धारा 370 पर पाक को संयुक्त राष्ट्र का नहीं मिला साथ, दखल देने से किया इनकार, यूएन ने दिलाई शिमला समझौते की याद

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस ने भारत-पाकिस्तान से गुजारिश की है कि दोनों देश जम्मू-कश्मीर को प्रभावित करने वाले किसी भी कदम को उठाने में अधिक सावधानी बरतें। उन्होंने शिमला समझौते का हवाला दिया जो किसी भी तीसरे पक्ष को इस मुद्दे पर मध्यस्थता करने की इजाजत नहीं देता है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान की बौखलाहट जारी है। इस बीच धारा 370 पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) से पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है। यूएनएससी की अध्यक्ष जोआना रोनक्का ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 में किए गए बदलाव पर अपनी प्रतिक्रिया देने से इंकार कर दिया है साथ ही यूएन ने पाकिस्तान को 1972 शिमला समझौते का रास्ता भी दिखाया है।

इस मामले में संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने पड़ोसी देशों से संयम बरतने की सलाह दी है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने शिमला समझौते का आह्वान किया है,जिसमें कहा गया था कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है। गुटेरेस ने भारत और पाकिस्तान को कोई भी ऐसा कदम उठाने से परहेज करने को कहा है, जिससे जम्मू-कश्मीर की स्थिति को प्रभावित हो सकती है। कश्मीर मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी का समर्थन हासिल करने की पाकिस्तान की हालिया कोशिशों को बहुत ज्यादा समर्थन नहीं मिला है। चीन और तुर्की ने हालात पर चिंता जताई है।


वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि उनका देश शिमला समझौते की कानूनी वैधता को परखेगा। भारत और पाकिस्तान के बीच साल 1971 के युद्ध के बाद साल 1972 में शिमला में समझौता हुआ था। उस समय इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो थे।

इससे पहले संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने चिंता जाहिर कर चुकी है। संयुक्त राष्ट्र ने जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लेना के फैसले पर चिंता जाहिर की थी। यूएन ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संवैधानिक प्रावधान अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने से वहां लोगों की बुनियादी लोकतांत्रिक आजादी पर खतरे और भी बढ़ जाएंगे।


बता दें कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान के पीएम इमरान खान एलान कर चुके हैं कि वे इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद समेत विभिन्न मंचों पर उठाएंगे। इस मामले में पाकिस्तान को चीन और तुर्की से भी समर्थन मिलता नहीं दिखाई दे रहा है, हालांकि इस पर उन्होंने चिंता जरूर जाहिर की है। वहीं बात करे भारत की तो भारत को बांग्लादेश, श्रीलंका और मालदीव जैसे पड़ोसी देशों से समर्थन हासिल हुआ है।

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Published: 09 Aug 2019, 11:24 AM