अब WHO बनाएगा कोरोना से लड़ने की दवा, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना होगा उद्देश्य
सॉलिडैरिटी नाम के क्लिनिकल ट्रायल का ऐलान पहली बार 18 मार्च को डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ट्रेडोस अदनोम घेब्रेयस ने की थी। परीक्षण में तीन दवाओं- इन्फ्लिक्सिमाब, इमैटिनिब और आटेर्सुनेट का परीक्षण किया जाएगा जो सूजन को कम करने में सहायक साबित हो सकते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) तीन मौजूदा दवाओं के एक अंतरराष्ट्रीय नैदानिक परीक्षण को फिर से शुरू करने के लिए तैयार है जो कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती लोगों की जान बचा सकता है। इस बार परीक्षण का उद्देश्य सूजन को कम करना और रोग प्रतिरोधक धमता बढ़ाना होगा।
सॉलिडैरिटी नाम के क्लिनिकल ट्रायल की घोषणा पहली बार 18 मार्च को डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल ट्रेडोस अदनोम घेब्रेयस ने की थी। परीक्षण में तीन दवाओं- इन्फ्लिक्सिमाब, इमैटिनिब और आटेर्सुनेट का परीक्षण किया जाएगा जो सूजन को कम करने में सहायक साबित हो सकते हैं। नॉर्वेजियन इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक हेल्थ के वैज्ञानिक निदेशक जॉन अर्ने रोटिंगेन ने कहा है कि तीनों दवाओं को छोटे नैदानिक परीक्षणों और व्यापक उपलब्धता में दिखाए गए वादे के आधार पर ध्यान से चुना गया है।
बता दें कि पहले सोलिडैरिटी ट्रायल का उद्देश्य इन चार दवाओं और ड्रग कॉम्बिनेशन की प्रभावशीलता की तुलना करना है। कोविड-19 के इलाज में उपयोग होने वाला रेमेडिसविर, इंटरफेरॉन, मलेरिया ड्रग हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन और एचआईवी ड्रग्स का एक संयोजन है, जिसे लोपिनवीर और रीतोनवीर कहा जाता है।
मिली जानकारी के अनुसार, अक्टूबर तक परीक्षण के दौरान 30 देशों में कोरोना वायरस के साथ 11,000 से अधिक प्रतिभागियों को अस्पताल में भर्ती कराया था। लेकिन शोधकर्ताओं ने पाया कि चार दवाओं में से किसी ने भी जीवन नहीं बचाया या अस्पताल में एडमिट होने की स्थिती को कम नहीं किया।
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