महामारी के दौरान टीकाकरण ऐतिहासिक भूल, पैदा हो रहे नए वैरिएंट, नोबेल विजेता विशेषज्ञ के दावों से सनसनी
साल 2008 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीत चुके इस वैज्ञानिक ने कहा कि किसी महामारी के दौरान टीकाकरण अकल्पनीय है। यह मौत का कारण बन सकता है। उन्होंने कहा कि यह स्पष्ट है कि कोरोना के नए वैरिएंट्स टीकाकरण का ही परिणाम हैं।
फ्रांसीसी वायरोलॉजिस्ट और नोबेल पुरस्कार विजेता ल्यूक मॉन्टैग्नियर ने कोरोना महामारी के दौरान इसके खिलाफ सामूहिक टीकाकरण को ऐतिहासिक भूल करार दिया है। उनका कहना है कि इसी के चलते कोरोना के नए वेरिएंट्स का निर्माण हो रहा है, जिससे बड़ी संख्या में मौतें भी हो रही हैं।
लाइफसाइट न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार मॉन्टैग्नियर ने अपने एक इंटरव्यू में कहा, "यह एक बहुत बड़ी गलती है। न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, बल्कि चिकित्सकीय दृष्टिकोण से भी यह एक भूल है। इसे स्वीकारा नहीं जा सकता है। इतिहास की किताबों में इस गलती का जिक्र होगा क्योंकि इसी वैक्सीनेशन के चलते वेरिएंट्स बन रहे हैं।" मॉन्टैग्नियर के इंटरव्यू को अमेरिका के रेयर फाउंडेशन द्वारा अनुवाद और प्रकाशित किया गया है।
उन्होंने इस महीने की शुरूआत में होल्ड-अप मीडिया के पियरे बार्नरियास के साथ हुए एक साक्षात्कार में कहा, "कई महामारी वैज्ञानिक इस बात से अवगत हैं और यह जानते हुए भी चुप हैं कि एंटीबॉडी से निर्भरता में वृद्धि होती है। यह वायरस द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी ही है, जो संक्रमण को और मजबूत बनाता है।"
साल 2008 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार जीत चुके इस वैज्ञानिक ने कहा, "किसी महामारी के दौरान टीकाकरण अकल्पनीय है। यह मौत का कारण बन सकता है।" उन्होंने पूछा कि "वैक्सीनेशन से होगा क्या? क्या वायरस मर जाएगा या क्या कोई और समाधान ढूंढ़ लेगा? यह स्पष्ट है कि नए वेरिएंट टीकाकरण के कारण एंटीबॉडी-मिडिएटेड सिलेक्शन द्वारा बनाए गए हैं।" उन्होंने यह भी कहा, "कोरोना के नए वैरिएंट्स टीकाकरण का ही परिणाम हैं। आप हर देश में ऐसा देख सकते हैं। वैक्सीनेशन के बाद ही मौतें हो रही हैं।"
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