नहीं जाती है को छुट्टी न दी जाए।

  • मंकीपॉक्स के संदिग्ध मामलों के प्रबंधन के लिए चिन्हित अस्पतालों में पर्याप्त मानव संसाधन और रसद सहायता सुनिश्चित की जाए।

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