करतारपुर कॉरिडोर के पीछे पाकिस्तानी जनरल बाजवा की थी नापाक साजिश? इमरान के मंत्री के खुलासे से मची खलबली
पांजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख राशिद के कबूलनामे ने करतारपुर गलियारे के पीछे की पाकिस्तान की पूरी सोच को बेनकाब कर दिया है। अमरिंदर ने राशिद के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई।
पाकिस्तान के रेल मंत्री और इमरान खान के करीबी शेख राशिद के इस बयान के बाद भारत से लेकर पाकिस्तान तक सनसनी फैल गई है कि करतारपुर कॉरिडोर पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के दिमाग की उपज थी और मकसद है भारत को नुकसान पहुंचाना। राशिद ने जोर देकर कहा कि इससे भारत को हमेशा नुकसान होगा और करतारपुर कॉरिडोर को खोलकर जनरल बाजवा ने भारत को तगड़ी चोट दी है। हालांकि शेख राशिद बड़बोलेपन के लिए बदनाम हैं, लेकिन राजनीतिक और कूटनीतिक हलकोंं में माना जा रहा है कि उनका यह बयान बेमकसद नहीं है। अपने सेना प्रमुख का संदर्भ देते हुए प्रधानमंत्री के नजदीकी एक वरिष्ठ मंत्री का यह कथन बहुत मायने रखता है। खासतौर से तब, जब बाजवा के कार्यकाल में बढ़ोतरी को लेकर पाकिस्तान में खासा विवाद चल रहा है। भारतीय खुफिया एजेंसियां राशिद के बयान के बाद आज दिन भर मंथन में सक्रिय रहींं। पाक रेल मंत्री के विवादास्पद बयान के बाद नए सिरे से इनपुट लिए जा रहे हैं। इस बाबत पंजाब में खूब हलचल है।
वैसे, पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पहले ही करतारपुर कॉरीडोर के मद्देनजर आशंका जाहिर कर चुके हैं कि आईएसआई कॉरिडोर का इस्तेमाल खालिस्तानी आतंकी संगठनों की सक्रियता बढ़ाने के लिए कर सकती है। अब करतारपुर कॉरिडोर के निर्माण में जनरल कमर बाजवा की भूमिका और तत्परता के अर्थों को नए सिरे से खंगाला जा रहा है। पाकिस्तानी फौज और सियासत की एक प्रभावी लॉबी भी शुरू से ही करतारपुर कॉरिडोर के निर्माण के पीछे 'कुछ और' देखती रही है। यह भी हकीकत है कि पाकिस्तान में करतारपुर कॉरिडोर के लिए सबसे ज्यादा उत्साहित बाजवा थे। उनके पास करतारपुर का पूरा खाका कागज और दिमाग में एक साथ था। आइए, जानते हैं कैसे?
जनरल कमर बाजवा का पुश्तैनी गांव (नारोवाल शहर के समीप) काला पहाड़ है। यह गांव करतारपुर से महज 40 किलोमीटर की दूरी पर है। बेशक जनरल बाजवा का जन्म कराची में हुआ लेकिन वह काला पहाड़ से लेकर करतारपुर और आगे भारत के डेरा बाबा नानक तक के चप्पे-चप्पे से बखूबी वाकिफ हैं। इस मार्ग के महत्व को अच्छी तरह समझते हैं और करतारपुर साहिब की महत्ता को भी। पाकिस्तान के ब्रिटेन में रह रहे पत्रकार, लेखक डॉ. गुलाम मुस्तफा डोगर के मुताबिक, इस धरातल को प्रधानमंत्री इमरान खान भी उतना नहीं जानते, जितनी जानकारी बाजवा को है।
जब करतारपुर कॉरिडोर के निर्माण के फैसले का ऐलान किया गया तो निजी कंपनियों ने इसको बनाने की समयावधि कम से कम 5 साल बताई थी। कोई भी कंपनी इससे कम वक्त में यह काम पूरा करने को तैयार नहीं थी। लेकिन बाजवा बाजिद थे कि नवंबर 2019 तक किसी भी तरह यह सिरे लग जाए, क्योंकि तब तक उन्हें रिटायर होना था। जनरल चाहते थे कि किसी भी सूरत में करतारपुर कॉरिडोर उनके कार्यकाल में बन जाए।
जनरल कमर बाजवा ने करतारपुर कॉरिडोर का ठेका एफडब्ल्यूओ (फ्रंटियर वकर्स ऑर्गनाइजेशन) को दिया। यह सेना की कंपनी है और सेना के अधीन काम करती है। इसमें सेवानिवृत्त सैनिक होते हैं। इस कंपनी का मुख्य काम इमारतें और सड़कें आदि बनाना है। इस कंपनी को 'फौजी आदेश' हुआ कि करतारपुर कॉरिडोर को एक साल के भीतर पूरा करना है और खर्च की कोई परवाह नहीं! बताया जाता है कि एफडब्ल्यूओ को 15 से 20 बिलियन पाकिस्तानी रुपया मिला। कंपनी के रिटायर सैनिक कर्मचारियों ने 3 चरणों में लगातार 24 घंटे काम किया और 'टारगेट' को 11 महीनों में पूरा कर दिया।
भारत के पंजाब में यह बात आज भी चर्चा का विषय है कि पाकिस्तान ने इतना बड़ा प्रोजेक्ट आखिर इतने कम वक्त में कैसे पूरा कर लिया और वह भी लगभग 20 अरब की भारी भरकम रकम लगाकर। अब जो आशंकाएं दरपेश हैं, यकीनन उनके पीछे यह सच्चाई और चर्चाएं भी हैंं। जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान में भी करतारपुर कॉरिडोर के जनरल कमर बाजवा के सेवानिवृत्त (अब उनके कार्यकाल में इजाफा हो गया है) होने से पहले पूरा होने को लेकर कई किस्म सरगोशियांं हैं। संभवत: उन सबकी पुख्ता जानकारी के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री ने पाकिस्तान की सेना, उसके तहत करती आईएसआई की मंशा को लेकर आशंकाएं जाहिर की थींं। अब पाकिस्तान के रेल मंत्री का करतारपुर कॉरिडोर और अपनी सेना के मुखिया जनरल बाजवा की बाबत दिया बयान कहीं न कहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह की अतीत में जाहिर की गई आशंकाओं को आगे बढ़ाता है। शेख रशिद के बयान के बाद पंजाब का गृह विभाग और खुफिया एजेंसियां आज दिन भर सक्रिय रहींं। पूरे हालात की नए सिरे से समीक्षा की जा रही है।
पांजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर ने कहा कि पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख राशिद के कबूलनामे ने करतारपुर गलियारे के पीछे की पाकिस्तान की पूरी सोच को बेनकाब कर दिया है। अमरिंदर ने राशिद के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई। गलियारा खोले जाने को भारत की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा बताते हुए अमरिंदर ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ किसी भी तरह के दुस्साहस का प्रयास नहीं करने को कहा है। पंजाब के सीएम ने कहा कि उन्होंने हमेशा कहा है कि एक सिख होने के नाते गलियारा खोले जाने पर वह बहुत खुश हैं, लेकिन भारत के समक्ष खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
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