संयुक्त राष्ट्र सत्र से पहले जम्मू-कश्मीर को बदनाम करने की पाक की साजिश, भ्रम फैलाने के लिए बना रहा योजना
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने जम्मू-कश्मीर के शीर्ष राजनीतिक नेताओं के साथ नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक को एक नाटक और पीआर एक्सरसाइज के रूप में वर्णित किया है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के सत्र से पहले आईएसआई और पाकिस्तानी विदेश कार्यालय अपने स्टेशन प्रमुखों और राजनयिक मिशनों से कह रहे हैं कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया पहल के संबंध में कश्मीर पर नकारात्मक मीडिया कवरेज पर जोर दें। यूएनजीए का 76वां सत्र 14 सितंबर को शुरू होने जा रहा है, जो कि 30 सितंबर तक चलेगा। इससे पहले कश्मीर के बारे में नकारात्मक प्रचार सुनिश्चित करने और अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इसे लेकर भ्रम फैलाने के लिए योजना बनाई जा रही है। इस प्रकार की योजना का इंडियन लिस्निंग पोस्ट से पता चला है।
पाकिस्तान अब शिक्षा, स्वास्थ्य और मोदी सरकार द्वारा की गई अन्य विकासात्मक पहलों के साथ-साथ जम्मू एवं कश्मीर के लिए राज्य की आसन्न बहाली के क्षेत्र में हुई प्रगति के बारे में असहज प्रतीत हो रहा है। कश्मीर में होने वाले तमाम पाठ्यक्रम की प्रक्रिया निर्धारित करने के लिए हाल ही में नई में एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। पाकिस्तान द्वारा नकारात्मक भावनाओं को भड़काने के लिए एक प्रक्रिया पहले से ही चल रही है, क्योंकि ट्विटर पर हैशटैग कश्मीर रिजेक्ट्स मोदी एपीसी को ट्रेंड कराया जा रहा है।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने जम्मू-कश्मीर के शीर्ष राजनीतिक नेताओं के साथ नरेंद्र मोदी की सर्वदलीय बैठक को एक नाटक और पीआर एक्सरसाइज के रूप में वर्णित किया है। जम्मू-कश्मीर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक से पाकिस्तान तिलमिलाया हुआ है। जम्मू-कश्मीर पर 24 जून को नई दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक के एक दिन बाद कुरैशी ने कहा, मेरे विचार में तो यह एक नाटक था। यह एक नाटक क्यों था? क्योंकि इसे जनसंपर्क एक्सरसाइज कहा जा सकता है, लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ।
कुरैशी ने कहा कि बैठक में कश्मीरी नेताओं ने सर्वसम्मति से राज्य के दर्जे की पूर्ण बहाली की मांग की है। लेकिन तथ्य यह है कि भारत सरकार जल्द से जल्द इस तरह के कदम पर विचार कर रही है। वास्तव में, परिसीमन अभ्यास पहले ही शुरू हो चुका है। वेस्टफेलियन संप्रभुता कानूनों के तहत, दिन के उजाले के तौर पर यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि जम्मू एवं कश्मीर कानूनी, नैतिक और संवैधानिक रूप से भारत का हिस्सा है और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हालांकि, पाकिस्तान का सपना अभी भी जारी है कि वह इसे कूटनीतिक, सैन्य रूप से बदलने के लिए और 30 साल के लंबे छद्म युद्ध की शुरूआत करके प्राप्त कर सकता है।
हालांकि पाकिस्तान अभी तक सभी मोचरें पर विफल रहा है, मगर उसकी बौखलाहट किसी न किसी बात या कदम के बाद आए दिन सामने आ ही जाती है। पाकिस्तान के दैनिक अखबार डॉन ने एक संपादकीय में कहा कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी कहा है कि पाकिस्तान भारत के साथ बातचीत के लिए तैयार है, मगर कश्मीर की विशेष स्थिति की बहाली के लिए रोडमैप प्रदान करना चाहिए।
अखबार में कहा गया, इसलिए, भारत को न केवल कश्मीरियों की चिंताओं को दूर करने के लिए, बल्कि पाकिस्तान के साथ शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए भी ठोस कदम उठाने चाहिए। इसके अलावा, भारत को इस क्षेत्र में बाहरी लोगों को बसाने के साथ कश्मीर की जनसांख्यिकी को बदलने के अपने प्रयासों को रोकने की जरूरत है। भारत को यह दिखाना होगा कि यह कश्मीर के लोगों की इच्छाओं का सम्मान करता है, वरना ऐसी बैठकें एक राजनीतिक नाटक से कुछ ज्यादा ही होंगी।
हाल के दिनों में, लगभग हर दूसरे दिन मुठभेड़ों के साथ जम्मू-कश्मीर की शांति को तोड़ने के लिए आतंकवादी गतिविधियों में तेजी आई है। जम्मू में ड्रोन हमलों को मौजूदा शांति को भंग करने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है।
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