जम्मू-कश्मीर में बाहरी को वोटिंग अधिकार देने पर महबूबा बोलीं- ये 'संविधान' खत्म कर तिरंगे को भी भगवा झंडे में बदल देंगे

जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों को वोट देने का अधिकार देने पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों से हर चीज छीनने में लगी हुई है।

फोटो: सोशल मीडिया
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नवजीवन डेस्क

जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार के एक ऐलान से राज्य में सियासी जंग छिड़ गई है। एक बयान में हृदेश कुमार ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में करीब 25 लाख नए मतदाताओं के नाम मतदाता सूची में जोड़े जाने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी कहा कि मतदाता सूची में शामिल होने के लिए किसी व्यक्ति के पास जम्मू-कश्मीर का अधिवास प्रमाण पत्र होना जरूरी नहीं है। उनके इस बयान पर राज्य की कई पार्टियों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रें ने इस मुद्दों पर केंद्र की मोदी सरकार को घेरा है और निशाना साधा है।

पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने क्या कहा?

जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों को वोट देने का अधिकार देने पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों से हर चीज छीनने में लगी हुई है। महबूबा ने कहा, “मैं मुल्क के लोगों को बताना चाहती हूं कि बीजेपी ने यहां के संविधान को अधिनस्त करने का जो तरीका अपनाया उससे इन्होंने केवल हमारा संविधान और झंडा नहीं छीना बल्कि अगली बारी आपकी है। 2019 के बाद इन्होंने गैर-कानूनी तरीके से हमसे हमारा 370, संविधान और झंडा छीना गया है।”

उन्होंने आगे कहा, “अगर इनमें हिम्मत होती तो संसद के जरिए करते, मैं उसको कानूनी मानती। 2024 के चुनाव के बाद यह देश के संविधान को भी खत्म करे देंगे और मुल्क के झंडे को भगवा झंडे में लहरा देंगे। यह इस राष्ट्र को बीजेपी राष्ट्र बनाना चाहते हैं।”


नेशनल कॉन्फ्रेंस ने क्या प्रतिक्रिया दी है?

नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा, “क्या बीजेपी, जम्मू कश्मीर के वास्तविक मतदाताओं के समर्थन को लेकर इतनी असुरक्षित है कि उसे सीटें जीतने के लिए अस्थायी मतदाताओं को आयात करने की जरूरत है? जब जम्मू-कश्मीर के लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने का मौका दिया जाएगा तो इनमें से कोई भी चीज बीजेपी की सहायता नहीं करेगी।”

जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची पुनरीक्षण काम चल रहा

जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 के निरस्त होने के बाद पहली बार मतदाता सूची का विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण किया जा रहा है। जम्मू-कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने 25 नवंबर तक मतदाता सूची के विशेष सारांश संशोधन को पूरा करने के लिए चल रही कवायद को एक चुनौतीपूर्ण काम बताया। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया को समय पर पूरा करने का यह व्यापक अभियान यह सुनिश्चित करने के लिए चलाया जा रहा है कि 1 अक्टूबर, 2022 या उससे पहले 18 साल की उम्र के सभी पात्र मतदाताओं का पंजीकरण कर उन्हें ‘त्रुटि-मुक्त’ अंतिम मतदाता सूची में शामिल किया जा सके।

निर्वाचन आयोग द्वारा हाल ही में जारी पुनर्निर्धारित समय-सीमा के मुताबिक, एक एकीकृत मतदाता सूची का मसौदा 15 सितंबर को प्रकाशित किया जाएगा। वहीं, सूची को लेकर दावा और आपत्ति दर्ज कराने की अवधि 15 सितंबर से 25 अक्टूबर के बीच निर्धारित की गई है। 10 नवंबर तक दावों और आपत्तियों का निपटारा किया जाएगा। 25 नवंबर को अंतिम मतदाता सूची के प्रकाशन से पहले 19 नवंबर को मानदंडों की जांच और अंतिम प्रकाशन और डेटाबेस को अपडेट करने और पूरक की छपाई के लिए आयोग की अनुमति हासिल करना तय किया गया है।


जम्मू-कश्मीर में फिलहाल 76 लाख मतदाता हैं

चुनाव आयोग के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में 18 साल से ज्यादा उम्र के करीब 98 लाख लोग हैं, जबकि अंतिम मतदाता सूची के मुताबिक, सूचीबद्ध मतदाताओं की कुल संख्या 76 लाख है।

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