पाकिस्तान का आर्थिक तौर पर बेड़ा गर्क होना तय, एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से नहीं निकल पाया बाहर
आंतकवाद पर नजर रखने वाली दुनिया की सर्वोच्च संस्था एफएटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ही रखा है। हालांकि पाकिस्तान इसके लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा था, लेकिन उसकी कोशिशें नाकाम साबित हुईं। ऐसे में पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली जारी रहने की संभावना है।
पाकिस्तान की इमरान खान सरकार उन 27 बिंदुओं पर अमल करने में नाकाम रही है जो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ ने उसके सामने रखे थे। नतीजतन पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे सूची में ही रखा गया है। एफएटीएफ आतंकवाद पर नजर रखने वाली विश्व की सर्वोच्च संस्था है। एफएटीएफ के इस फैसले से इमरान सरकार को करारा झटका लगा है और पाकिस्तान के सामने आर्थिक संकट और गहराने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।
गौरतलब है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान काफी समय से एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर निकलने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे। उन्होंन इसके लिए एफएटीएफ के प्लेनरी सेशन में ऑनलाइन हिस्सा भी लिया था और पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर निकालने की अपील की थी। इतना ही नहीं इमरान सरकार ने इसके लिए अमेरिका के एक शीर्ष लॉबिस्ट की सेवाएं भी ली थीं। लेकिन एफएटीएफ ने कोर अपीलों पर नहीं बल्कि असली मुद्दो पर फैसला किया और पाकिस्तन को ग्रे लिस्ट में भी रखा। एफएटीएफ के मुताबिक पाकिस्तान 27 बिंदुओं में से 6 अहम बिंदुओं पर अमल करने में बिल्कुल नाकाम साबित हुआ है।
कुछ दिन पहले ही एफएटीएफ ने आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के ढुलमुल रवैये पर सख्त नाराजगी जताई थी। एफएटीएफ ने कहा था कि “पाकिस्तान आतंक के खिलाफ हमारी 27 सूत्रीय कार्ययोजनाओं में से प्रमुख 6 योजनाओं को पूरा करने में नाकाम साबित हुआ है।“ इन 6 बिंदुओं में भारत में वांटेड आतंकवादियों मौलाना मसूद अजहर और हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई न करना भी शामिल हैं।
ग्रे लिस्ट से बाहर न आने के कारण पाकिस्तान को अब दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और उसकी आर्थिक स्थिति और बिगड़ सकती है। इसके तहत पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ), विश्व बैंक और यूरोपीय संघ से आर्थिक मदद मिलने में भी मुश्किलें आएंगी। साथ ही अन्य देश भी पाकिस्तान को आर्थिक बंद कर सकते हैं।
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