त्रिपुरा मॉब लिंचिंग: हत्यारी भीड़ से बचकर निकलने वाले खुर्शीद ने सुनाई दिल दहला देने वाली आपबीती
त्रिपुरा में भीड़ से बचकर निकलने वाले खुर्शीद ने बताया कि थाने में हमारे एक साथी की हत्या के बाद भीड़ हमारी जान लेने पर उतारू थी। इस बीच एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि भीड़ का उनपर दबाव है या तो वे हम तीनों का एनकाउंटर कर दें या भीड़ के सामने से हट जाएं।
त्रिपुरा की राजधानी अगरतला से 25 किमी दूर सीधाई मोहनपुर गांव में 28 जून को भीड़ द्वारा बच्चा चोरी के शक में यूपी के मुजफ्फरनगर के रहने वाले जाहिद नाम के व्यक्ति की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। इस दौरान जाहिद के साथ उनके साथी खुर्शीद भी मौके पर मौजूद थे, जो भीड़ के कहर से बच गए। उन्होंने नवजीवन से बात करते हुए पूरा वाकया बयान किया है।
खुर्शीद ने कहा, “उस दिन भीड़ खूनी हो गई थी, हम सीधाई मोहनपुर थाने के अंदर छिपे हुए थे। थाने के अंदर 20 से ज्यादा पुलिसवाले थे। सैकड़ों लोग एक साथ थाने के अंदर हाथ में लाठी, डंडे, लोहे की रॉड और कुछ धारधार हथियार के साथ घुस गए। पुलिस ने हमें एक फोल्डिंग के नीचे छिपा दिया। पुलिस खुद असहाय दिखाई दे रही थी, जैसे उनके हाथ बांध दिए गए हों। बाहर, बच्चा चोर है, काट दो का शोर मच रहा था, तभी जाहिद भाई ने फोल्डिंग के नीचे से बाहर झांकने की कोशिश की और अचानक लोहे के हथियार से उनके सर पर किसी ने वार कर दिया। वहीं उनका भेजा बाहर निकल गया और मौके पर ही उनकी मौत हो गई।”
खुर्शीद ने बताया, “हमारे साथ बिहार के दरभंगा के रहने वाले गुलजार भाई भी थे। जाहिद को नींद सुलाने के बाद बाद भीड़ ने हमारे ऊपर धावा बोल दिया। मैंने अपने सर के ऊपर अपने दोनों हाथ रख लिए। बीड़ ने हमारे ऊफर लाठी और डंडे बरनासे शुरू कर दिए। तभी तेज फायरिंग की आवाज आई। पता चला कि त्रिपुरा पुलिस के स्पेशल कमांडो के जवान थाने में फरिश्ते बनकर पहुंच गए हैं। हमलावरों को भगाने के लिए कमांडो ने ताबड़तोड़ फायरिंग की। इस बीच जाहिद भाई की मौत हो चुकी थी और गुलजार भाई मौत से जूझ रहे थे। हमें कमांडो ने तुरंत गाड़ी में बैठाया। जाहिद भाई को हमारे पैरों के नीचे छिपाया। चार कमांडो आगे और चार पीछे फायरिंग करते हुए हमें बचा कर अस्पताल ले आए।”
खुर्शीद ने कहा कि इस बीच थाने में दो घंटे तक हम लोगों से पूछताछ करने वाली पुलिस कहां गई यह हमें अब तक पता नही चला। 28 जून का दर्दनाक वाकया सुनाते हुए खुर्शीद के हाथ-पैर कांपने लगते हैं।
खुर्शीद त्रिपुरा में फेरी लगाकर कपड़े बेचने का काम किया करते थे। 28 जून को खुर्शीद सीधाई मोहनपुर में दरभंगा के गुलजार और मुजफ्फरनगर के जाहिद के साथ कपड़ा और छोटे इलेक्ट्रॉनिक समान बेचने गए थे। पहले तो भीड़ ने उन्हें बच्चा चोर बताकर पुलिस के हवाले कर दिया। उसके 2 घंटे के बाद भीड़ बेकाबू हो गई और थाने में घुसकर इनपर हमला कर दिया, जिसमें जाहिद की मौत हो गई और गुलजार और खुर्शीद गंभीर रूप से घायल हो गए। खुर्शीद मुजफ्फरनगर जिले के ककरौली थाना क्षेत्र के गांव खेड़ी फिरोजाबाद के रहने वाले हैं। इस हादसे के बाद वे अपने घर लौट आए हैं। उनके दोनों हाथों में प्लास्टर चढ़ा है। बदन में अभी तक सूजन है और चेहरे पर चोट के निशान हैं।
खुर्शीद उस दिन की घटना को याद करते हुए कांप उठते हैं। खुर्शीद बताते हैं, “मैं कन्याकुमारी में फेरी लगाकर कपड़ा बेचता था। मेरा धंधा ठीक नहीं चल रहा था, किसी साथी ने बताया कि अगरतला में 2 महीने अच्छी बिक्री होती है। घटना से 3 दिन पहले ही मैं अगरतला पहुंचा था। एक स्थानीय गाड़ी किराए पर लेकर सुबह 6 बजे अगरतला से 25 किमी दूर हम सीधाई मोहनपुर गांव पहुंचे थे, जहां मेरे साथ गुलजार भाई और जाहिद भाई भी थे। जब हम एक घर में कुकर दिखा रहे थे तो एक महिला ने कहा भाई आप चले जाओ यहां माहौल 2 दिन से गर्म है। वहीं हमें पता चला कि यहां बच्चा चोरी की अफवाह फैली है। जाहिद भाई ने कहा बहन हम काम नहीं करेंगे तो भूखे मर जाएंगे।”
खुर्शीद ने बताया, “महिला से बात करने के बाद वहीं अचानक कुछ लोग आ गए, जिन्होंने हमसे हमारी आईडी मांगी। हमने अपनी आईडी दिखा दी। जाहिद भाई ने अपनी आईडी फोन में दिखाई। हमारी आईडी देखने के बाद 4 से 5 पांच लोग आपस में बात करने लगे और उसके बाद फोन पर बात कर किसी को बुलाने लगे। वे लोग स्थानीय भाषा में फोन पर बात कर रहे थे और हम उनकी बात समझ नहीं पाए। इस बीच उनके फोन पर एक मैसेज आया, जिसमें बच्चा चोरों के बार में सूचना लिखी हुई थी। मौके पर मौजूद लोगों ने हमें वह मैसेज दिखाया। भीड़ के मुताबिक, बच्चा चोरी करने वाले मैसेज में दिए गए ब्योरे के अनुसार, एक आदमी की कद काठी जाहिद भाई से मिलती थी। इसलिए खासतौर पर वे जाहिद भाई पर शक करने लगे।”
खुर्शीद ने बताया, “बात करने के बाद लोग हमें घर से बाहर लेकर आए। बाहर का नजारा देखकर हमारी सांसें अटक गईं। बाहर धीरे-धीरे सैकड़ों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी। लोग इतनी जल्दी कहां से आए हमें सोचकर हैरानी हो रही थी। भीड़ में कुछ लोग स्थानीय नेता थे, जो हमें थाने ले गए। इस बीच कुछ लोगों ने हमें बांग्लादेशी कहकर शोर मचाना शुरू किया। थाने में पुलिस ने हमारी आईडी चेक की। इसके बाद यह सुनिश्चित किया कि हम भारतीय हैं।”
खुर्शीद ने आगे बताया, “थाने में हमारे पहुंचने के बाद धीरे-धीरे भीड़ बढ़ती चली गई। हमें लगा कि हम सुरक्षित हैं, क्योंकि हम थाने में पहुंच गए थे। थाने में कुछ स्थानीय नेताओं को बुलाकर हमसे बात कराई गई। उनको यकीन हो गया था कि हम बच्चा चोर ही हैं। हमारी गाड़ी में इलेक्ट्रॉनिक के सामान और कपड़े थे। हमारा ड्राइवर सोपान मियां स्थानीय निवासी था। इसके बावजूद भीड़ यह मानने को तैयार नहीं थी कि हम बच्चा चोर नहीं हैं। थाने में हमें पहुंचे 3 घंटे से ज्यादा बीत चुके थे। थाने के बाहर मौजूद भीड़ अचानक उग्र हो गई और थाने पर पथराव करने लगी। पथराव के बीच एक पुलिस अधिकारी थाने में हमारे पास पहुंचा। अधिकारी ने कहा कि उनपर दबाव है या तो हम तीनों का एनकाउंटर कर दें या भीड़ के सामने से हट जाएं।”
खुर्शीद ने कहा कि अधिकारी की यह बात सुनकर हमारे होश उड़ गए। खुर्शी ने बताया, “जाहिद भाई ने मुझसे कहा अब हम नहीं बचेंगे। मैंने अगरतला में अपने एक साथी को फोन किया और कहा भाई हम तो नहीं बेचेंगे, लेकिन तुम यहां मत आना।” खुर्शीद ने कहा कि अधिकारी के द्वारा मौके की जानकारी देने के बाद थाने में जो कुछ हुआ उसे पूरी जिंदगी मैं भूल नहीं सकता।
खुर्शीद अब अपने घर पर हैं। उनसे मिलने आने वालों का तांता लगा हुआ है। उनकी अम्मी को तीन दिन बाद इस घटना के बारे में बताया गया था। 3 महीने पहले ही उनकी सगाई हुई थी। इस घटना से खुर्शीद इतने खौफजदा हैं कि अब वे कभी भी कपड़ा फेरी करने के लिए घर से बाहर नही जाना चाहते हैं।
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