'एक राष्ट्र-एक चुनाव': विपक्षी पार्टियों ने लोकतंत्र और संघवाद के खिलाफ बताया, BJP के सहयोगी दलों ने किया समर्थन
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर कोविंद समिति की सिफारिशों को मंजूरी मिलने पर इस विवादित पहल पर चर्चा तेज हो गई है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार शीतकालीन सत्र में इस पर एक बिल ला सकती है। ऐसे में अलग-अलग राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया सामने आ रही है।
मोदी कैबिनेट के ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर कोविंद समिति की सिफारिशों को मंजूर करने के बाद एक बार फिर इस विवादित पहल पर चर्चा तेज हो गई है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि सरकार शीतकालीन सत्र में इस पर एक बिल ला सकती है। ऐसे में अलग-अलग राजनीतिक दलों की इसको लेकर प्रतिक्रिया सामने आ रही है। कांग्रेस, आरजेडी, डीएमके, समाजवादी पार्टी समेत विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र और संघवाद पर हमला बताते हुए इसका विरोध किया है, वहीं बीजेपी और एनडीए में शामिल दलों ने सरकार के फैसले का स्वागत किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर कहा, “हम इसके साथ नहीं हैं। एक राष्ट्र, एक चुनाव लोकतंत्र में काम नहीं कर सकता। अगर हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र ज़िंदा रहे तो चुनाव जरूरत के मुताबिक होने चाहिए, यह संविधान के खिलाफ है।”
वहीं कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा, "ऐसे कई मुद्दे हैं जिन्हें केंद्र सरकार लाने की कोशिश करती है और अंततः यू-टर्न ले लेती है क्योंकि संसद में संख्या पर्याप्त नहीं होने के कारण उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यह उन मुद्दों में से एक है जिसे केवल लोगों के दिमाग और ध्यान को भटकाने के लिए लाया जा रहा है। मुझे लगता है कि लोगों के दिमाग को भटकाने और किसी तरह का ध्यान भटकाने के लिए वे इस मुद्दे पर बात कर रहे हैं। संसद की मौजूदा संरचना के साथ ऐसा करना उनके लिए संभव नहीं है, लेकिन उन्होंने इसे कैबिनेट में पारित कर दिया है। उन्होंने पहले भी यू-टर्न लिए हैं। यह भी एक यू-टर्न होगा।
केरल के सीएम और सीपीएम नेता पिनाराई विजयन ने कहा, "एक राष्ट्र, एक चुनाव" की अवधारणा भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करने और केंद्र सरकार को पूर्ण शक्ति प्रदान करने के उद्देश्य से एक छिपा हुआ एजेंडा है। ऐसा लगता है कि बीजेपी ने पिछले लोकसभा चुनावों में मिली असफलताओं से कोई सबक नहीं सीखा है। संघ परिवार भारत की चुनावी राजनीति को राष्ट्रपति प्रणाली की ओर ले जाने का गुप्त प्रयास कर रहा है।
समाजवादी पार्टी के नेता रविदास मल्होत्रा ने इस पर कहा, "...अगर बीजेपी 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' लागू करना चाहती है, तो उसे सभी विपक्षी दलों के राष्ट्रीय अध्यक्षों और लोकसभा में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं की एक सर्वदलीय बैठक बुलानी चाहिए। हम देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव चाहते हैं।"
आरजेडी नेता मनोज झा ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर कहा, “दावा किया जा रहा है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोविंद समिति की सिफारिश के अनुसार ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हमारे पास कुछ बुनियादी सवाल हैं। 1962 तक भारत में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ था, लेकिन यह इसलिए खत्म हो गया क्योंकि कई क्षेत्रों में एक पार्टी के वर्चस्व को चुनौती दी जा रही थी और अल्पमत की सरकारें बन रही थीं, जबकि कुछ जगहों पर मध्यावधि चुनाव हो रहे थे। इस बार इसके लिए क्या व्यवस्था होगी।
आम आदमी पार्टी के सांसद संदीप पाठक ने कहा, वे चार राज्यों में एक साथ चुनाव कराने में असमर्थ थे। मेरा कहना है कि जब वे चार राज्यों में एक साथ चुनाव कराने में असमर्थ हैं, तो एक राष्ट्र, एक चुनाव कैसे संभव है।” वहीं आप की हरियाणा इकाई के अध्यक्ष सुशील गुप्ता ने कहा, "वे सिर्फ राजनीतिक ड्रामा करते हैं...यह उससे ज्यादा कुछ नहीं है...अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा देकर जनता के बीच जाने का फैसला किया है...उन्होंने तय किया है कि अगर जनता उन्हें दोबारा चुनती है तो ही वे सीएम के उस पद पर बैठेंगे।"
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर डीएमके नेता टीकेएस एलंगोवन ने कहा, "...इस सरकार (केंद्र) के साथ समस्या यह है कि यह कहती कुछ है और करती कुछ और है...उन्हें समझना चाहिए कि यह एक राष्ट्र नहीं है, यह 22 भाषाओं, कई धर्मों, कई जातियों, वर्गों और संस्कृतियों वाला राष्ट्र है। वे इस मूर्खतापूर्ण राय के हैं कि यह एक ही देश है और वे कुछ भी कर सकते हैं..."।
एक राष्ट्र एक चुनाव पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, "आप अपनी सुविधा के आधार पर काम नहीं कर सकते। संविधान संवैधानिक सिद्धांतों के आधार पर काम करेगा। यह हमेशा से बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा रही है - वे नहीं चाहते कि क्षेत्रीय दल अस्तित्व में रहें...हमने इसका विरोध किया है और हम ऐसा करना जारी रखेंगे।" ओवैसी ने कहा, "मैं समिति के समक्ष भी गया था और एक राष्ट्र एक चुनाव का विरोध किया था। मुझे लगता है कि यह एक समस्या की तलाश में एक समाधान है... पीएम मोदी की पूरी योजना क्षेत्रीय दलों को खत्म करना और राष्ट्रीय दलों को अस्तित्व में रखना है।"
वहीं बीजेपी और केंद्र की एनडीए सरकार में शामिल दलों ने एक राष्ट्र, एक चुनाव पर सरकार के फैसले का स्वागत किया है। बीजेपी नेता और गृहमंत्री अमित शाह ने इसे सुधार बताते हुए इसका स्वागत किया है। वहीं शिवराज सिंह चौहान, पुष्कर धामी, अश्विनी वैष्णव समेत कई बीजेपी नेताओं ने केंद्र के फैसले की सराहना करते हुए इसका स्वागत किया है।
वहीं एनडीए में शामिल जेडीयू के नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन प्रसाद ने कहा कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर कैबिनेट के फैसले का हम स्वागत करते हैं। इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और लोग चुनावों में सक्रिय रूप से भाग लेंगे। इस फैसले के कई फायदे होंगे।
'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा, "आज प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट ने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में तैयार किए गए एक राष्ट्र, एक चुनाव के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी... हम सरकार के इस फैसले का समर्थन करते हैं।"
वहीं बीएसपी प्रमुख मायावती ने भी इस कदम का समर्थन किया है। उन्होंने कहा, ’एक देश, एक चुनाव’ की व्यवस्था के तहत् देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एक साथ कराने वाले प्रस्ताव को केन्द्रीय कैबिनेट द्वारा आज दी गयी मंजूरी पर हमारी पार्टी का स्टैंड सकारात्मक है, लेकिन इसका उद्देश्य देश और जनहित में होना ज़रूरी है।”
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