ओडिशा: ‘दाना’ की चेतावनी ने गंजम वासियों के जहन में चक्रवात ‘फैलिन’ की खौफ़नाक यादें ताजा कीं
ओडिशा सरकार का कहना है कि शुक्रवार की सुबह राज्य के तटीय इलाकों में दस्तक देने जा रहे चक्रवाती तूफान ‘दाना’ से निपटने के लिए वह अपनी तैयारी कर रही है।
चक्रवाती तूफान ‘दाना’ की चेतावनी के साथ ही ओडिशा के गंजम जिले के लोगों के जहन में, 2013 में आए चक्रवात ‘फैलिन’ की खौफ़नाक यादें फिर से ताजा हो गई हैं।
ओडिशा सरकार का कहना है कि शुक्रवार की सुबह राज्य के तटीय इलाकों में दस्तक देने जा रहे चक्रवाती तूफान ‘दाना’ से निपटने के लिए वह अपनी तैयारी कर रही है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, बंगाल की खाड़ी के पूर्व-मध्य में बना गहरे दबाव का क्षेत्र बुधवार को सुबह सुबह चक्रवाती तूफान ‘दाना’ में तब्दील हो गया।
आईएमडी ने कहा कि इसके उत्तर-पश्चिम दिशा में बढ़ने, उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक भीषण चक्रवाती तूफान में तब्दील होने और 25 अक्टूबर की सुबह पुरी और सागर द्वीप के बीच ओडिशा-पश्चिम बंगाल के तटों को पार करने की संभावना है। इस दौरान हवा की रफ्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटा तक हो सकती है।
सुबह पांच बजकर 30 मिनट तक गहरे दबाव का यह क्षेत्र पारादीप (ओडिशा) से लगभग 560 किलोमीटर दक्षिण-पूर्व और सागर द्वीप (पश्चिम बंगाल) से 630 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिणपूर्व में था।
चक्रवाती तूफान ‘फैलिन’ ने 12 अक्टूबर 2013 को राज्य में भारी तबाही मचाई थी जिसके असर से गोपालपुर के पास हुए भूस्खलन में जिले के बुनियादी ढांचे के क्षतिग्रस्त होने के साथ-साथ कम से कम 15 लोगों की जान चली गई थी और लगभग 2,50,000 घरों को नुकसान हुआ था।
तटीय गांव आर्यपल्ली के निवासी 65 वर्षीय एम. तातेया ने कहा, ‘‘जब जिला प्रशासन ने संभावित चक्रवात की तैयारी शुरू की और हमें मछली पकड़ने के लिए समुद्र में जाने से रोका, तो उस काली रात का मंजर फिर से जहन में आ गया।’’
जगदलपुर की 50 वर्षीय लक्ष्मी ने कहा, ‘‘मैं ‘फैलिन’ से मची तबाही कभी नहीं भूल पाऊंगी, जिसने मेरा छप्पर वाला घर नष्ट कर दिया था। उस तबाही में मेरा कोई सामान नहीं बचा था। ’’
हालांकि उन्होंने सरकारी सहायता से अपना घर फिर से बनवाया, लेकिन वह भगवान से प्रार्थना करती हैं कि ऐसा चक्रवात दोबारा न आए।
जिलाधिकारी दिव्य ज्योति परिडा ने अधिकारियों के साथ बैठक की, जिसमें चक्रवात आश्रय स्थल तैयार करने पर जोर दिया गया।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘यदि जरूरत पड़ी तो निचले और संवेदनशील इलाकों में रहने वाले लोगों को इन आश्रय स्थलों तक पहुंचाया जाएगा।’’
कलेक्टर ने सभी सरकारी कर्मचारियों को अपने कार्यस्थलों पर रहने का आदेश दिया है और बिना अनुमति के किसी को भी क्षेत्राधिकार से बाहर जाने से मना किया गया है। प्रशासन का खास ध्यान पांच तटीय ब्लॉकों - गंजम, रंभा, खलीकोट, रंगीलुंडा और चिकिती पर है। तटीय गांवों में सोमवार से मछुआरों को मछली पकड़ने से रोक दिया गया है।
अतिरिक्त जिला मत्स्य पालन अधिकारी (समुद्री) सुब्रत पटनायक ने कहा, ‘‘हम सुबह से ही सभी तटीय गांवों में लोगों को जागरुक कर रहे हैं और उन्हें 26 अक्टूबर तक समुद्र में न जाने की सलाह दे रहे हैं।’’
सूत्रों ने बताया कि समुद्र, रंभा क्षेत्र के आसपास और चिलिका झील से मछुआरे प्रशासन के निर्देशों के तहत वापस लौटने लगे हैं।
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