कोरोना से बचने के लिए अब दो गज नहीं, 11 गज की दूरी जरूरी, केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार ने जारी की गाइडलाइंस
कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए अब सिर्फ दो गज की दूरी, हाथ धोना और मास्क ही जरूरी नहीं, बल्कि अब 11 गज की दूरी बनाए रखनी होगी, तभी इस जानलेवा संक्रमण से बचा जा सकेगा। यह सलाह केंद्र सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार विजयराघवन ने दी है।
कोविड से बचना है तो दो गज की दूरी बनाए रखें, मास्क पहने, हाथों को साबुन से अच्छी तरह धोएं...अभी तक इसी किस्म की सलाहें और दिशा निर्देश दिए जा रहे थे। सरकार की तरफ से जारी विज्ञापनों में भी इन्हीं दिशा निर्देशों के पालन की अपील की जाती रही है। लेकिन लगता है अब यह सब नाकाफी है। केंद्र सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार विजयराघवन का कहना है कि कोविड से बचने के लिए अब नए मानक तय किए गए हैं। उन्होंने कहा है कि कोविड-19 से बचाव के प्रोटोकॉल में बदलाव किया गया है। इसमें सबसे अहम है दूरी...उनका कहना है कि कोविड का वायरस सार्स-कोव-2 वायरस 10 मीटर दूर यानी करीब 33 फीट दूर तक हवा में रह सकता है। ऐसे में अब दो गज के बजाए 11 गज की दूरी जरूरी है।
विजयराघवन ने अपनी वेबसाइट पर ‘संक्रमण के प्रसार को रोकें, महामारी को परास्त करें’ शीर्षक से विस्तार में नए नियमों को बताया है। इसमें कहा गया है कि वायरस से संक्रमित व्यक्ति की छींक या खांसी के जरिए वायरस उड़कर 33 फीट तक हवा में फैल सकता है, इसलिए इससे बचाव के लिए इतनी दूरी जरूरी है। साथ ही कहा है कि अगर संक्रमित व्यक्ति या उसके पास खड़े व्यक्ति ने मास्क लगा रखा है तो संक्रमण फैलने का खतरा कम हो सकता है।
दिशा निर्देशों में के विजयराघवन ने कहा है कि खुले इलाकों में संक्रमण का खतरा कम है, क्योंकि वायरस तेजी से बिखर जाता है। बताया गया है कि संक्रमित व्यक्ति के गले के सलाइवा यानी लार या नाक बहने के कारण जो ड्रॉपलेट्स या एरोसोल निकलते हैं, उनसे दूसरे व्यक्ति के संक्रमित होने का खतरा होता है। जब संक्रमण ज्यादा होता है तो बड़े आकार के ड्रॉपलेट्स जमीन या सतह पर गिरते हैं, जबकि कम संक्रमण होने पर ये कण हल्के होने से हवा में दूर तक फैल जाते हैं। इसी से 10 मीटर यानी करीब 11 गज तक उनसे संक्रमण फैलने का खतरा रहता है।
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