यूपी में अब महाराज की छवि पर ही चलने लगा है 'बाबा का बुलडोजर', ठेले वालों के लिए इंतजाम किए बिना हो रही कार्यवाही
उत्तर प्रदेश में बाबा का बुलडोजर अब महाराज की अपनी ही छवि पर चलता नजर आ रहा है। बुलडोजर को लेकर अतिउत्साहित प्रशासनिक अमला ठेले-झुग्गी वालों पर कार्यवाही कर वाहवाही लूटने की कोशिश कर रहा है, लेकिन इस सब पर सीएम योगी को सफाई देना पड़ रही है।
उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर इमेज को भले ही बीजेपी शासित अन्य प्रदेशों में कॉपी करने की होड़ हो, लेकिन अब यह बुलडोजर उलटे योगी की इमेज पर ही चलता दिख रहा है। नोएडा से गोरखपुर और आगरा से अलीगढ़ तक गरीबों और व्यापारियों की रोजी-रोटी के साधन पर चल रहे बुलडोजर से लोगों को भी गुस्सा आने लगा है। ऐसे में, योगी को अब ट्विटर से लेकर मीडिया ब्रीफ्रिंग तक में सफाई देनी पड़ रही है कि ‘बुलडोजर गरीबों पर नहीं, सिर्फ माफियाओं पर चलेगा।’
दरअसल, योगी के निर्देश पर ही प्रदेश के सभी नगर निगमों और नगर पंचायतों में अतिक्रमण विरोधी अभियान चल रहा है। संयुक्त टीमों द्वारा चलाए जा रहे इस अभियान में कहीं गरीबों का ठेला कुचला जा रहा है, तो कहीं भेदभाव का बुलडोजर चल रहा है। बीते 6 अप्रैल को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी क्षेत्र में गरीब रवि और उसकी पत्नी पूनम ने जो किया, उससे योगी के बुलडोजर इमेज को लेकर सवाल उठ रहे हैं। यहां अथॉरिटी के लोग जब ठेला हटाने लगे, तो उसके विरोध में रवि बुलडोलर के सामने लेट गया। वायरल वीडियो में दंपति रोजी-रोटी का साधन टूटता देख जिम्मेदारों के सामने हाथ जोड़कर रहम की भीख मांगते दिख रहे हैं। मामले को लेकर विपक्षी दलों ने सवाल भी किए।
रावनवमी में पूजा-पाठ करने गोरखपुर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सफाई देनी पड़ी कि ‘किसी गरीब की रोजी-रोटी पर बुलडोजर नहीं चलेगा।’ योगी के बयान के बाद नोएडा अथॉरिटी के अफसर भी डैमेज कंट्रोल में दिखे। अथॉरिटी के सीईओ नरेंद्र भूषण के इशारे पर कर्मचारी सामाजिक संगठनों के साथ रवि और पूनम की झोपड़ी में मदद करने को पहुंचे। सीईओ ने आरोपी सुपरवाइजर के खिलाफ कार्रवाई तो की ही, सफाई दी कि ‘अतिक्रमण विरोधी दस्ता भंग है। परी चौक पर अतिक्रमण हटाने का कोई आदेश नहीं था। गरीबों के खिलाफ कोई अभियान नहीं चलेगा।’
नोएडा ही नहीं, सभी जिलों में अभियान को लेकर सवाल हैं। खुद मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में ट्रैफिक जाम से निजात के नाम चल रहे 30 दिवसीय अभियान को लेकर स्ट्रीट वेन्डर्स के साथ व्यापारी वर्ग नाराज है। बीते 6 अप्रैल को शहर के प्रमुख बाजार गोलघर में चले अभियान के दौरान व्यापारियों ने जमकर हंगामा किया। बिना नोटिस हुई कार्रवाई से नाराज व्यापारियों की दलील है कि अतिक्रमण हटे लेकिन इसमें भेदभाव नहीं होना चाहिए। असल में, गोलघर में नगर निगम के साथ ही निजी लोगों की दुकानें हैं। इसी लाइन में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की देखरेख में संचालित होने वाले महाराणा प्रताप इंटर कॉलेज की बिल्डिंग में भी कई दुकानें हैं। परिषद के सरंक्षक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं। व्यापारियों का कहना है कि ‘इंटर कॉलेज बिल्डिंग में संचालित होने वाली दुकानों की गैलरी को तोड़कर रेंट पर दे दिया गया है लेकिन वहां कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। योगी आदित्यनाथ को इस लिए वोट नहीं दिया है कि वह व्यापारियों के परिवार वालों के पेट पर लात मारें।’
इतना ही नहीं, 12 अप्रैल को शहर के बेतियाहाता में अतिक्रमण विरोधी अभियान में एक व्यापारी ने एसडीएम विनय कुमार पांडेय को भरी भीड़ में गाली दे दी। हनक के लिए पुलिस ने व्यापारी को उठाकर थाने में बिठाया लेकिन चंद घंटे बाद ही बिना कार्रवाई के उसे छोड़ना पड़ा। असल में, यह दुकान शहर के बड़े कपड़ा कारोबारी शम्भु शाह के परिवार की है। शम्भु शाह ने ही योगी आदित्यनाथ के दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद गोरखनाथ मंदिर पहुंचकर चांदी का बुलडोजर गिफ्ट किया था।
बुलडोजर को लेकर अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों की सनक का नतीजा है कि मारपीट की खबरें रोज आ रही हैं। आगरा के शाहगंज में रूई की मंडी में अतिक्रमण हटाने गई नगर निगम की टास्क फोर्स के एक कर्मचारी ने व्यापारी द्वारा कार्रवाई को लेकर नोटिस नहीं मिलने के सवाल पर जमकर पिटाई की। व्यापारी बीजेपी से जुड़े थे, सो हंगामा मच गया। बीजेपी नेता हेमंत भोजवानी और गौरव राजावत के नेतृत्व में पांच घंटे तक चले तांडव के बाद टास्क फोर्स के आरोपी कर्मचारी हरवीर सिंह को हिरासत में लेने के साथ ही एसपी ट्रैफिक अरुणचंद को व्यापारियों से माफी मांगनी पड़ी। रूई मंडी के अध्यक्ष सुमित असीजा ताल ठोंक कर कहते हैं कि ‘बीजेपी को इसलिए वोट नहीं दिया था कि निगम की टीम बिना किसी नोटिस के रोजी-रोटी पर बुलडोजर चढ़ा दे।’
आगरा प्रशासन बीते वर्ष सितंबर में भी सवालों के घेरे में आया था जब कोर्ट में लंबित चल रहे एक मामले में बुलडोजर चलाने की कार्रवाई के विरोध में एक व्यापारी ने जला हुआ मोबिल खुद पर डालकर आत्मदाह की कोशिश की थी। सपा नेता विश्वजीत त्रिपाठी का कहना है कि ‘प्रदेश के नगर निगमों में बुलडोजर खरीद में भ्रष्टाचार हो रहा है। कंपनियों ने साल भर के अंदर बुलडोजर की कीमतों में 6 लाख तक की बढ़ोतरी कर दी है। योगी सरकार आम लोगों की उम्मीदों और रोजी-रोटी पर बुलडोजर चला रही है।’
स्ट्रीट वेन्डर्स योजनाएं कागजों में
अवैध कब्जा या पक्के अतिक्रमण हटाने का सामान्य विरोध आम बात है। लेकिन रेहड़ी-ठेला-खोमचे हटाने का उग्र विरोध स्वाभाविक है। जबकि इन्हें निश्चित स्थान देने की योजना की गति काफी धीमी है। बीते फरवरी महीने में लोकसभा में सरकार ने बताया था कि देश में सर्वाधिक 8.49 लाख वेन्डर्स उत्तर प्रदेश में हैं। इनकी बेहतरी को लेकर पीएम स्वनिधि योजना के साथ ही वेन्डर स्ट्रीट का भी दावा किया गया। लेकिन इसकी हकीकत पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से लेकर सीएम योगी के शहर गोरखपुर में ही दिख जाती है। गोरखपुर में 5 करोड़ की लागत से चार स्थानों पर वेन्डर्स स्ट्रीट बने हैं। महेवा में बनी दुकानों के अलॉटमेंट में लाखों रुपये वसूलने का आरोप बीजेपी के ही पार्षद रामभुआल कुशवाहा पर लग चुका है।
पटरी व्यापारियों के नेता सुधीर झा का कहना है कि निगम प्रशासन वादे के मुताबिक अलॉटमेंट नहीं कर रहा है। चिह्नित किए गए 7,500 हजार तो छोड़िए, एक भी पटरी कारोबारी को कारोबार के लिए स्थान नहीं दिया गया। इसी तरह वाराणसी में चौकाघाट, आशापुर, पुलिस लाइन, फुलवरिया, ककरमत्ता, मंडुवाडीह, सामनेघाट के फ्लाईओवर, पुल और आरओबी के नीचे वेन्डिंग जोन में 31 हजार स्ट्रीट वेन्डर्स को ठिकाना देने का दावा हवा में है। स्ट्रीट वेन्डर एसोसिएशन कानपुर के विमलेश कुमार का कहना है कि ‘न तो वेंडर्स स्ट्रीट का आवंटन हो रहा है न ही पीएम स्वनिधि योजना का लाभ मिल रहा है। ऊपर से, बाबा का बुलडोजर गरीबों पर चलने लगा है।’
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