बिहार में पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी, 24 सितंबर को पहले, 12 दिसंबर को अंतिम चरण का मतदान, ईवीएम से वोटिंग
राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में छह पदों- मुखिया, पंच, सरपंच, वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य के लिए मतदान होगा। बिहार में पहली बार पंचायत चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल होगा। हालांकि, बैलेट पेपर का भी इस्तेमाल होगा।
बिहार में बहुप्रतीक्षित ग्राम पंचायत चुनाव की अधिसूचना मंगलवार को जारी कर दी गई। इसके साथ ही पंचायत चुनाव वाले क्षेत्रों में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई। राज्य निर्वाचन आयुक्त दीपक प्रसाद ने बताया कि राज्य में पंचायत चुनाव 11 चरण में संपन्न कराए जाएंगे, जिसमें पहले चरण का मतदान 24 सितंबर को और अंतिम चरण का मतदान 12 दिसंबर को होगा।
बिहार में पहली बार पंचायत चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल होगा। राज्य निर्वाचन आयोग के मुताबिक त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में छह पदों, मुखिया, पंच, सरपंच, वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य के लिए मतदान होगा। इस बार ईवीएम के अलावा बैलेट बॉक्स का भी इस्तेमाल होगा। चार पदों मुखिया, वार्ड सदस्य, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य के चुनाव में इवीएम का इस्तेमाल किया जाएगा। सभी पदों के लिए अलग-अलग चुनाव चिह्न् आवंटित किए जाएंगे।
पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी होते ही राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई, जिसके चलते अब किसी भी नई योजना का आरंभ नहीं हो सकेगा। हालांकि, पुरानी योजनाएं जारी रहेंगी। प्रत्याशी अलग-अलग पदों के लिए नामांकन कर सकेंगे। नामांकन के लिए उनको सात दिनों का समय मिलेगा। आयोग ने नामांकन पत्र भरने, जांच और नाम वापसी के समय निर्धारित कर दिए हैं।
इस चुनाव में पहले चरण के लिए 24 सितंबर को वोट डाले जाएंगे, जबकि 29 सितंबर को दूसरे चरण का, 8 अक्टूबर को तीसरे, 20 अक्टूबर को चौथे चरण का मतदान होगा। इसके अलावा 24 अक्टूबर को पांचवें, 3 नवंबर को छठे, 15 नवंबर को सातवें और 24 नवंबर को आठवें चरण का मतदान होगा। इसी तरह 29 नवंबर को नौवें चरण, 8 दिसंबर को दसवें और 12 दिसंबर को 11वें और अंतिम चरण के मतदान कराए जाएंगे। बाढ़ क्षेत्रों में अंतिम चरणों में मतदान होंगे।
गौरतलब है कि बिहार में साल 2016 में गठित त्रि-स्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के पदों और ग्राम कचहरियों को कार्यकाल पूरा हो जाने और कोरोना के चलते नए सिरे से चुनाव नहीं हो पाने पर जून महीने में भंग कर दिया गया था। जून के पहले कोरोना के कारण चुनाव कराना संभव नहीं हो सका, इसलिए जून के बाद पंचायत चुनाव तक पंचायत परामर्शी समिति का गठन किया गया था।
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